सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर
हम सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म विश्व का एकमात्र धर्म है, जो सबसे प्राचीन है. अंकोरवाट मंदिर विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है और यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है. यह मंदिर कम्बोडिया देश के अंकोर में है जो सिमरिप शहर में मीकांग नदी के किनारे बसा हुआ है तथा इसका फैलाव सेकड़ो वर्ग मील में है. यह हिन्दू देवता विष्णु का मंदिर है जबकि इसके पूर्ववर्ती शासको ने यहां बड़े-बड़े शिव के मंदिरो का निर्माण करवाया था.
इसका पुराना नाम यशोधपुर था व इस मंदिर का निर्माण राजा सूर्यवर्मन द्वितीय के शासन काल 1112 से 1153 ईस्वी के दौरान बनवाया गया था. इस मंदिर के चित्र को कम्बोडिया के राष्ट्रीय ध्वज में छापा गया है. यह दुनिया के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है. इसको यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया है. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जो हिन्दुओं के आराध्य देव हैं. इंडोनेशिया के निवासी इसे पानी में डूबे हुए मंदिर का बगीचा कहते हैं.
इतना सब होने के बाद आपको यह जानकार हैरानी होगी कि जिस देश में विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है जहां सौ फीसदी लोग हिन्दू धर्म को मानते थे वहां हिन्दू आबादी बिलकुल नहीं है. यहाँ थेरावाद बुद्धिस्ट की आबादी 96 फ़ीसदी, इसाईं आबादी 2 फ़ीसदी और मुस्लिम आबादी २ फ़ीसदी है. लेकिन सोचने वाला विषय यह है कि कम्बोडिया देश जहां विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर तो है लेकिन वहां हिन्दू आबादी क्यों नहीं है.? अगर हम इतिहास को मानकर चलें तो यहाँ लोगों ने अन्य धर्म अपना लिया है.
कंबोडिया दक्षिण पूर्व एशिया का प्रमुख देश है, जिसकी जनसंख्या करीब 1.5 करोड़ है (कम्बोडिया में हिन्दू जनसंख्या). पुर्वी एशिया में पहले भी 5 हजार से लेकर एक हजार वर्ष तक के पुराने मंदिरों की खोज की जा चुकी है, जिससे भारत की प्राचीन वैभवशाली संस्कृति की झलक मिलती रही है. इन मंदिरों में अधिकतर मंदिर भगवान विष्णु के हैं. वैज्ञानिकों ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि कई हजार साल में समुद्र का जलस्तर करीब 500 मीटर बढ़ा है. इससे साबित होता है कि राम-सेतु, द्वारका नगरी सरीखे स्थान आज भी मौजूद हैं और इनसे जुड़े पात्र भी सच हैं.
कम्बोडिया में हिन्दू जनसंख्या
कहा जाता है की सालों पहले इस देश में हिन्दू धर्म का बोल बाला था. प्राचीन समय में इस देश को हम कम्बोज के नाम से जानते थे, यह एक संस्कृत नाम था. कंबोज की प्राचीन दंतकथाओं के अनुसार इस उपनिवेश की नींव आर्यदेश के राजा कंबु स्वयांभुव ने डाली थी. वह भगवान शिव की प्रेरणा से कंबोज देश में आए और यहां बसी हुई नाग जाति के राजा की सहायता से उन्होंने इस जंगली मरुस्थल में एक नया राज्य बसाया जो नागराज की अद्भुत जादूगरी से हरे भरे, सुंदर प्रदेश में परिणत हो गया था. कंबु ने नागराज की कन्या से विवाह कर लिया और कंबुज राजवंश की नींव डाली थी. परन्तु बाद में यह स्थान विदेशियों की नज़र में आया और उन्होंने युद्ध और ताकत के दम पर हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करा दिया. हालाँकि यह केवल दंत्र कथा है उसका कोई प्रमाणिक साक्ष्य हमारे पास नहीं है इसलिए हम इस बात को ख़ारिज कर सकते हैं.