भारत और बांग्लादेश सीमा पर गायों की तस्करी की खबरों के बीच बीएसएफ के जवान बन गए है रक्षक। बीएसएफ ने बीते महीनों में हजारों गायों को बचाया है और उन्हें अपने कैंप में रख रहे हैं, पर जगह की कमी और चारे की भयावह समस्या आ रही है। क्या आप मदद करेंगे…
भारत और बांग्लादेश के बॉर्डर पर गायों की बहुत बुरी स्थिति है। देश के कई राज्यों से गायों की तस्करी करके इन्हें बांग्लादेश कटने के लिए ले जाया जाता है। पर बीएसएफ यानि सीमा सुरक्षा बल की मुस्तैदी से इस पर बीते समय में बहुत लगाम लगाई गई है। लेकिन जिन गायों को बीएसएफ बचा रहा है, असली समस्या उनके देखरेख की है।
दरअसल गौतस्करों से प्रतिदिन हमारे बीएसएफ के जवान जान पर खेलकर गायों को बांग्लादेश में तस्करी से बचा रहे हैं, यहीं गाएं आगे कसाईखानों में कटने के लिए ले जाई जा रही है। भारत बॉर्डर पर प्रतिदिन भारी मात्रा में गाय पकड़ी जा रही है जिन्हें बीएसएफ छुड़ाने के बाद पहले अपने ही कैंपों में ही रख लेता है। लेकिन बीएसएफ के पास उनकी देखरेख के सही इंतजाम नहीं होने के कारण भारी समस्या खड़ी हो गई है। दूसरा कैंप में जगह की कमी होने से सैकड़ों गायों को कीचड़़ या गंदी जगहों पर रहना पड़ रहा है। साथ ही खाने के इंतजाम न होने से स्थिति गंभीर है।
रिलीजन वर्ल्ड को भेजी गई जानकारी के अनुसार अभी भी बीएसएफ के बंगाल के सीमावर्ती इलाकों के कई कैंपों में हजारों गाएँ कठिन परिस्थितियों में मदद का इंतजार कर रही है।
Name of BOP – 60bn,Kkhoar
Number of cattle – 100
Number of labor – 3
Name of bop – 44bn Muchia
Number of cattle – 40
Number of labor – 2
Fodder requirements – 8000
Name of bop – khandwa
Number of cattle – 120
Number of labor – 4
Fodder requirements -22120
Name of bop – boreghat
Number of cattle – 167
Number of labor – 4
Fodder requirements – 31500
Name of bop – hardunga
Number of cattle – 800
Number of labor – 6
Fodder requirements – 230069
Name of bop – carpara
Number of cattle – 12
Number of labor – 1
Fodder requirements – 4000
Name of bop – shovapur
Number of cattle – 450
Number of labor – 6
Fodder requirements – 91000
Name of bop – bhagirithi
Number of cattle – 32
Number of labor – 1
Fodder requirements – 8000
Name of bop – goalpara
Number of cattle – 300
Number of labor – 3
Fodder requirements – 60000
Name of bop – Hasnabad
Number of cattle – 180
Number of labor -2
Fodder requirements – 9500
Name of bop – hingalganj
Number of cattle – 238
Number of labor – 4
Fodder requirements – 24000
Name of bop – kannaikati
Number of cattle – 230
Number of labor – 4
Name of bop – shamsher nagar
Number of cattle – 300
Name of bop – sodepur
Number of cattle – 300
Number of labor – no
Name of bop – taki
Number of cattle – ?
Number of labor – no
Fodder requirements – 3825
Name of bop – barun
Number of cattle – 400
Number of labor – 9
Name of bop – soladana
Number of cattle – 124
Number of labor – no
Fodder requirements – 2550
Name of bop – gobardha
Number of cattle – 150
Number of labor – no
Fodder requirements – 2700
Name of bop – kaijuri
Number of cattle – 300
Number of labor – 2
Fodder requirements – 2700
Name of bop – dobila
Number of cattle – 300
Number of labor – no
Fodder requirements – 5000
Name of bop – noonaganj
Number of cattle – 600
Number of labor – 10
Fodder requirements – 12600
दिल्ली स्थित ध्यान फाउंडेशन ने हाल में इन बीएसएफ के कैंपों से हजारों गायों को आसपास के गौशालाओं में शिफ्ट किया है। लेकिन अभी भी हजारों की संख्या में गाएं बीएसएफ के कैंपों में मौजूद है। ध्यान फाउंडेशन ने एक यूट्यूब वीडियो के जरिए अभी तक की मदद को बताया है।
ध्यान फाउंडेशन ने हमें बताया कि वे बीएसएफ के कैंपों में बचाई गई गायों को बंगाल के आसनसोल, चकुलिया और हावडा में मौजूद गौशालाओं में भेजा है। इन गायों को रोजाना चारा, भोजन और देखरेक के लिए बड़ी संख्या में पैसे की जरूरत है जो संस्थाएं अपने संसाधनों से जुटा रही है।
आइए आपको दिखाते हैं कि आखिर ये समस्या कितनी गंभीर है। बंगाल से भारी संख्या में गायों की तस्करी बांग्लादेश में होती है। देखिए कैसे गायों को कराया जा रहा है बार्डर पार…
मामला इतना गंभीर है कि देश की सुरक्षा में लगे बीएसएफ के जवानों ने इसके लिए अपनी पूरी क्षमता लगा रखी है। गौतस्करों ने गायों के सीमा पार कराने के लिए कई जरिए बना रखे हैं। जैसे देखिए कैसे गायों को नदी में केले के पेड़ से बांधकर छोड़ दिया जाता है और दूसरी ओर उन्हें लेकर बांग्लादेश में पहुंचाया जाता है।
गायों को बचाने की बड़ी जिम्मेदारी लेने के बाद बीएसएफ के सीमावर्ती कैंपों में गायों को शरण मिल रही है। लेकिन यहां भी जगह और भोजन की विकराल दिक्कत खडी हो रही है। इसीलिए गौसेवक मलूक पीठाधीश्वर राजेन्द्रदास जी, स्वामी गोपेश जी, ध्यान फाउंडेशन और वर्धमान फाउंडेशन ने इसके लिए भारी प्रयास शुरू किए। इसका परिणाम सकारात्मक है। अभी गौतस्करी के आंकड़ों में गिरावट आई है। सुनिए मलूक पीठाधीश्वर राजेन्द्रदास जी को जो इस समस्या से बेहद व्यथित हैं। सुनिए उनकी बात…
जाहिर है गायों की तस्करी कम होने से संतों में उत्साह है कि लेकिन उनकी पीड़ा दूर करने की चाहत भी। आप भी आगे आकर किसी भी संगठन को इसके लिए मदद दे सकते हैं