अमृतसर, 14 मार्च; श्री हरमंदिर साहिब के मुख्य भवन में लगे सोने की सफाई का काम गुरुवार से शुरू हो गया। हरमिंदर साहिब के मुख्य भवन के सबसे ऊंचे गुंबद से सोने की सफाई सेवा शुरू की गई।
सोने की सफाई रीठा के पानी के साथ की जा रही है। श्री हरमंदिर साहिब के प्रबंधक जसविंदर सिंह दीनपुर ने बताया कि सफाई कार्य दस दिन तक चलेगा।
कब शुरू हुयी थी सफाई सेवा
श्री गुरुनानक निष्काम सेवक जत्थे के मुखिया भाई मोहिंदर सिंह बर्मिंघम वालों द्वारा वर्ष 2003 में यह सेवा शुरू की गई थी। भाई मोहिंदर सिंह ने इंग्लैंड से 25 सदस्यों के एक जत्थे को सोने की सफाई के लिए भेजा था।
वो चाहते थे स्वर्ण मंदिर में लगे लगभग 800 किलोग्राम सोने की चमक बनी रहे. तब से प्रति वर्ष इसी जत्थे के सदस्य मुख्य भवन के सोने की सफाई करते हैं।
श्री हरमिंदर साहिब कैसे बना स्वर्ण मंदिर
हरमिंदर साहिब को सबसे पहले 16वीं शताब्दी में 5वें सिक्ख गुरू, गुरू अर्जुन देव जी ने बनवाया था। 19वीं शताब्दी की शुरुआत में महाराजा रणजीत सिंह ने इस गुरुद्वारे की ऊपरी छत को 400 किग्रा सोना लगवाया और इसका नाम स्वर्ण मंदिर पड़ गया.
महाराजा रंजीत द्वारा मुख्य भवन में लगाए गए सोने की आभा 160 वर्ष तक रही। बाद में इसकी चमक फीकी पड़ने लगी थी।
1995 में दोबारा कुई सोने की कार सेवा
1995 में भाई मोहिंदर सिंह ने एसजीपीसी के तत्कालीन अध्यक्ष जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहरा के सामने श्री हरमंदिर साहिब के मुख्य भवन के सोने की नई कार सेवा करने का प्रस्ताव रखा था। मंजूरी के बाद महाराजा रंजीत सिंह द्वारा सुशोभित किया सोना उतार कर नया सोना लगाया गया था।
सोने की सेवा इंग्लैंड की संगत द्वारा भी की गई थी। 1999 के खालसा पंथ की त्रि-शताब्दी समारोह के आयोजन से पहले यह कार सेवा संपन्न हो गई थी। एसजीपीसी ने महाराजा रंजीत सिंह द्वारा लगाए गए सोने को अब बंद कमरों में संरक्षित किया हुआ है।