ब्रज की होली हुई शुरू : रमणरेती के कार्ष्णि आश्रम में मनी फूलों की होली
कान्हा की नगरी मथुरा में रमणरेती स्थित गुरुशरणानंद जी महाराज के आश्रम में हर साल होने वाली पारंपरिक होली का आयोजन किया गया। जिसमें फूलों की होली के साथ-साथ टेसू के फूलों के रंग से भी होली खेली गई। गुरु शरणानंद जी महाराज का मथुरा में गोकुल के नजदीक ‘श्रीउदासीन कार्ष्णि आश्रम में संतों ने भगवान और भक्तों के साथ होली खेली। इस आश्रम में हर साल होली का आयोजन किया जाता है और इस दौरान यहाँ खेली जाने वाली फूल होली इस आयोजन की विशेषता होती है।
इस साल भी रंग-बिरंगे फूलों की होली का आयोजन किया गया। इस बार की होली में सूखे फूलों के अलावा गुलाल और टेसू के फूलों से बने रंग का इस्तेमाल किय गया। 200 क्विन्टल टेसू से बने 6 हजार लीटर प्राकृतिक रंगों की खासियत यह है कि इनसे शरीर को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है। वा र्षिकोत्सव में राधा-कृष्ण की रासलीला के समय हुये होली के रसिया गायन से यहाँ मौजूद भक्त पूरी तरह होली के रंग में रंगे नजर आये और पंडाल में बैठे-बैठे ही दोनों हाथों से ताली बजा कर होली के रसिया गाने लगे।
पूरे पंडाल का माहौल ये था कि हर कोई राधा-कृष्ण के स्वरूपों के साथ होली खेलना चाहता था और सभी ये मौका पाकर खुद को बेहद आनंदित महसूस कर रहे थे। फूल होली से पहले यहाँ राधा-कृष्ण और सखियों की रासलीलाओं का मंचन किया गया। इसी लिए दूर दूर से आये हजारो लोग इस होली में होली खेलते है की उनके ऊपर डाले जाने वाले रंग से कोई नुकशान नहीं होना है। और लोग खूब एक दुसरे पर रंगों को डालते हुए होली में मस्त हो जाते है। यहाँ पर होने वाली रास लीला में गाये जाने वाले होली के रसियाओं से भी लोग झूमते हुए नजर आते है और यहाँ पर आये लोग ही नहीं इन रंगों की मस्ती में डूबते नजर आते है बल्कि जाने माने साधू संत भी इस होली का जमकर आनंद उठाते है और बे पिचकारियों से एक दुसरे पर खूब रंग डालते हुए रंगों की होली में रंग जाते है। गोकुल के रमणरेती आश्रम में हुई इस अलौकिक होली में संतों ने भक्तों और भगवान के साथ जमकर होली खेली और जो रंग यहाँ बरसे वह बताते है की ब्रज में होली नहीं होरा होता है।