देवप्रयाग में गंगा प्रेमियों ने देखा गंगा को गंगा बनते
ऋषिकेश, 13 मार्च. परमार्थ निकेतन में राष्ट्रीय नदी गंगा समाधान शिखर सम्मेलन के 4 दिवस गंगा प्रहरियों ने अलकनन्दा और भगीरथी नदियों के संगम का दर्शन किया. देवप्रयाग, संगम के दर्शन कर वहां के विषय में पौराणिक और वर्तमान जानकारियाँ प्राप्त की तथा रघुनाथ मंदिर के भी दर्शन किये.
देवप्रयाग अलकनन्दा और भागीरथी के संगम के साथ भगवान श्री राम की तपस्थली भी है. आज, 500 से अधिक गंगा प्रहरियों ने भारतीय वन्य जीव संस्थान के अधिकारियो के साथ देवप्रयाग का भ्रमण किया.
भारतीय वन्य जीव संस्थान के अधिकारियो द्वारा संचालित जैव विविधता संरक्षण एवं गंगा जीर्णोद्धार कार्यक्रम के अन्तर्गत ऋषिकेश की गंगा के और देवप्रयाग की गंगा के जल में अन्तर के साथ ही जलीय जीवों के संरक्षण के विषय में प्रायोगिक जानकारी प्रदान की. उन्होने बताया कि नदी पारिस्थितिकी तंत्र जलीय जीवों के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है. गंगा भारत की जीवन रेखा के साथ जलीय प्रणियों का निवास और जीवन दोनों है. उपलब्ध तथ्यों के आधार पर गंगा में वनस्पतियों एवं जीवों की लगभग 2000 प्रजातियाँ मौजूद है. गंगा और उसकी सहायक नदियों में बढ़ते प्रदूषण और घटते जल स्तर के कारण नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र पर बहुत बुरा असर पड़ा है जिसके कारण जैव विविधता में तेजी से हृास हुआ है. अधिकारियों ने गंगा प्रहरियों को समझाया की किस प्रकार मानवीय गतिविधियों के कारण तथा नदियों के तटों पर होने वाले शोर के कारण जलीय जीवों के जीवन चक्र पर विपरित असर पड़ रहा हैं.
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परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने गंगा प्रहरियों को शिखर सम्मेलन के सर्टिफिकेट देते हुये कहा कि यह सबसे बड़ा सर्टिफिकेट है कि आप स्वयं को सर्टिफिकेट दे सके कि आपने कितना सजग होकर गंगा प्रहरी का काम किया है; कितने सजग होकर गंगा से प्रेम किया है. उन्होने कहा कि यहां पर जो सीखा उसे जीवन में चरितार्थ होने दे. स्वामी जी ने कहा कि इस स्वच्छता की यात्रा को स्वयं से आरम्भ करें, हम बदलेगे तो मुहल्ला बदलेगा तो माहौल बदलेगा, माहौल बदलेगा तो मुल्क बदलेगा. आईये अपने मोहल्ले से मुल्क की यात्रा साथ-साथ तय करे और स्वच्छता की पहल अपने मोहल्ले से करें.
भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा संचालित जैव विविधता संरक्षण एवं गंगा जीर्णोद्धार कार्यक्रम के अन्तर्गत गंगा प्रहरियों ने इन चार दिनों तक जाना कि किस प्रकार तरल और ठोस कूड़े का निस्तारण किया जाये; साथ ही वृक्षारोपण; वृक्षों का संवर्धन; हरित शवदाह ग्रह प्रणाली का महत्व, कार्पोरेट जगत की भूमिका, जनसमुदाय की जागरूकता और अपना प्रेम गंगा को किस तरह समर्पित करे साथ ही अपने स्तर पर अपनी सहभागिता से अपने-अपने क्षेत्र में गंगा की जैव विविधता के संरक्षण हेतु जागरूकता लाने दूसरों को प्रेरित करने के गुर सीखायें. सभी गंगा प्रहरी देवप्रयाग की गंगा को देखकर गदगद् हो उठे उन्होने कहा कि गंगा के इस मिलन को हम सदैव याद रखेंगे, गंगा के संगम की तरह हमारे जीवन में भी संगम बना रहेगा तथा पांचों प्रदेश एक संगम की तरह मिलकर गंगा की इन जीवन धाराओं को निर्मल बनाने के लिये कार्य करेंगे.
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने सभी गंगा प्रहरियों को संकल्प कराया की हर व्यक्ति अपने-अपने स्तर पर अपनी-अपनी जगह जाकर नदियों की स्वच्छता के लिये कार्य करे.
इस अवसर पर साध्वी भगवती सरस्वती जी, स्वामिनी आदित्यनन्दा सरस्वती जी, वाइल्ड लाइफ आॅफ इण्डिया के डाॅ राजीव चैहान जी, कार्यक्रम के समन्वयक डाॅ एस. ए.हुसैन, डाॅ रूचि बडोला जी, दीपिका, अदिति देव, सुश्री नन्दिनी त्रिपाठी, राजेन्द्र बोहरा, श्रुति पंत, जेम्स टोपो, सैमुअल, विशाल भट्ट, एवं अन्य अधिकारियों ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया.
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