भारत में मनाये जाते हैं एक नहीं कई तरह से नववर्ष
भारत वर्ष में अनेकता में एकता देखने को मिलती है. यही कारण है यहाँ पर हर समुदाय के अपने अपने नववर्ष है. अन्य पर्वों की तरह हर समुदाय के नववर्ष भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में.
चैत्र प्रतिपदा: हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ हिन्दी पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है. इसी दिन से वासंतेय नवरात्र का भी प्रारंभ होता है. हिन्दू नववर्ष का पंचांग विक्रम संवत् से माना जाता है. एक साल में बारह महीने और सात दिन का सप्ताह विक्रम संवत से ही प्रारंभ हुआ है. वर्तमान में विक्रम संवत 2074 चल रहा है.
हिजरी सन् : मुस्लिम समुदाय में नया वर्ष मोहर्रम की पहली तारीख से मनाया जाता है. मुस्लिम पंचांग की गणना चांद के अनुसार होती है. हिजरी सन् के नाम से जाना जाने वाला मुस्लिम नववर्ष अभी-अभी शुरू हुआ है. इस समय 1438 हिजरी सन चल रहा है.
ओणम : मलयाली समाज में नया वर्ष ओणम से मनाया जाता है. इस दिन प्रतिवर्ष विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं. ओणम मलयाली माह छिंगम यानी अगस्त और सितंबर के मध्य मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन राजा बली अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आते हैं. राजा बली के स्वागत के लिए घरों में फूलों की रंगोली सजाई जाती है और स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं.
पोंगल: तमिल नववर्ष पोंगल से प्रारंभ होता है. पोंगल से ही तमिल माह की पहली तारीख मानी गई है. पोंगल प्रतिवर्ष 14-15 जनवरी को मनाया जाने वाला बड़ा त्योहार है. पोंगल में सूर्य देव को जो प्रसाद अर्पित किया जाता है उसे पोंगल कहते हैं. चार दिनों का यह त्योहार भी नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है.
गुड़ीपड़वा: महाराष्ट्रीयन परिवारों में चैत्र माह की प्रतिपदा को ही नववर्ष की शुरुआत होना माना जाता है. इस दिन बांस में नई साड़ी पहनाकर उस पर तांबे या पीतल के लोटे को रखकर गुड़ी बनाई जाती है और उसकी पूजा की जाती है. गुड़ी को घरों के बाहर लगाया जाता है और सुख संपन्नता की कामना की जाती है.
नववर्ष बैसाखी : गीत-संगीत की अनोखी परंपरा और खुशदिल लोगों से सजी है पंजाबियों की संस्कृति. पंजाबी समुदाय अपना नववर्ष बैसाखी में मनाते हैं. यह त्योहार नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है. बैसाखी के अवसर पर नए कपड़े पहने जाने के साथ ही भांगड़ा और गिद्दा करके खुशियां मनाई जाती हैं. बैसाखी प्रतिवर्ष 13-14 अप्रैल को मनाई जाती है.
नवरोज का प्रारंभ : पारसियों द्वारा मनाए जाने वाले नववर्ष नवरोज का प्रारंभ तीन हजार साल पहले हुआ. ऐसा माना जाता है कि इसी दिन फारस के राजा जमजेद ने सिंहासन ग्रहण किया था. उसी दिन से इसे नवरोज कहा जाने लगा. राजा जमशेद ने ही पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी. नवरोज को जमशेदी नवरोज भी कहा जाता है. यह 19 अगस्त को मनाया जाता है.
दीपावली है जैन समुदाय का नया साल : जैन समुदाय का नया साल दीपावली के दिन से माना जाता है. इसे वीर निर्वाण संवत कहा जाता है. वर्तमान में 2538 वीर निर्वाण संवत चल रहा है.
दीपावली का दूसरा दिन गुजरती समुदाय का नववर्ष: सभी समुदायों की तरह गुजराती बंधुओं का नववर्ष भी दीपावली के दूसरे दिन पड़ने वाली परीवा के दिन खुशी के साथ मनाया जाता है. गुजराती पंचांग भी विक्रम संवत पर आधारित है. इस दिन तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं दी जाती हैं.
बंगाली समुदाय का नया वर्ष : अपनी विशेष संस्कृति से जाने-पहचाने जाने वाले बंग समुदाय का नया वर्ष बैसाख की पहली तिथि को मनाया जाता है. बंगाली पंचांग के अनुसार, इस समय सन् 1424 चल रहा है. यह पर्व नई फसल की कटाई और नया बही-खाता प्रारंभ करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. एक ओर व्यापारी लोग जहां नया बही-खाता बंगाली में कहें तो हाल-खाता करते हैं तो दूसरी तरफ अन्य लोग नई फसल के आने की खुशियां मनाते हैं. इस दिन कई सांस्कृतिक आयोजन होते हैं और मिठाइयाँ बांटी जाती हैं.
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नववर्ष : सभी समुदायों के साथ ही एक ऐसा नया साल है जिसे सभी वर्गों, समुदायों द्वारा मान लिया गया है. वह है अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मनाया जाने वाला नया साल. जिसकी शुरुआत जनवरी में होती है. हम सभी जनवरी से 2018 में प्रवेश करने जा रहे हैं, आजकल इसी पंचांग को सर्वमान्य रूप से नए वर्ष की शुरुआत मान लिया गया है.
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