गोवर्धन पूजा के दिन हर कृष्ण भक्त की यह इच्छा होती है कि वो गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करके भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद ग्रहण कर लें। लेकिन क्या आप जानते हैं श्री कृष्ण का गोवर्धन पर्वत श्रापित है और यही वजह है कि दिनों-दिन उसका आकार घटता जा रहा है। आइए जानते हैं आखिर गोवर्धन पर्वत को किसने और क्यों दिया था श्राप।
गोवर्धन पर्वत को गिरिराज पर्वत भी कहा जाता है। माना जाता है कि 5000 साल पहले गोवर्धन पर्वत 30 हजार मीटर ऊंचा हुआ करता था जो अब अनुमान के अनुसार लगभग 30 मीटर तक ही रह गया है। इसके पीछे का कारण पुलस्त्य ऋषि का श्राप बताया जाता है।
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क्यों हुए गोवर्धन पर्वत श्रापित-
गर्ग संहिता के अनुसार,एक बार पुलस्त्य नाम के एक ऋषि इस पर्वत की खूबसूरती से इतने प्रभावित हो गए कि वो इसे द्रोणांचल पर्वत से उठाकर अपने साथ ले जाना चाहते थे। ऋषि पुलस्त्य की ऐसी इच्छा जानकर गोवर्धन जी ने पुलस्त्य ऋषि से कहा अगर आप मुझे ले जाना चाहते हैं तो ले जा सकते हैं लेकिन आप पहली बार मुझे जिस स्थान पर भी रख देंगे मैं वहीं स्थापित हो जाउंगा। गोवर्धन जी की इस बात को सुनकर ऋषि पुलस्त्य सहमत हो गए। लेकिन बीच रास्ते में जब ऋषि पुलस्त्य की साधना का समय हुआ तो उन्होंने पर्वत को नीचे रख दिया। उनके ऐसा करते ही पर्वत वहीं स्थापित हो गया। जिसके बाद ऋषि पुलस्त्य को उसे हिलाना तक भारी लगने लगा। किन्तु उस स्थान से जाते समय ऋषि ने गोवर्धन पर्वत को श्राप दिया की वह दिन-दिन घटते जाएगा और एक दिन उसका अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा. शायद इसी कारण से इस पर्वत का आकार छोटा होते जा रहा है और जल्द ही ये समाप्त हो जाएगा.