तमसो मा ज्योतिर्मय : दियों का दीपावली से नाता : इस बार दियों से ही क्यों मनाएँ दीपावली
दीपावली नज़दीक आ रही है और चाहे घर हो या फ्लैट सब जगह झालरें लगना शुरू हो चुकी हैं. चाइनीज़ लाइट्स ने बाज़ार पर ऐसी पकड़ बनायीं की सब उसके मुरीद हो गए. लेकिन जो बात मिटटी के दिए की रोशनी में हुआ करती है वो बात झालरों में कहाँ. चाइनीज़ सामान की खरीद के विरोध के बाद सभी एक बार फिर अपनी पुरानी परम्परा की ओर लौट चुके हैं.और इस आधुनिक युग में भी दीपावली के मौके पर घरों को रोशनी के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहरों में भी मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं. इस पुरातन परंपरा के जीवित रहने के कारण ही कुंभकारों के आंगन में परम्परागत रूप से चाक पर दीये का निर्माण हो रहा है. देश के अलग शहरों में कुंभकारों ने दीया बनाना शुरू कर दिया है. कई कुम्हार तो केवल इस बात से खुश हैं कि इस वर्ष चाइनीज झालर की बजाय मिट्टी के दीयों की ही मांग तेज है.
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जहाँ बिहार का एक कुम्हार लगभग 25 हजार दीये बनाता है. जहाँ अभी 50 से 60 रुपए प्रति सैकड़ा की दर से दीये बेचे जा रहे हैं, लेकिन दीपावली आते-आते मांग में बढ़ोतरी के साथ संभवत: 70 से 80 रुपए प्रति सैकड़ा की दर से बेचा जाता है. बड़े दीयों की कीमत खुदरा बाजार में दो रुपए प्रति पीस है.
वहीँ छत्तीसगढ़ के कुम्हार बारिश से परेशान हैं. छत्तीसगढ़ के कुम्हार पारा में बड़े पैमाने पर प्रतिवर्ष दीए व लक्ष्मी माता की मूर्ति बनाई जाती है. कुम्हार पारा में इसकी तैयारी माहभर पहले से शुरू हो जाती है. इन दिनों कुछ-कुछ दिनों के अंतराल में रुक-रुक हो रही बारिश से खुले में रखे दीयों व कलशों को नुकसान पहुंच रहा है. वहीं तैयार दीयों को पकाने के लिए लगाए गए भट्ठे भी हवा-पानी से क्षतिग्रस्त हुए हैं. ऐन त्यौहार के समय इस तरह की घटना से कुम्हार इन दिनों काफी निराश हैं.
चंडीगढ़ के मलोया में स्थित कुम्बार कालोनी में जय श्री बालाजी के नाम से काम कर रहे कुमार के अनुसार बीते 2 वर्षों में मिट्टी के उत्पाद बनाने का कारोबार धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है. लेकिन उनके मन में आशंका अभी भी है. उनके मुताबिक यूं तो कई बार मिट्टी के दीए खरीदने स्वदेशी अपनाने की बात की जाती है लेकिन इनका असल जिंदगी में कितना अमल होता है यह कोई नहीं जानता.
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उत्तर प्रदेश में भी कुम्हारों के घर गुलज़ार हो रहे हैं. खासतौर पर अयोध्या के आसपास के. जबसे मुख्यमंत्री योगिअदित्यन्थ ने अयोध्या में दीपावली पर कार्यक्रम आयोजन की बात कही है तब से वहां के कुम्हार मिटटी के दिए और मूर्तियाँ बनाने में जुटे हुए हैं. सूरज नाम के कुम्हार का कहना है कि चाइनीज़ उत्पादों के कारण हमारा धंधा ठप्प हो चला था लेकिन इस बार मोदी जी और योगी जी के आश्वासन से हम सब आश्वस्त है और उम्मीद करते हैं कि आगे आने वाले समय हम कुम्हारों की किस्मत भी जागेगी.
यहां आपको बता दें कि 11 अक्टूबर को संघ प्रचारक नानाजी देशमुख की जन्मशती और जयप्रकाश नारायण की जयंती पर दिल्ली के पूसा इंडियन एग्रिकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए.पीएम ने जनता से अपील की कि इस बार दीपावली के दिये गांव के कुम्हार से खरीदें.
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तो चलिए इस बार ही नहीं हर वर्ष हम मिटटी के दिए से अपने घर रोशन करें और तमसो मा ज्योतिर्गमय का सन्देश देकर अपना ही नहीं और के घर में भी खुशियों की रोशनी बांटें और दीपावली की दीप परंपरा को आगे बढ़ाते रहे.
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