द्वारका नगरी: श्रीकृष्ण की अमर कथा
द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात भारत के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र मंदिरों में से एक है। यह भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और गुजरात राज्य के द्वारका नगर में स्थित है। यहाँ श्रीकृष्ण को “द्वारकाधीश” यानी “द्वारका के राजा” के रूप में पूजा जाता है। इसे भगवान श्रीकृष्ण ने बसाया था, जब वे मथुरा छोड़कर पश्चिम की ओर आए। इसे हिन्दू धर्म की चार धाम यात्राओं में से एक और सप्त पुरियों (7 मोक्षदायिनी नगरियों) में गिना जाता है।
पौराणिक कथा – क्यों बसाई द्वारका?
श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने के बाद मथुरा में रहना शुरू किया। लेकिन जब जरासंध (कंस का ससुर) ने बार-बार मथुरा पर आक्रमण किए, तब श्रीकृष्ण ने यादवों की सुरक्षा के लिए समुद्र की ओर एक सुरक्षित स्थान चुना।
उन्होंने समुद्र से भूमि माँगी और विश्वकर्मा ने वहाँ एक भव्य नगरी का निर्माण किया – यही थी द्वारका।
द्वारका का वैभव
इसे “स्वर्ण नगरी” कहा गया है क्योंकि यह बहुत ही भव्य, सुंदर और सम्पन्न थी।
इसमें 900 से ज्यादा महल थे, जो सोने, चांदी और कीमती रत्नों से जड़े हुए थे।
यह नगर पूरी तरह योजनाबद्ध था – आधुनिक शहरों जैसी सड़कें, नहरें, पानी की व्यवस्था थी।
द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात भारत के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र मंदिरों में से एक है। यह भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और गुजरात राज्य के द्वारका नगर में स्थित है। यहाँ श्रीकृष्ण को “द्वारकाधीश” यानी “द्वारका के राजा” के रूप में पूजा जाता है।
द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास
प्राचीनता: यह मंदिर लगभग 2500 साल पुराना माना जाता है, लेकिन वर्तमान संरचना 16वीं शताब्दी में पुनर्निर्मित की गई थी।
स्थापक: माना जाता है कि यह मंदिर मूल रूप से भगवान श्रीकृष्ण के प्रपोत्र वज्रनाभ ने बनवाया था।
द्वारका नगरी: महाभारत के अनुसार, जब श्रीकृष्ण मथुरा छोड़कर पश्चिम की ओर आए, तब उन्होंने समुद्र के किनारे द्वारका नगरी बसाई। यह नगरी सोने की नगरी कही जाती थी।
मंदिर की वास्तुकला
मंदिर की ऊँचाई लगभग 78 मीटर (250 फीट) है।
इसमें एक मुख्य शिखर (गुंबद) और कई छोटी-छोटी छतरियाँ हैं।
मंदिर पांच मंजिला है, जो लिम्ब सिला (चूना पत्थर) से बनी हुई है।
मंदिर में कुल 56 खंभे हैं, जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है।
पूजा और धार्मिक महत्व
यहाँ श्रीकृष्ण को “द्वारकाधीश” या “रणछोड़ राय” के रूप में पूजा जाता है।
मंदिर वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख तीर्थ है।
इसे चार धाम (बद्रीनाथ, जगन्नाथपुरी, रामेश्वरम और द्वारका) में से एक माना जाता है।
द्वारकाधीश मंदिर की विशेषताएँ
विशेषता | विवरण |
---|---|
मुख्य देवता | श्रीकृष्ण (द्वारकाधीश) |
स्थान | द्वारका, गुजरात |
नदी के पास | गोमती नदी |
प्रसिद्ध त्योहार | जन्माष्टमी, रथ यात्रा |
समय | सुबह 6:30 बजे से रात 9:30 बजे तक |
ड्रेस कोड | पारंपरिक वस्त्रों को प्राथमिकता |
कैसे पहुँचें
रेल मार्ग: द्वारका रेलवे स्टेशन से 3-4 किमी की दूरी पर स्थित है।
वायु मार्ग: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जामनगर (137 किमी) है।
सड़क मार्ग: गुजरात के सभी प्रमुख शहरों से द्वारका तक बस सेवा उपलब्ध है।
द्वारका में और क्या देखें?
रुक्मिणी देवी मंदिर
बेट द्वारका (नाव से जाना होता है)
गोमती घाट
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (12 ज्योतिर्लिंगों में से एक)