एकल सांस्कृतिक महोत्सव का समापन : परमार्थ निकेतन ने लिया 3000 नए विद्यालयों का संकल्प
- श्रीमद्भागवत कथा के समापन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने पर्यावरण संरक्षण का कराया संकल्प
- परमार्थ निकेतन ने लिया 3000 नये विद्यालयों का संकल्प – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
- एकल सांस्कृतिक महोत्सव पुस्तक का विमोचन
- भारत के विभिन्न क्षेत्रों से आये भक्तों ने कहा माँ गंगा के तट पर दिव्य कथा का श्रवण और पावन गंगा आरती में सहभाग कर हमें अनुभव हुआ मानों हम स्वर्ग में बैठे हैं
- श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन भारत लोक शिक्षा परिषद और परमार्थ निकेतन के संयुक्त तत्वाधान किया गया आयोजन अत्यंत सफल रहा
- बच्चों के सर्वांगीण विकास और देश के नवनिर्माण के लिये शिक्षा के साथ संस्कार नितांत आवश्यक
एकल प्रयास सबल प्रयास, सबका प्रयास-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 15 अप्रैल। परमार्थ गंगा तट पर भारत लोक शिक्षा परिषद और परमार्थ निकेतन के संयुक्त तत्वाधान में 9 अप्रैल से 15 अप्रैल तक आयोजित एकल सांस्कृतिक कथा महोत्सव का समापन देश के पूज्य संतों, प्रतिष्ठित राजनेताओें एवं गणमान्य अतिथियों की पावन उपस्थिति में हुआ। आज के इस दिव्य कथा समापन महोत्सव में युगपुरूष परमानन्द जी महाराज, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, रामानन्दाचार्य स्वामी हँसदेवाचार्य जी महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतना नन्द जी महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी ज्यातिर्मयानन्द जी महाराज, महामण्डलेश्वर भक्त हरि जी महाराज एंव अन्य पूज्य संतों ने सहभाग किया।
इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा, ’एकल प्रयास सबल प्रयास, सफल प्रयास है’। आगे भी भारत लोक शिक्षा परिषद और परमार्थ निकेतन दोनों मिलकर शिक्षा और संस्कार; नदियों और पर्यावरण संरक्षण तथा स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिये कार्य करेंगे। स्वामी जी महाराज ने कथा में उपस्थित सैकड़ों भक्तों को पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण का संकल्प कराया।
स्वामी जी महाराज ने कहा, ’बच्चों के सर्वांगीण विकास और देश के नवनिर्माण के लिये शिक्षा के साथ संस्कार नितांत आवश्यक है। शिक्षा और संस्कारों के अभाव में हमारा युवा विचारहीनता और आदर्श शून्यता के भंवर में डूब सकता है और शिक्षा के माध्यम से समाज में आत्मचेतना, आत्मविश्वास और जागरूकता का समावेश होता है। स्वामी जी ने ऐसी शिक्षा पद्धति पर जोर दिया जिसके माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण विकास हो और वे आत्मनिर्भर बने। उन्होंने देश के युवाओं से आह्वान किया कि वे सर्वधर्म समभाव, वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वजन हिताय को आत्मसात कर देश की प्रगति में योगदान प्रदान करें। समाज के सभी वर्गो से आह्वान किया कि वे एकल अभियान से तन, मन और धन से जुडे़ और इसे सफल बनाये। उन्होने बताया कि एकल विद्यालय पर्यावरण और परम्पराओं को बचाने का कार्य कर रहा है। एकल के माध्यम से उन क्षेत्रों तक शिक्षा को पहुंचाया जा रहा है जहां पर रहने वालों को शिक्षा का महत्व नहीं पता। भारत की उन जड़ों तक बेसिक शिक्षा को पहुंचाकर नींव भरने कार्य एकल द्वारा सम्पन्न किया जा रहा है।
जगतगुरु रामानन्दाचार्य स्वामी हँसदेवाचार्य जी महाराज ने कहा कि एकल अभियान भारत के समग्र विकास का आन्दोलन है। शिक्षा, संस्कार, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पर्यावरण और वृक्षारोपण के प्रति समाज को जाग्रत कर भारत का विकास सम्भव है। उन्होने कहा कि एकल आन्दोलन से आने वाली पीढ़ियों में संस्कृति और संस्कारों का बीजारोपण किया जा सकता है अतः इस अभियान को मुक्त हस्त से सहयोग करने का निवेदन किया।’ इस अवसर पर उन्होने 2,50,000 रूपये की धनराशी का चैक प्रदान किया।
युगपुरूष परमानन्द जी महाराज ने कहा एकल के प्रयासों से भारत का सांस्कृतिक और शौक्षणिक उत्थान सम्भव है। इस हेतु उन्होने सभी को संकल्प कराया। स्वामी हरिचेतनानन्द जी महाराज ने कहा कि ’एकल विद्यालय ईमानदार और भारत की रक्षा करने वाली पीढ़ी तैयार कर रहा है। यहां पर मानवता के आधार पर बच्चों को शिक्षा प्रदान की जाती है। हम एकल के माध्यम से अन्तिम पंक्ति में बैठे अन्तिम व्यक्ति तक शिक्षा को पहुंचाना चाहते है। एकल के माध्यम से शिक्षित कर हम पलायन को भी कम कर सकते है। उन्होने कहा कि भारत के संत हमेशा श्रेष्ठ संकल्पों के साथ है।’
कथा के समापन अवसर पर कथा व्यास स्वामी गोविन्द देव गिरि जी महाराज ने राष्ट्र की एकता, अखंडता, शिक्षा और संस्कार के लिये एकल महोत्सव को श्रेष्ठ आयोजन बताया और सभी आयोजकों का इस श्रेष्ठ कार्य के लिये अभिनन्दन किया। कथा आयोजक, भारत लोक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष और मुख्य यजमान श्री नंदकिशोर अग्रवाल जी ने कहा कि ’हमारा प्रयास है कि भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लिया संकल्प कि एकल विद्यालय भारत के हर गांव तक पंहुचें इसे हम सभी मिलकर पूरा करेंगे। एकल का उद्देश्य है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, जागरूकता और संस्कारों का विकास भारत के हर बच्चे में समाहित हो इस अभियान हेतु हम भारत के हर गांवों तक जायेंगे और इसे सफल बनायेंगे।’
कथा समन्वयक श्री लोकेश शर्मा जी ने बताया कि 1986 से कार्यरत एकल अभियान का लक्ष्य भारत के हर गांव को; किसान, वनवासी, जनजाति और पिछड़े क्षेत्रों के लिये एकल ने जो संकल्प लिया है उसे 2019 तक पूरा करने का प्रयास है।
एकल के माध्यम से भारत के सुदूर क्षेत्रों में 67 हजार विद्यालय चलाये जा रहे है जिसके माध्यम से लगभग 18 लाख बच्चों को बेसिक शिक्षा, संरस्कार, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा प्रदान कि जा रही है। उत्तराखण्ड राज्य में एकल के 1350 से अधिक केन्द्र चलाये जा रहे हैं जो कि खटीमा, चमोली, उधमसिंह नगर और अल्मोड़ा आदि क्षेत्रों में विस्तृत कार्य किया जा रहा है। एकल ग्रामोत्थान विद्यालय के माध्यम से बच्चों को व्यवसायिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है इसके कार्यक्रम के अन्तर्गत तीन जिलों पर एक विद्यालय की स्थापना की गयी है, अभी तक इस तरह के आठ केन्द्र स्थापित किये गये है। कम्प्यूटर के प्रशिक्षण के लिये कम्प्यूटर वेन की व्यवस्था की गयी है जिसमें 12 लेपटाप के माध्यम से 24 बच्चों को प्रशिक्षित किया जाता है यह प्रोग्राम 70 घन्टे का है जो सुदूर क्षेत्रों में एकल के माध्यम से चलाया जा रहा है।
कथा के समापन अवसर पर पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने सभी पूज्य संतों को पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया और उपस्थित सभी भक्तों का नदियों के संरक्षण; गौ संवर्द्धन एवं वृक्षारोपण का संकल्प कराया। इस अवसर पर एकल परिवार के अध्यक्ष श्री नंदकिशोर अग्रवाल जी, माधवेन्द्र जी, नीरज जी रायजादो, अखिल गुप्ता जी, अजय पंवार जी, लोकेश शर्मा जी तथा परमार्थ परिवार के आचार्य संदीप शास्त्री, लक्की सिंह, हरिओम शर्मा, राजेश दीक्षित, आचार्य दीपक, संदीप गौर, किशोर भट्ट एवं अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।