12 मई यानि आज बड़ा मंगल है। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ माह के पहले मंगल को मनाया जाता है। इस दिन मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम के परम भक्त श्री हनुमान जी की पूजा आराधना की जाती है।
माना जाता है कि ऐसा करने से व्रती के सभी संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में केवल मंगल ही मंगल होता है। हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग इस पर्व को मनाते हैं।
बड़ा मंगल की कथा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, आधुनिक समय में एक बार अवध के नवाब मोहम्मद अली शाह के पुत्र की तबीयत बहुत बिगड़ गई। जब सभी जगहों पर इलाज कराने के बाद भी उनके पुत्र की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ तो कई लोगों ने उन्हें लखनऊ स्थित अलीगंज के हनुमान मंदिर जाने की सलाह दी। इसके बाद अवध के नवाब मोहम्मद अली शाह की पत्नी रुबिया अपने पुत्र को लेकर मंदिर पहुंची।
रुबिया पुत्र को स्वस्थ देखकर फुली नहीं समाई
इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जो भी अस्वस्थ व्यक्ति यहां पहुंचता है, वह हनुमान जी की कृपा से स्वस्थ होकर ही घर लौटता है। जब रुबिया अपने पुत्र को लेकर अलीगंज के हनुमान मंदिर पहुंची, तो मंदिर के पुजारी ने रुबिया को अपने बेटे को मंदिर में ही छोड़ देने की बात कही।
मंदिर के पुजारी के वचनानुसार, रुबिया ने अपने बेटे को मंदिर में ही छोड़ दिया और दरबार लौट आई। अगले दिन जब रुबिया मंदिर गई तो अपने पुत्र को स्वस्थ देखकर फुली नहीं समाई और हनुमान जी को प्रणाम कर पुजारी को शुक्रिया कहा।
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यह पर्व हर साल धूम-धाम से मनाया जाता है
इसके बाद अवध के नवाब मोहम्मद अली शाह ने इस मंदिर का कायाकल्प करवाया और हर साल ज्येष्ठ महीने में पड़ने वाले पहले मंगल को बड़ा मंगल मनाने की घोषणा की।
इस दिन नवाब मोहम्मद अली शाह ने विधिवत हनुमान जी की पूजा-आराधना करवाई और प्रसाद में गुड़ धनिया बंटवाए। साथ ही मंदिर परिसर में प्याऊ भी लगवाए। उस समय से यह पर्व हर साल धूम-धाम से मनाया जाता है।
बड़ा मंगल के दिन हजारों की संख्या में आते हैं
ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन और हृदय से हनुमान जी का पूजा आराधना करता है, उसकी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। आज भी इस मंदिर की चमक पहले जैसी है।
रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग हनुमान जी के दर्शन करते आते हैं। जबकि बड़ा मंगल के दिन हजारों की संख्या में लोग आते हैं और हनुमान जी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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