जानिये कैसे हुयी दही–हांडी की शुरुआत और श्रीकृष्ण को क्यों कहा जाता है ‘माखन चोर‘
नयी दिल्ली, 24 अगस्त; इस बार दही हांडी का उत्सव 24 अगस्त को मनाया जाएगा. इस दिन दही और माखन से भरी मटकी को फोड़ी जाएगी. जोरो-शोरों से जश्न मनाया जाएगा. वृंदावन के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में रात 12 बजे गर्भगृह में ठाकुर जी का महाभिषेक किया जाएगा. रात 1 बज कर 55 मिनट पर मंगला आरती की जाएगी. मंदिरों के साथ ही घरों में भी बालगोपाल का दूध, शहद और पानी से अभिषेक कर उन्हें नए वस्त्र पहनाया जाएगा. कई जगहों पर श्रीकृष्ण की झाकियां भी निकाली जाएंगी.
क्यों मनाया जाता है दही–हांडी का उत्सव?
वृन्दावन में महिलाओं ने मथे हुए माखन की मटकी को ऊंचाई पर लटकाना शुरू कर दिया जिससे की श्रीकृष्ण का हाथ वहां तक न पहुंच सके. लेकिन नटखट कृष्ण की समझदारी के आगे उनकी यह योजना भी व्यर्थ साबित हुई. माखन चुराने के लिए श्रीकृष्ण अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक पिरामिड बनाते और ऊंचाई पर लटकाई मटकी से दही और माखन को चुरा लेते थे. वहीं से प्रेरित होकर दही हांडी का चलन शुरू हुआ. दही हांडी के उत्सव के दौरान लोग गाने गाते हैं जो लड़का सबसे ऊपर खड़ा होता है उसे गोविंदा कहा जाता है और ग्रुप के अन्य लड़कों को हांडी या मंडल कहकर पुकारा जाता है.
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श्रीकृष्ण को क्यों कहा जाता है ‘माखन चोर‘
अपने बचपन में श्रीकृष्ण बेहद ही नटखट थे, पूरे गांव में उन्हें उनकी शरारतों के लिए जाना जाता था. श्रीकृष्ण को माखन, दही और दूध काफी पंसद था. उन्हें माखन इतना पंसद था जिसकी वजह से पूरे गांव का माखन चोरी करके खा जाते थे. इतना ही उन्हें माखन चोरी करने से रोकने के लिए एक दिन उनकी मां यशोदा को उन्हें एक खंभे से बांधना पड़ा और इसी वजह से भगवान श्रीकृष्ण का नाम ‘माखन चोर’ पड़ा.