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Happy Birthday HH Dalai Lama : शांतिदूत और सर्वधर्म समन्वय के पुजारी

दलाई लामा : शांतिदूत और सर्वधर्म समन्वय के पुजारी

  • कैसे बने दलाई लामा बौद्ध धर्म के 14वें धर्मगुरु

निर्वासित तिब्बत के धर्मप्रमुख दलाई लामा का आज 84वां जन्मदिन है। दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के चौदहवें धर्म गुरु हैं और उनका असली नाम ल्हामो दोंडुब तेनजिन ग्यात्सो है। वह तिब्बतियों के धर्मप्रमुख ही नहीं, विश्व शांति के दूत भी हैं. आधी सदी से ज़्यादा समय से वह निर्वासन में हैं, बेशक वह चीन की आंखों में खटकते हैं, लेकिन उनका व्यक्तित्व ऐसा है कि सामने पड़ जाएं तो मन में असीम श्रद्वा व सम्मान की भावना उमड़ने लगती है. तेनजिन ग्यात्सो को जिस समय दलाई लामा के तौर पर मान्यता मिली थी, उस वक्त वे मात्र दो वर्ष के थे.

दलाई लामा का जन्म

दलाई लामा का जन्म उत्तरी तिब्बत में 6 जुलाई, 1935 को आमदो के एक छोटे गांव तकछेर में किसान परिवार में हुआ था. उसकी शिक्षा-दीक्षा उसी अनुरूप होनी थी, दलाई लामा ने स्वयं एक किताब में लिखा है कि एक छोटे बच्चे के लिए मां-बाप से इस तरह अलग रहना सचमुच बहुत कठिन होता है. उस वक्त तो उन्हें यह भी पता नहीं था कि दलाई लामा होने का मतलब क्या है. उन्हें सिर्फ़ यही पता था कि मैं दूसरे कई छोटे बच्चों की तरह एक छोटा बच्चा था.

Dalai Lama in his Childhood (picture courtesy-www.dalailama.com)

बचपन के अनोखे शौक

अन्य बच्चों की तरह दलाई लामा को भी बचपन में एक खास शौक था कि वह एक झोले में कुछ चीज़ें डालकर उन्हें कंधे पर लटका लेते थे और ऐसा नाटक करते थे जैसे किसी लंबी यात्रा पर जा रहे हैं. वह अक्सर कहा करते थे कि वे ल्हासा जा रहे हैं, दलाई लामा खाने की मेज़ पर हमेशा ज़िद करते थे कि उन्हें सबसे प्रमुख स्थान पर बिठाया जाए.

His His Holiness the Dalai Lama at the age of four at Kumbum Monastery in Amdo, Eastern Tibet.(Picture Courtesy-www.dalailama.com)

पंद्रह वर्ष की उम्र से ही बने ज़िम्मेदार

दलाई लामा केवल 15 वर्ष के थे तो उन्होंने अपनी सरकार के वरिष्ठ होने के नाते राजनीतिक ज़िम्मेदारियों का निर्वाह शुरू कर दिया था. वह वर्ष 1954 में महामहिम चीनी नेताओं से बातचीत करने चीन की राजधानी बीजिंग गए, जब चीन तिब्बत के बारे में असहयोगपूर्ण रवैया अपनाए हुए था. वर्ष 1956 में वे महात्मा बुद्ध की 2500वीं वर्षगांठ पर भारत आए व तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से तिब्बत की दुर्दशा पर लंबी बातचीत की. अंततः तिब्बत में चीन सरकार के बढ़ते आतंक से उत्पन्न खतरे को भांपकर उन्हें 1959 में तिब्बत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और तब से वह अपने हज़ारों अनुयायियों के साथ भारत के हिमाचल प्रदेश में शरण लिए हुए हैं.

This old rare photo of HH Dalai Lama with the Indian Prime Minister Nehru, and President Dr. Radakrishna in 1956 when HH was invited to India for the 2500 year celebration of Shakyamuni Buddha’s enlightenment.(Picture courtesy-www.pinterest.com)

कैसे मना पावन दलाई लामा का 83वां जन्मदिन…देखिए…इस पेज पर…

https://www.facebook.com/DalaiLama/

 

Post By Shweta