उडुपी में विश्व हिन्दू परिषद के साथ संतों ने लगायी धर्म संसद
उडुपी, 24 नवम्बर; आज से उडुपी में धर्मसंसद के प्रथम सत्र का शुभारम्भ हुआ. इसकी अध्यक्षता पेजावर पीठाधीश्वर पूज्य विश्वेशतीर्थ जी महाराज की. पूज्य विश्वेशतीर्थ जी, पूज्य वीरेन्द्र हेगड़े, स्वामी चिदानंद जी, स्वामी चिन्मयानंद जी, सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी, डॉ. प्रवीण तोगड़िया सहित अन्य पूज्य संतों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर धर्मसंसद का प्रारंभ किया गया. प्रथम सत्र में पेजावर पीठाधीश्वर पूज्य विश्वेशतीर्थ जी महाराज ने आज स्पष्ट घोषणा करते हुए कहा कि सब प्रकार की बाधाओं को दूर करके एक साल के अंदर ही श्रीराम मंदिर का निर्माण प्रारंभ हो जायेगा. उन्होंने आगे कहा कि उडुपी में किसी भी धर्मसंसद में किया गया संकल्प हमेशा पूरा हुआ है. 1969 में अस्पृश्यता दूर करने का संकल्प लिया था 1985 की धर्मसंसद में श्रीराम जन्मभूमि का ताला खोलने का संकल्प लिया था. जिस तरह वे दोनों संकल्प साकार हो चुके हैं उसी प्रकार यह तीसरा संकल्प भी पूरा होगा. धर्मसंसद में उपस्थित संतों ने करतल ध्वनि और जयश्रीराम के घोष के साथ इस घोषणा का स्वागत किया. पूज्य महाराज जी ने अस्पृश्यता को कालकूट विष का नाम दिया.
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने सारपूर्ण भाषण में कहा कि हिंदू समाज विजय की ओर बढ़ रहा है जो सुनिश्चत है. विश्व में हिंदू का सम्मान बढ़ रहा है, समरसतापूर्ण व्यवहार इस दिशा में महत्वपूर्ण होगा. उन्होंने घोषणा की कि ‘‘मंदिर, पानी और श्मशान सबके लिए हो समान’’, यही मंत्र भारत के विकास का है. गौरक्षा के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह हिंदू समाज का
संकल्प है जो किसी के बदनाम करने से रूकना नहीं चाहिए. श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के संदर्भ में उन्होंने घोषणा की कि वहां मंदिर ही बनेगा, उसी प्रारूप में बनेगा, उन्हीं पत्थरों से बनेगा और उन्हीं के नेतृत्व में बनेगा जो आंदोलन को यहां तक लेकर आए हैं. बहुत जल्द हिन्दू समाज का यह सपना भी पूरा होनेवाला है.
इस सत्र में जैन संत वीरेन्द्र हेगड़े जी ने स्वागत भाषण करते हुए कहा कि हिन्दू समाज अनादिकाल से चला आ रहा है. सब प्रकार के षड़यंत्रों और अत्याचारों के बावजूद भी हिन्दू को कभी समाप्त नहीं किया जा सका, हिन्दू हमेशा विजेता रहा है.
विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीणभाई तोगड़िया ने विश्व हिन्दू परिषद का निवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि मठ-मंदिरों का अधिग्रहण और ध्वंस किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता. समाज को अस्पृश्यता से मुक्त करना ही होगा. गौरक्षा या राम मंदिर का संकल्प हिन्दू समाज को शीघ्र ही पूरा करना है. इस सत्र में विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री श्री चम्पत राय, पूज्य गोविन्द देव गिरि जी महाराज, सुकैर स्वामी (मैसूर), डॉ. परमानंद जी, आदिचुनचुनगिरि मठ के स्वामी निर्मलानंद जी व परमार्थ निकेतन के पूज्य चिदानंद सरस्वती जी ने हिन्दू समाज का आह्वान करते हुए कहा कि हिन्दू विजय की निर्णायक घड़ी आने वाली है और धैर्य से काम लेकर ही विजय प्राप्त की जा सकती है.
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परम पूज्य शिवस्वामी की अध्यक्षता में दूसरे सत्र में बोलते हुए स्वामी चिन्मयानंद जी ने आगामी जन-जागरण के कार्यक्रम की घोषणा करते हुए हिन्दू समाज का आह्वान किया कि वर्ष प्रतिपदा से हनुमान जयन्ती (18 मार्च से 31 मार्च, 2018) तक प्रत्येक हिन्दू अपने-अपने इष्टदेवता की प्रतिदिन 108 बार आराधना करे.
स्वामी जी ने संकल्प लिया कि अगली धर्मसंसद भव्य राम मंदिर में रामलला की अध्यक्षता में ही होगी. धर्मसंसद में उपस्थित सभी संतों ने जयश्रीराम का उद्घोष लगाकर इस आह्वान को स्वीकार किया.
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इस धर्मसंसद में तीन हजार से अधिक संतों ने भाग लिया. गुरुकुल की छात्राओं ने वेदमंत्रों का गायन करके महिला सशक्तीकरण को एक नई दिशा दी.
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