धनतेरस से दिवाली का त्यौहार शुरू होता है और पूरे पांच दिन चलता है. प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्त्व होता है. धनतेरस वाले दिन खरीदारी करने और धन के देवता कुबेर की पूजा का विधान है।
कभी आपने सोचा है कि धनतेरस वाले दिन लोग स्टील के बर्तन या फिर सोने चांदी के आभूषण क्यों खरीदते हैं।रिलिजन वर्ल्ड ने पंडित प्रकाश शर्मा से बात की तो उन्होंने हमें इसके पीछे की कथा से रूबरू कराया. तो आइये जानते हैं की धनतेरस पर क्यों खरीदें जाते हैं बर्तन या सोने चंडी के आभूषण.
पौराणिक कथा
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मान्यता है कि धनतेरस वाले दिन सोने, चांदी या तांबे के बर्तन खरीदने से घर में सौभाग्य आता है और पूरे साल धन की आवक बनी रहती है। इस दिन खरीदारी करने से घर के प्रत्येक सदस्य के ऊपर से बुरी आपदाओं का नाश होता है और किस्मत चमक जाती है।
पंडित प्रकाश शर्मा बताते हैं कि पुराणों में इसके पीछे एक कहानी है, आइए जानें उस कहानी के बारे में। पौराणिक कहानी के अनुसार राजा हिम के पुत्र के ऊपर मृत्यु का भय था। ये भविष्वाणी हुई थी कि विवाह के चौथे दिन राजा के पुत्र की मृत्यु हो जाएगी। विवाह के चौथे दिन जब यमराज सांप का भेष धर कर राजा के पुत्र को लेने आए तो उनकी नवविवाहिता पत्नी ने साहस दिखाते हुए कमरे के चारों तरफ दीये जला दिए और अपने सारे आभूषण और बर्तन कमरे के प्रवेश द्वार पर रख दिए।
सोने चांदी के आभूषणों की चकाचौंध से सांप (जो कि यमराज का रूप था) की आंखे भ्रमित हो गई और वह बिना राजा के पुत्र की आत्मा को लिए चली गई।
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पंडित प्रकाश शर्मा के अनुसार पौराणिक कथा की इसी मान्यता के अनुसार धनत्रयोदशी वाले दिन बर्तन या फिर सोने चांदी के आभूषण खरीदने का विधान है। कहते हैं कि बर्तनों को खरीदने से परिवार के हर सदस्य के ऊपर से बीमारी और आपदाओं का संकट कट जाता है और सौभाग्य घर में आता है।धनतेरस के शुभ दिन पर केवल तांबे या सोने-चांदी के आभूषण या बर्तन खरीदने चाहिए। अगर आप इस दिन कांच या प्लास्टिक के सामान खरीदते हैं तो दुर्भाग्य साथ आता है। इसके साथ ही धारदार सामान जैसे कैंची, चाकू भी इस दिन नहीं खरीदने चाहिए।