धनतेरस25 अक्टूबर 2019 को है। ज्योतिषाचार्य आलोक अवस्थी आपको बता रहे हैं धनतेरस का शुभ मुहूर्त, पूजा विधी, कथा, मन्त्र और आरती।
ज्योतिषाचार्य आलोक अवस्थी कहते हैं कि धनतेरस की पूजा विधि अनुसार करने से धन की कमी नहीं होती, धनतेरस कथा पढ़ने से लक्ष्मी जी का वास होता है, धन प्राप्ति मंत्र का 108 बार जाप करने से विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और धन्वन्तरी जी की आरती पढ़ने से दरिद्रता कभी पास नहीं भटकती।
धनतेरस तिथि/ पूजा शुभ महूर्त
धनतेरस 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
धनतेरस 2019 की त्रयोदशी तिथि सुबह 07:08 बजे (25 अक्टूबर) से प्रारंभ होगी। धनतेरस 2019 की त्रयोदशी तिथि दोपहर 03:46 बजे, (26 अक्टूबर 2019) को समाप्त होगी।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त
शाम 07:08 बजे से रात 08:14 बजे तक रहेगा।
धनतेरस पूजन मुर्हुत 1 घंटा 6 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस में प्रदोष काल शाम 05:39 से रात 08:14 बजे तक रहेगा।
जबकि वृषभ काल शाम 06:51 से रात 08:47 बजे तक रहेगा।
धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस में संध्याकाल में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। धनतेरस के दिन पूजा स्थान पर उत्तर दिशा की तरफ भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरी की मूर्ति स्थापना करें। भगवान धन्वंतरी की मूर्ति स्थापना करने से पहले भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का ध्यान करें। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी को पीली वस्तुएं अर्पित करें और साथ ही पीले फूल और पीली मिठाई का भी भोग लगायें। धनतेरस की पूजा में पीले फूल, रोली, चावल, फल, चंदन और धूप-दीप का इस्तेमाल करना फलदायक होता है।
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धनतेरस की कथा
एक बार देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए भयंकर युद्द की स्थिति से बचने के लिए भगवान श्री हरि नारायण ने समुद्र मंथन का सुझाव दिया। जब समुद्र मंथन किया गया तो उसमें से चौदह रत्न कालकूट (हलाहल), ऐरावत, कामधेनु, उच्चैःश्रवा, कौस्तुभमणि, कल्पवृक्ष, रम्भा नामक अप्सरा, लक्ष्मी, वारुणी मदिरा, चन्द्रमा, शारंग धनुष शंख, गंधर्व और अमृत निकला। 14वां रत्न अमृत को भगवान धनवंतरी लेकर आये। इस वजह से कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है और धनतेरस पर बर्तन आदि खरीदने का महत्व है।
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धनतेरस मंत्र
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान,
दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः
पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो,
धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः
ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि…।।
पुष्प अर्पित कर दें और जल का आचमन करें। 3 बार जल के छींटे दें और यह बोलें …
मंत्र : पाद्यं अर्घ्यं आचमनीयं समर्पयामि।
भगवान धन्वंतरि के चित्र का जल के छींटों और मंत्र से स्नान कराएं।
मंत्र : ॐ धनवन्तरयै नमः
मंत्र :स्नानार्थे जलं समर्पयामि
पंचामृत स्नान कराएं
मंत्र : ॐ धनवन्तरायै नमः
मंत्र : पंचामृत स्नानार्थे पंचामृत समर्पयामि ||
फिर जल से स्नान कराएं।
मंत्र : पंचामृत स्नानान्ते शुद्धोधक स्नानं समर्पयामि ||
इत्र छिड़कें।
मंत्र : सुवासितं इत्रं समर्पयामि
वस्त्र या मौली अर्पित करें
मंत्र : वस्त्रं समर्पयामि
रोली या लाल चंदन से तिलक करें।
मंत्र : गन्धं समर्पयामि (इत्र चढ़ाएं)
मंत्र : अक्षतान् समर्पयामि (चावल चढ़ाएं)
मंत्र : पुष्पं समर्पयामि (फूल चढ़ाएं)
मंत्र : धूपम आघ्रापयामि (अगरबत्ती जलाएं)
मंत्र : दीपकं दर्शयामि ( जलते दीपक की पूजा करें फिर उसी से आरती घुमाएं)
मंत्र : नैवेद्यं निवेद्यामि (प्रसाद चढ़ाएं, प्रसाद के आसपास पानी घुमाएं)
मंत्र : आचमनीयं जलं समर्पयामि… (अपने आसन के आसपास पानी छोड़ें)
मंत्र : ऋतुफलं समर्पयामि (फल चढ़ाएं, फल के चारों तरफ पानी घुमाएं)
मंत्र : ताम्बूलं समर्पयामि (पान चढ़ाएं)
मंत्र : दक्षिणा समर्पयामि (चांदी–सोने के सिक्के अगर खरीदें हैं तो उन्हें अर्पित करें या फिर घर में रखें रुपए–पैसे चढ़ाएं।
मंत्र : कर्पूर नीराजनं दर्शयामि ( कर्पूर जलाकर आरती करें)
धनतेरस कुबेर मंत्र
धनतेरस की मध्य रात्रि में इस कुबेर मंत्र का 108 बार जाप करें मिलेगा राज योग ।।
ऊं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम: ।।
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धनतेरस आरती
भगवान श्री धन्वन्तरी जी की आरती
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए ।
देवासुर के संकट आकर दूर किए ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया ।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी । आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे ।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा ।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे ।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे ।।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा ॥ ॥
इति आरती श्री धन्वन्तरि सम्पूर्णम ॥