Coronovirus : परमार्थ निकेतन ने शुरू की संत भण्डारा सेवा
- सेवा और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण
- पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के आशीर्वाद से संत भोजन प्रसाद और जलपान सेवा की शुरूआत
- बाजार बंद होने के कारण रास्ते पर रहने वाले संतों, भिक्षुओं, असहायों और बेघर लोगों को प्रातःकाल चाय और नाशता, दोपहर को भोजन प्रसाद और अन्य सुविधायें प्रदान की जा रही है
- पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा इस आपदा के समय कोई भी भूखा न रह सके
- भारतवासियों से किया आह्वान कृपया घरों में ही रहें
- पैनिक होने की नहीं बल्कि पेशेंस की जरूरत – पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वतीजी महाराज
ऋषिकेश, 27 मार्च। परमार्थ निकेतन हमेशा की तरह सेवा कार्यों में अग्रदूत बनकर कार्य करता है, इसी कड़ी में पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के आशीर्वाद से संत भोजन प्रसाद भण्डारा सेवा की शुरूआत की। बाजार बंद होने के कारण रास्ते पर रहने वाले आसपास के संतों, भिक्षुओं, असहायों और बेघर लोगों को प्रातःकाल 8 बजे चाय और नाशता, दोपहर 12: 30 बजे भोजन प्रसाद और अन्य सुविधायें प्रदान की जा रही हैं ताकि किसी को भी भोजन के लिये परेशान न होना पड़े।
वैश्विक महामारी के रूप में आया कोरोना वायरस ने दुनिया के लगभग सभी देशों को अपने आगोश में ले लिया है। डब्ल्यू एच ओ के प्रमुख ने कहा कि कोरोना वायरस को तीव्रता से रोकने के लिये लाॅकडाउन एक बेहतर तरीका है परन्तु सिर्फ लाॅकडाउन से काम नहीं बनेंगा। अगर लाॅक डाउन खोला तो संक्रमण बढ़ जायेगा।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जान है तो जहान है और इस समय घर बैठे रहने में ही जीवन की सुरक्षा है। भारत जैसे भारी जनसंख्या घनत्व वाले देश में जहां पर कई गांवों में जल का अभाव है तथा बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें सब की पहुंच में नहीं हैं तो ऐसे समय में घर में रहकर सुरक्षा नियमों का पालन करना ही सबसे उत्तम है। लोग कोरोना वायरस के डर से तनाव में आकर खाने-पीने की वस्तुओं को जुटाने में लगे हुये हैं ऐसे में अनेक स्थानों पर सोशल डिसटेंसिग का पालन नहीं कर रहे हैं यह अत्यावश्यक है इसके महत्व को समझें। हमें यह समझना होगा कि जीवन पहले है इसलिये सोशल डिसटेंसिग को इस दूरी को बनायें रखे नहीं तो देरी हो जायेगी इसलिये लाईन में रहे तथा एक-दूसरे के बीच 6 फीट की दूरी बनाखे रखें।
स्वामी जी ने इस आपदा के समय में देशवासियों को मिलकर रहने और अभावग्रस्त लोगों को सहयोग प्रदान करने का आह्वान किया।
जनमानस को संदेश देते हुये कहा कि जरूरी हो तभी बाहर निकले, यदि आप बाजार जाते हैं, तो आपको मास्क पहनना चाहिए और बाजार में वस्तुओं को छूने से पूर्व अपने हाथ अच्छी तरह से साफ करें तथा छूने पर अपने हाथों को बार-बार साफ करें। जितना संभव हो अपने शरीर और कपड़ों को न छुएं। अपने शरीर से वस्तुओं को दूर रखें तथा कम से कम 20 सेकंड के लिए अपने हाथों को साबुन से धोएं।
लाॅकडाउन के कारण भोजन के लिये परेशान हो रहे संतों, भिक्षुओं, असहायों और बेघर लोगों में खुशी की लहर थी कि परमार्थ निकेतन ने ऐसे समय में मदद के लिये हाथ आगे बढ़ाया और प्रातःकाल चाय और नाश्ता, दोपहर को भोजन प्रसाद की व्यवस्था की जो अभिनन्दनीय है।
दो दिन पहले परमार्थ निकेतन ने अपना सुविधायुक्त अस्पताल, अस्पताल स्टाफ, योग और ध्यान केन्द और शौचालय सुविधाओं से युक्त बड़े बड़े हाॅल को आइसोलेशन सेंटर बनाने के लिये समर्पित कर दिया है। वास्तव में यह सेवा और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण है।