कोरोना वायरस के कहर के बीच आयुर्वेदिक औषधियों में सबसे अधिक चर्चा गिलोय की हो रही है। इसे बहुवर्षायु लता भी कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी आदि नामों से भी जाना जाता है।
पौराणिक काल से ही गिलोय का महत्व अमृत के समान बताया गया है। साथ ही गिलोय को महान औषधि का दर्जा हासिल है। गिलोय के पत्ते पान के पत्तों सरीखे होते हैं।
इसकी लताएं होती हैं जो आप अपने घर में भी उगा सकते हैं। खासकर नीम और आम के पेड़ों के पास गिलोय की लताएं खूब बढ़ती हैं। गिलोय की लताओं के बीच कई जगहों से जड़ें निकलती हैं। जिसकी टहनी काटकर आप लगा सकते हैं।
क्यों मानी जा रही है गिलोय गुणकारी
गिलोय के बेल के कांड की ऊपरी छाल पतली, भूरे या धूसर रंग की होती है। जिसमें कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। साथ ही इसके तनों में स्टार्च होता है।
इन गुणकारी तत्वों के कारण ही गिलोय का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है। अगर आप नियमित गिलोय का सेवन करते हैं तो कोरोना जैसे वायरस से आप बचे रह सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय में अगर कोरोना वायरस से संक्रमित भी हो जाते हैं, तो गिलोय का सेवन करने वाले संक्रमण से जल्दी ही ठीक हो सकते हैं।
माना जाता है कि गिलोय की पत्तियां बैक्टीरिया और वायरस जनित रोगों का नाश कर देती है। किसी भी तरह का बुखार गिलोय के सेवन से ठीक हो सकता है।
क्या है लाभ
गिलोय के एंटीऑक्सिडेंट आपके चेहरे की झुर्रियों को कम करता है साथ ही निखार लाता है। मतलब ये कि अगर आप बीमार नहीं भी हैं तो भी इसे लेने से फायदा होता है।
गिलोय की पत्तियां शरीर से टॉक्सिन को आसानी से बाहर निकाल पाती है जिसके चलते आपका खून साफ रहता है और त्वचा संबंधी बीमारियों से आप बचे रहते हैं। इसके अलावा मूत्र संबंधी रोगों में भी गिलोय का सेवन कारगर हो सकता है।
अगर आपको भूख नहीं लगती है, पाचनतंत्र में खराबी है और आंत की समस्याओं से आप जूझ रहे हैं तो गिलोय बहुत फायदेमंद होती है।
अगर आप लंबे समय से टाइप 2 डायबिटीज के शिकार हैं तो गिलोय की पत्तियां हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट के रूप में काम करते हुए आपको राहत दे सकती है। गिलोय का रस शरीर में इंसूलिन की मात्रा को संतुलित रखता है।
गिलोय की गुणकारी शक्तियां यहीं खत्म नहीं होती है, सांस संबंधी बीमारियां जैसे अस्थमा और खांसी में गिलोय का सेवन फायदेमंद होता है। इसके अलावा पीलिया, कुष्ठ, गठिया और आर्थेराइटिस रोगों में भी गिलोय की मदद से इलाज संभव है। गठिया और आर्थेराइटिस में भी फायदेमंद है।
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गिलोय का कैसे करें सेवन?
गिलोय का इस्तेमाल बेहद आसान है। इसकी पत्तियों को पहले अच्छी तरह सुखा लें। सूखी गिलोय की पत्तियां लंबे समय तक आप रख सकते हैं। जब भी सेवन करना हो तो इसे पानी में डालकर अच्छी तरह खौला लें।
अगर दो कप पानी में आपने गिलोय की पत्तियां डाली हैं तो खौलाते हुए एक कप पानी सुखा लें। गिलोय की पत्तियों का चूरन भी आप बना सकते हैं।
रोजाना आधा ग्राम गिलोय के साथ आंवला पाउडर लेने से पाचन शक्ति अच्छी हो जाती है।
कब्ज के इलाज के लिए गिलोय का सेवन गुड़ के साथ करना चाहिए।
नीम और आंवला के साथ गिलोय को मिलाकर खाने से त्वचा संबंधी रोग नहीं होते हैं।
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