परमार्थ निकेतन की पालघर संतों को श्रद्धांजलि
- परमार्थ निकेतन में पालघर हत्या काण्ड में मारे गये संतों की आत्मा की शान्ति के लिये दीप प्रज्वलित कर किया शान्तिपाठ
- स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने पालघर हिंसा में दो संतों और एक चालक की निर्मम हत्या को बताया मानवता को शर्मसार करने वाली घटना
- अवसाद और उन्माद नहीं बल्कि संवाद और सौहार्दता है आज की जरूरत – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
26 अप्रैल, ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन में 16 अप्रैल को पालघर में दो संतों और एक चालक की हुई निर्मम हत्या को दुखद बताते हुये मृतकों की आत्मा की शान्ति के लिये दो मिनट का मौन रखा गया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी, परमार्थ परिवार के सदस्य और लाॅकडाउन की घोषणा के पहले से परमार्थ निकेतन में निवास कर रहे कई देेशों के पर्यटकों ने सोशल डिसटेंसिंग का पालन करते हुये दीप प्रज्वलित कर इस घटना के प्रति अपनी संवेदनायें व्यक्त की।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि 16 अप्रैल को महाराष्ट्र के पालघर में भीड़ ने दो संतों और उनके ड्राइवर की पीट-पीट का निर्मम हत्या कर दी थी यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण, दुखद घटना थी जिसे सोेचकर ही मेरी रूह कांप जाती है। इस घटना ने हर भारतवासी को दहला दिया है। भारत की संस्कृति तो ऐसी संस्कृति है जहां पर जनमानस के दिलों में संतों के प्रति आदर और सम्मान होता है परन्तु पालघर की घटना ने युवाओं के एक वर्ग की निकृष्ट सोच को उजागर किया है। सैकड़ों की भींड़ ने दो बुजुर्ग संतों की पीट-पीट कर हत्या कर दी, भीड़ द्वारा किया गया यह जघन्य अपराध है और ऐसे अपराधियों के लिये किसी भी सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं है जो भी इसके जिम्मेदार है उनके विरूद्ध सख्त कदम उठाया जाना चाहिये ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो क्योंकि ऐसी घटनायें मानवता को शर्मसार करने वाली अमानवीय घटनायें है।
स्वामी जी ने कहा कि पालघर में घटी दुर्भाग्यपूर्ण घटना हमें यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि इस समय देश ही नहीं पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कहर से जुझ रही है। लोग लाॅकडाउन में है, तनाव से गुजर रहे है, भविष्य की चिंता है और अनेक कारण हो सकते है, ऐसे में सकारात्मक चिंतन, सोच और व्यवहार को कैसे बनाये रखें। पालघर की हिंसक और निरंकुश भीड़ में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जो यह जानने की कोशिश करता की दो बुजुर्ग संत कहा और क्यों जा रहे है। यह घटना असंवेदनशीलता, अविश्वास और नफरत के वीभत्स रूप को दर्शाती है। इस घटना के लिये जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही तो होनी ही चाहिये साथ ही यह भी विचारणीय है कि दंड देकर अपराध को समाप्त नहीं किया जा सकता बल्कि अपराध को समाप्त करने के लिये जनमानस को एक सकारात्मक चिंतन देने की भी बहुत सख्त जरूरत है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा हैं, हमारे संस्कार, हमारे विचार क्यों इतने दूषित होते जा रहे हैं, हमारी मानसिकता कहां जा रही हैं, यह लिंचिंग अपने आप में एक अवसर है चितंन करने का कि आखिर क्या हो रहा है हमारी मानवता को इस पर हम सभी को मिलकर विचार करना चाहिये कि कैसा भविष्य हम अपने भविष्य को सौंपना चाहते हैं किस तरह की दुनिया हम उन्हें देकर जाना चाहते है इस पर चिंतन करना बहुत आवश्यक है इसलिये ऐसी निंदनीय घटनाओं का सभी वर्गो को विरोध करना चाहिये और इसे रोकने के लिये सभी को आगे आना चाहिये इसलिये आज परमार्थ निकेतन में देश विदेश से आये सभी पर्यटकों के साथ सोशल डिसटेंसिंग और लाॅकडाउन का पालन करते हुये सभी ने अपने हाथों में दीप जलाकर, मौन प्रार्थना और शान्तिपाठ किया।
साथ ही चर्चा की कि समाज के भीतर कहीं कहीं इस तरह की मानसिकता देखने को मिल रही है इसका निराकरण निश्चित रूपेन होना चाहिये। इसके लिये हर व्यक्ति अपने आप को इस अक्षय तृतीया की रोशनी में ऐसा कुछ करें जो उनकी जीवन को अक्षय और महान बना दे। अक्षय तृतीया हर चुनौती को सफलतापूर्वक सिद्धि की ओर ले जाने का एक अवसर है। यह अवसर हमारे देश को महान बनायेगा। हमार संस्कृति विश्व की महान संस्कृति है और उसमें ऐसी घटनाओं का होना एक कंलक है इसलिये अपने और सभी के जीवन और विचारों को दिव्य और शुद्ध बनाना है।
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में लोग कोरोना वायरस के कारण तालेबंदी में है साथ ही अनेक प्रकार के तनाव और अवसाद से भी गुजर रहें होगें ऐसे में लोग अपने व्यवहार को सामान्य किस प्रकार बनाये रखे, सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसे संदेशों को प्रसारित करने की जरूरत है। उन्होंने देश के मनोचिकित्सकों का आह्वान करते हुये कहा कि वर्तमान समय में उनके द्वारा ऐसे संदेेशों को प्रसारित किया जाये जिससे लोग अपने आप को अवसाद मुक्त रख सके। स्वामी जी ने लोगों को ध्यान करने तथा संगीत के माध्यम से तनाव मुक्त रहने का संदेश दिया।