रमजान का पाक महीना अपने अंतिम चरणों में है। रमजान के बाद ही ईद-उल-फितर का त्योहार आता है, जो इस्लाम धर्म का एक पावन पर्व है।
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान के बाद 10वें शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है। ईद कब मनायी जाएगी यह चांद के दीदार से तय होती है।
कब है ईद-उल-फितर?
ईद का त्योहार चांद को देखकर निश्चित होगा। ऐसी संभावना है कि चांद के दीदार के बाद ईद-उल-फितर पर्व 25 मई को मनाया जा सकता है।
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ऐसे मनाया जाता है ये पर्व
ईद-उल-फितर को मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है। इसमें मीठे पकवान (खासतौर पर सेंवईं) बनते हैं। लोग आपस में गले मिलकर अपने गिले-शिकवों को दूर करते हैं।
घर आए मेहमानों की विदाई कुछ उपहार देकर की जाती है। इस्लामिक धर्म का यह त्योहार भाईचारे का संदेश देता है। ईद उल फितर के दिन लोग सुबह नए कपड़े पहनकर नमाज अदा करते हुए अमन और चैन की दुआ मांगते हैं।
ईद उल फितर के मौके पर लोग खुदा का शुक्रिया इसलिए करते हैं क्योंकि अल्लाह उन्हें महीने भर उपवास पर रहने की ताकत देते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि रमजान के पवित्र महीने में दान करने से उसका फल दोगुना मिलता है। ऐसे में लोग गरीब और जरूरतमंदों के लिए कुछ रकम दान कर देते हैं।
रमजान महीने में रोजा रखने का मतलब होता है कि लोगों को भूख प्यास का एहसास हो सके। इस दिन कई तरह के पकवान घर में बनाएं जाते हैं।
इस दिन मीठी सेवइयां घर पर आए मेहमानों को खिलाया जाता है। हालांकि इस साल पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट मे है। लिहाजा इस त्योहार की रौनक इस साल फीकी रहेगी।
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ईद-उल-फितर का इतिहास
इस्लाम की तारीख के मुताबिक ईद उल फितर की शुरुआत जंग-ए-बद्र के बाद हुई थी। दरअसल इस जंग में मुसलमानों की फतह हुई थी जिसका नेतृत्व स्वयं पैगंबर मुहम्मद साहब ने किया था। युद्ध फतह के बाद लोगों ने ईद मनाकर अपनी खुशी जाहिर की थी।