गोवर्धन पूजा प्रकृति की पूजा है जिसका आरम्भ श्री कृष्ण ने किया था. इस दिन प्रकृति के आधार, पर्वत के रूप में गोवर्धन की पूजा की जाती है और समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा की जाती है. यह पूजा ब्रज से आरम्भ हुई थी और धीरे धीरे पूरे भारत वर्ष में प्रचलित हुई.
कैसे होती है अन्नकूट की पूजा
- वेदों में इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि की पूजा की जाती है
- साथ में गायों का श्रृंगार करके उनकी आरती की जाती है और उन्हें फल मिठाइयां खिलाई जाती हैं
- गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाई जाती है
- इसके बाद उसकी पुष्प, धूप, दीप से उपासना की जाती है
- इस दिन एक ही रसोई से घर के हर सदस्य का भोजन बनता है
- भोजन में विविध प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं
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गोवर्धन पूजा की विधि
- प्रातः काल शरीर पर तेल मलकर स्नान करें
- घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाएं
- गोबर का गोवर्धन पर्वत बनाएं, पास में ग्वाल बाल, पेड़ पौधों की आकृति बनाएं
- मध्य में भगवान कृष्ण की मूर्ति रख दें
- इसके बाद भगवन कृष्ण, ग्वाल-बाल और गोवर्धन पर्वत का षोडशोपचार पूजन करें
- पकवान और पंचामृत का भोग लगाएं
- गोवर्धन पूजा की कथा सुनें, प्रसाद वितरण करें और सबके साथ भोजन करें
गोवर्द्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
तिथि: 28 अक्टूबर 2019
प्रतिपदा तिथि आरंभ: 28 अक्टूबर सुबह 09 बजकर 08 मिनट
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 29 अक्टूबर सुबह 06 बजकर 13 मिनट तक
गोवर्द्धन पूजा सांयकाल मुहूर्त: दोपहर 03 बजकर 23 मिनट से शाम 05 बजकर 36 मिनट तक
कुल अवधि: 02 घंटे 12 मिनट