एक जन्मजात महायोगी : देवरहा बाबा
योगिनामपि सर्वेषां मद्गतेनान्तरात्मना ।
श्रद्धावान्भजते यो मां स मे युक्ततमो मतः ॥
अर्थात सभी प्रकार के योगियों में से जो पूर्ण-श्रद्धा सहित, सम्पूर्ण रूप से मेरे आश्रित हुए अपने अन्त:करण से मुझको निरन्तर स्मरण (दिव्य प्रेमाभक्ति) करता है, ऎसा योगी मेरे द्वारा परम-योगी माना जाता है। श्रीमद् भगवदगीता के इस महाश्लोक को अगर किसी ने इस धराधाम पर आत्मसात कर पूरे विश्व को ईश्वरीय राह पर चलना सीखाया है तो उस महायोगी का नाम देवरहा बाबा था। देवराहा बाबा एक ऐसे महान योगी थे जिन्होंने श्रीमद्भगवद् गीता में श्री भगवान के द्वारा बताए गए सारे मार्गों सांख्य योग, भक्ति योग, ज्ञान योग और कर्म योग को आम जन के लिए सहज कर दिया था। यही वजह थी कि पूज्य देवरहा बाबा को पूरा विश्व अपना गुरु मानता है ।
पूज्य बाबा के बारे प्रारंभिक जीवन के बारे में बहुत कम बातें हैं जो लोगों को पता हैं। बाबा के जन्म और उनके उम्र के विषय में भी अपने अपने आकलन हैं। कोई उनकी उम्र 900 साल बताता है तो किसी के अनुसार पूज्य बाबा 250 साल तक अपने भक्तों का कल्याण करते रहे। महायोगी पूज्य देवरहा बाबा ने अपनी इच्छानुसार योगिनी एकादशी (19 जून) 1990 को समाधि ली थी। लेकिन इसके कुछ वर्षों पहले बाबा ने खुद एक साक्षात्कार में ये बताया था कि महामना मदन मोहन मालवीय, मोतीलाल नेहरु, पुरुषोत्तम दास टंडन, स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जैसे बड़े स्वतंत्रता सेनानी अपने बचपन की उम्र में उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने आते रहे थे। इससे कम से कम ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाबा की उम्र सौ वर्ष से अधिक तो जरुर रही होगी। पूज्य बाबा आम जन के अलावा देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों जिसमें देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु से लेकर इंदिरा गांधी तक के गुरु थे।
एक सच्चे महायोगी की भांति बाबा आम और विशिष्ट जन के बीच कोई भेदभाव नहीं रखते थे। आज कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह पंजा भी पूज्य बाबा के द्वारा ही दिया गया था। पूज्य बाबा ने इंदिरा गांधी को इस शर्त पर सत्ता वापसी का आशीर्वाद और पंजे का चिन्ह दिया था कि वो देश में गो हत्या पर पूर्ण पाबंदी लगा देंगी। पूज्य बाबा के भक्तों में हरेक राजनैतिक दल के लोग भी थे जिनमें माननीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी थे। लेकिन विशिष्ट जनों के अलावा पूज्य बाबा का आशीर्वाद गरीब से गरीब लोगों को भी सर्व सुलभ था। बाबा के बारे में ये कहा जाता है कि वो ईश्वरीय विधान को भी बदल देते थे। एक ऐसी ही कहानी है बनारस की एक स्त्री के बारे में जिसे बनारस के एक प्रसिद्ध ज्योतिषि ने उसके वैधव्य की भविष्यवाणी कर दी थी। बाबा के आशीर्वाद से उसके पति को न केवल लंबी आयु का वरदान मिला बल्कि उसके पूरे परिवार का पूज्य बाबा ने कल्याण कर दिया।
बाबा वैसे तो अष्टांग योग की सभी क्रियाओं के सिद्ध थे परंतु वो निराकार ब्रम्ह के अलावा ईश्वर के सगुण रुप की अराधना को भी महत्व देते थे । पूज्य बाबा अपने आने वाले भक्तों को भगवान श्री राम और श्री कृष्ण की भक्ति करने के लिए प्रेरित करते थे।
पूज्य बाबा का जीवन वास्तव में एक महायोगी की तरह अपरिग्रही के जैसा था। बाबा ने अपने जीवन का ज्यादातर वक्त दिगंबर अवस्था में देवरिया के पास सरयू नदी पर एक मचान बना कर बिताया था। पूज्य देवराहा बाबा निराहारी संत के रुप में भी जाने जाते थे उन्होंने पूरे जीवन अन्न ग्रहण नहीं किया और केवल दूध और शहद की उनका भोजन था। कहा जाता है कि बाबा को कई ऐसी सिद्धियां प्राप्त थी जिन पर विश्वास करना बहुत मुश्किल है । बाबा के मचान पर कुछ भी नहीं होता था लेकिन फिर भी बाबा मचान के पास आने वाले भक्तों को प्रसाद के रुप में फल प्रदान करते थे।
पूज्य देवरहा बाबा को उनके असंख्य भक्त भगवान हनुमान का अवतार मानते हैं । ऐसा कहा जाता है कि बाबा अपने खेचरी मुद्रा की सिद्धि की वजह से बिना किसी वाहन के कहीं भी आ जा सकते थे। बाबा के आस पास कांटे वाले पेड़ों में कांटे नहीं उगते थे और बाबा के पास जाने वालों को दिव्य सुंगध की अनुभूति होती थी। बाबा और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बारे में एक जनश्रुति बड़ी प्रसिद्ध है कि बाबा से मिलने के लिए जब राजीव गांधी आने वाले थे तो उनके मचान के पास स्थित एक बबूल के पेड़ को सुरक्षा के लिए काटने के लिए जब अधिकारी आये तो बाबा ने मना कर दिया । पूछने पर बाबा ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए वो अपने पुराने साथी बबूल के पेड़ को काटने नहीं देंगे। इसके बाद बाबा ने कहा कि दो घंटे में प्रधानमंत्री का प्रोग्राम कैंसिल करवा देता हूं। और सच में थोड़ी देर बाद ही अधिकारियों के पास ये संदेश आया कि प्रधानमंत्री किसी आकस्मिक कारण से बाबा का दर्शन करने नहीं आ पाएंगे।
बाबा स्वतंत्रता सेनानियों के अलावा अंग्रेजों के लिए भी श्रद्धा का विषय थे । पूज्य बाबा और ब्रिटेन के राजा जार्ज पंचम की मुलाकात का जिक्र उनके कई पुराने भक्तों ने किया है । जार्ज पंचम ने भी बाबा का आशीर्वाद लिया था । पूज्य बाबा दया के सागर थे। उन्होंने कभी भी आशीर्वाद देने में किसी को भी कमी नहीं की । कहा जाता है कि बाबा से आशीर्वाद पाने के बाद लोगों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती थी। वैसे तो बाबा ज्यादातर वक्त देवरिया में ही रहे लेकिन कुछ वक्त उन्होंने बनारस, मथुरा, और प्रयाग में भी बिताया था । लेकिन बाबा जहां भी रहें वो मचान बना कर ही रहे । उनका आशीर्वाद देने का तरीका भी एकदम अलग था। वो मचान पर से अपने पैरों को नीचे भक्तों के सिर पर रख कर आशीर्वाद देते थे। एक महान योगी होने के बावजूद बाबा भगवान श्री कृष्ण की तरह ही हंसमुख थे। हमेशा उनके चेहरे पर एक करुणामयी मुस्कान तैरती रहती थी। कहा जाता है कि उनकी करुणा के दायरे में इंसान ही नहीं जानवर भी आते थे। बाबा जानवरों और पक्षियों की बोली भी जानते थे और उन पर भी अपनी करुणा बरसाते थे।
लेखक – अजीत मिश्रा (ajitkumarmishra78@gmail.com)