अनंत चतुर्दशी करीब आ रही है । इस दिन गणपति विर्सजन किया जाता है । चतुर्थी पर्व के दौरान हर उम्र के भक्त गणपति बप्पा की सेवा में लग जाते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं। ये माना जाता है कि इन दस दिनों के दौरान भगवान गणेश अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए आते हैं।
इतने दिनों के लिए आते हैं बप्पा घर
इस पर्व के दौरान गणेश जी की पूजा डेढ़, तीन, पांच, सात या फिर नौ दिनों के लिए की जाती है। ये भक्त पर निर्भर करता है कि वो कितने दिनों के लिए बप्पा को अपने पास रखना चाहते हैं। इस पूजा की समाप्ति के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन जल में गणपति विसर्जन कर दिया जाता है। लोग उन्हें नदी या फिर समुद्र के जल में प्रवाहित करते हैं।
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गणपति विसर्जन की कथा
महर्षि वेदव्यास ने भगवान गणेश को महाभारत को लेखन कार्य की जिम्मेदारी सौंपी थीं. गणेश जी को बिना रूके लेखन कार्य को जारी रखना था.
महाभारत की कथा वेद व्यास जी ने भगवान गणेश जी को लगातार सुनाई थी. जिस कारण गणेश जी बिना रूके कथा को लिखते रहे.
महाभारत की कथा आरंभ करने के बाद जब दसवें दिन जब महर्षि वेदव्यास जी ने अपनी आंखें खोलीं तो पाया कि गणेश के शरीर का तापमान बहुत बढ़ा हुआ है.
महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी के शरीर का ताप कम करने के लिए तुरंत पास के एक जलकुंड से ठंडा जल लाकर गणेश जी के शरीर पर डालना आरंभ कर दिया.
जिस दिन गणेश जी के शरीर पर जल प्रवाहित किया उस दिन भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी की तिथि थी. इसी कारण गणेश जी का विसर्जन अनंत चतुर्दशी की तिथि को किया जाता है.
ऐसे करें गणपति विसर्जन
गणेश विसर्जन से पूर्व विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान गणेश जी को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है. पूजा और आरती के बाद भक्तिभाव से विसर्जन किया जाता है. विसर्जन से पूर्व भगवान गणेश से अगले वर्ष जल्दी आने की प्रार्थना की जाती है. आइए जाने कैसे करें श्री गणेश को बिदा-
पूजा विधि
सबसे पहले 10 दिन तक की जाने वाली आरती-पूजन-अर्चन करें।
विशेष प्रसाद का भोग लगाएं।
अब श्री गणेश के पवित्र मंत्रों से उनका स्वस्तिवाचन करें।
एक स्वच्छ पाटा लें। उसे गंगाजल या गौमूत्र से पवित्र करें। घर की स्त्री उस पर स्वास्तिक बनाएं। उस पर अक्षत रखें। इस पर एक पीला, गुलाबी या लाल सुसज्जित वस्त्र बिछाएं।
इस पर गुलाब की पंखुरियां बिखेरें। साथ में पाटे के चारों कोनों पर चार सुपारी रखें।
अब श्री गणेश को उनके जयघोष के साथ स्थापना वाले स्थान से उठाएं और इस पाटे पर विराजित करें। पाटे पर विराजित करने के उपरांत उनके साथ फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा, 5 मोदक रखें।
एक छोटी लकड़ी लें। उस पर चावल, गेहूं और पंच मेवा की पोटली बनाकर बांधें। यथाशक्ति दक्षिणा (सिक्के) रखें। मान्यता है कि मार्ग में उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। इसलिए जैसे पुराने समय में घर से निकलते समय जो भी यात्रा के लिए तैयारी की जाती थी वैसी श्री गणेश के बिदा के समय की जानी चाहिए।
नदी, तालाब या पोखर के किनारे विसर्जन से पूर्व कपूर की आरती पुन: संपन्न करें। श्री गणेश से खुशी-खुशी बिदाई की कामना करें और उनसे धन, सुख, शांति, समृद्धि के साथ मनचाहे आशीर्वाद मांगे। 10 दिन जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना भी करें।
श्री गणेश प्रतिमा को फेंकें नहीं उन्हें पूरे आदर और सम्मान के साथ वस्त्र और समस्त सामग्री के साथ धीरे-धीरे बहाएं।
प्रयास करें श्री गणेश इको फ्रेंडली हों, इससे पुण्य अधिक मिलेगा क्योंकि वे पूरी तरह से पानी में गलकर विलीन हो जाएंगे।
कोरोना काल में सभी लोग विसर्जन घरों में ही कर रहे हैं तो इसके लिए गणेश जी का इको फ्रेंडली होना ज़रूरी है।
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