काशी आये 50 जापानियों ने अपनाया हिन्दू धर्म….जानिए इसके पीछे की वजह
वाराणसी, 1 दिसम्बर; वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर 50 से ऊपर जापानी दल हिन्दू रीत रिवाज से अपने पूर्वजों का पिंडदान करने पहुंचा. जापानी धर्म गुरु मसाहिडे अवै ओमा जिनका हिन्दू नाम दीपक है. जापानी धर्मगुरु ने बताया, ”मैं 30 साल पहले चेन्नई की नाड़ी शास्त्र संस्था से जुड़ा हूं. वहां के धर्म गुरु और संस्था प्रमुख दुरई सुब्र रत्नम से जुड़कर हिन्दू धर्म ग्रहण कर लिया. हमने रामायण पढ़ा ,ऐसा लगा मानों भगवान से मुलाकात करने का मार्ग मिल गया. अब तक करीब 5 हजार से ज्यादा लोग मेरे साथ चेन्नई जाकर हिन्दू धर्म ग्रहण कर चुके हैं. अपने शिष्यों को हिन्दू धर्म के बारे में बताया और हिन्दू धर्म के अनुसार पूर्वजों की मुक्ति के लिए काशी में पिंडदान को लाया.”
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इस दल में हर वर्ग के लोग हैं शामिल
जापानी दल के दिल्ली के कॉर्डीनेटर सुनील शर्मा का कहना है, ”सभी ने चेन्नई में हिन्दू धर्म ग्रहण किया. इनमें प्रोफेसर, डॉक्टर, बिजनेसमैन, टीचर हर वर्ग के लोग हैं. इसमें कई लोग वेजीटेरियन भी हो गए हैं.”
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काशी में मिलती है मुक्ति
पिंडदान करने आए पेशे से डॉक्टर येतो हामा ने कहा, ”हिन्दू धर्म सबसे प्राचीन है. हम लोगों ने कई अनुवादित हिन्दू धर्म ग्रंथों को पढ़ा है. हिन्दू धर्म ग्रंथों को पढ़ा है. शांति, एकाग्रता, मुक्ति हिन्दू धर्म में ही है. हमारे गुरू खुद इस धर्म को ग्रहण किए हैं. उन्होंने हमें पिंडदान के महत्व को बताया था.”
चेन्नई नाड़ी शास्त्र आश्रम से आए कुरंजी सेलवन ने कहा, ”सभी जानते हैं, पृथ्वी पर काशी एक मात्र ऐसा स्थान है, जहां पिंडदान से पितरो को मुक्ति मिलती है. मणिकर्णिका महा श्मशान के बारे में जानकारी थी कि यहां दाहसंस्कार करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.”
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