सज-धज कर 3100 गाय मनाएंगी जन्माष्टमी
- भगवान श्रीकृष्ण को सबसे ज्यादा प्यार गाय से था
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी गायों के साथ मनाई जानी चाहिए- महंत बाबा मंगल दास
नई दिल्ली। इस जन्माष्टमी के मौके पर पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेस एक स्थित गौशाला में गायों की टोली भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्मउत्सव मनाएगी। 3100 गायों को सजा कर इस उत्सव में लाया जाएगा, और लगभग 1000 गाय इस उत्सव में अपना विशेष प्रदर्शन का करतब दिखाएंगी।
गौशाला संचालक महंत बाबा मंगल दास ने बताया कि इस साल गौशाला में गायों को विशेष श्रृंगार कर उसे तैयार किया जाएगा। सभी गाएं श्रीकृष्ण जन्म उत्सव की खुशी मनाएंगी। उन्होंने बताया कि इस गौशाला में जन्माष्टमी सबसे अलग ढंग से मनाया जाता है । सजी-धजी गायों की सुंदरता के कारण यहां की मनमोहक उत्सव देखने दूर दूर से लोग आते है। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर भजन कीर्तन का कार्यक्रम का भी आयोजन भी किया जाऐगा।
महंत बाबा मंगल दास ने बताया कि श्रीकृष्ण की बाललीला का मुख्य पात्र गौं ही थीं। श्रीकृष्ण का गाय चराने जाना, उनकी मधुर वंशी ध्वनि पर गायों का उनकी ओर भागते चले आना, श्रीकृष्ण का छोटी उम्र में हठ करके गाय का दूध दूहना सीखना एवं प्रसन्न होना, गाय का माखन चुराना आदि, ये सब कुछ श्रीकृष्ण के गौ वंश से स्नेह को प्रकट करता है। भगवान श्रीकृष्ण का बाल्यजीवन गो-सेवा में बीता इसीलिए उनका नाम ‘गोपाल’ पड़ा। तीनों लोकों के कष्ट हरने वाले श्रीकृष्ण के अनिष्ट हरण का काम गाय करती थी। जब-जब श्रीकृष्ण पर कोई संकट आया नन्दबाबा और यशोदा माता ब्राह्मणों को गायों का दान करते थे। यह है गौमाता की महिमा और श्रीकृष्ण के जीवन में उनका महत्व। इसलिए जन्माष्टमी पर गौ वंश की भी पूजा होनी चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत धारण करके इन्द्र के कोप से गोप, गोपी एवं गायों की रक्षा की। भगवान श्रीकृष्ण को गोवंश से इतना प्यार था की उनके राज में ‘गोधन की सौं’ शपथ दिलाई जाती थी।
उन्होंने बताया कि हिन्दू धर्म में मान्यता है कि गाय के शरीर में सभी देवी-देवताओं का वास् करते है। इसलिए गाय हिन्दुओं के लिए बहुत पूजनीय है। कहा यह भी जाता है कि समुद्र मंथन में बहुत सारे अनमोल रत्न में एक कामधेनु गाय भी थी ।
महंत बाबा मंगल दास ने बताया की गाय के वैज्ञानिक रूप से भी बहुत फायदा है। गौमूत्र में पोटेशियम, सोडियम, नाइट्रोजन, फास्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड जैसे न्यूट्रीएंट्स होते हैं और दूध देते समय हुए गौमूत्र में लेक्टोज आदि की मात्रा बहुत अधिक होती ळें गौमाता संसार के लिए चलता-फिरता वैद्य है, वैज्ञानिक सिद्ध कर चुके हैं कि ए2 दूध अठारह तरह की बीमारियां खत्म करता है जो सिर्फ और सिर्फ हमारे एशिया प्रदेश के गौ माता वंश में ही संभव है जबकि विदेशी नस्ल की एच एफ और जर्सी पशु का ए1 दूध अठारह तरह की बीमारियां पैदा करता है।