कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. इस साल धनतेरस 13 नवंबर 2020 यानी शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा.
धनतेरस का त्योहार छोटी दिवाली से एक दिन पहले आता है. इस दिन धन के देव कुबेर, मां लक्ष्मी, धन्वंतरि और यमराज का पूजन किया जाता है. इस दिन सोना, चांदी या बर्तन आदि खरीदना शुभ माना जाता है. दिवाली से पहले कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाए जाने वाले धनतेरस को ‘धनवंतरि त्रयोदशी’ भी कहा जाता है.
धनतेरस 2020 पूजा मुहूर्त
पूजा मुहूर्त -17:28 से 17:59
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 12, 2020 को 21:30 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त – नवम्बर 13, 2020 को 7:59 बजे
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धनतेरस की कथा
धनत्रयोदशी की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है. इस प्रथा के पीछे एक लोककथा है. कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था. दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा.
राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े. दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया.
विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे. जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा. परन्तु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा.
यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे, उसी समय उनमें से एक ने यम देवता से विनती की- हे यमराज! क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए.
दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यम देवता बोले, हे दूत! अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है, इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं, सो सुनो.
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीपमाला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं.
धनतेरस पूजन विधि
इस दिन शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
पूजा के समय घी का दीपक जलाएं.
कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं.
पूजा करते समय “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” मंत्र का जाप करें.
फिर धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें.
इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करें और मिट्टी का दीपक जलाएं.
माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग लगाएं और फूल चढ़ाएं.
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