Gudi Padwa 2018: जानें क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा, क्या है इसका महत्व
गुड़ी पड़वा 18 मार्च को चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा के साथ मनाया जाएगा। इसके साथ ही हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है.
गुड़ी पड़वा के दिन महाराष्ट्र में सभी लोग अपने घरों में गुड़ी की स्थापना करते हैं। गुड़ी एक बांस का डंडा होता है जिसे हरे या पीले रंग के कपड़े से सजाया जाता है।
गुड़ी पड़वा के दिन हिन्दू पंचाग का शुभारंभ होता है। देश में यह त्योहार उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग इस पर्व की एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। महाराष्ट्र में इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इस त्योहार को पूरे रीति रिवाजों के साथ मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन आप को हर किसी के घर के दरवाजे पर रंगोली बनी हुई नजर आएगी। इसके अलावा रंगोली के साथ स्वास्तिक का निशान बनाया जाता है ऐसा माना जाता है कि रंगोली और स्वास्तिक का निशान बनाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है। इस दिन लोग अपने घर के दरवाजों पर आम के पत्तों को तोरण बांधी जाती है क्योंकि तोरण को शुभ मना जाता है।
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क्या है पूजन विधि
इस दिन लोग सुबह उठकर अपने शरीर पर बेसन और तेल का उबटन लगाकर स्नान करते हैं और नए वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य की पूजा करते हैं। महाराष्ट्रीयन लोगों के लिए इस त्योहार का बहुत महत्व है, महाराष्ट्र में लोग इस दिन पर नए चीजें, नए आभूषण और घर खरीदने के लिए बेहद ही शुभ मानते हैं। इस त्यौहार को दो अलग-अलग दिनों में मना जाएगा। अपने पंचाग के अनुसार मराठी समाज के लोग इसे 18 मार्च को मनाएंगे.
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क्या गुडी पड़वा का महत्त्व
इस दिन सूर्य की उपासना के साथ ही निरोगी जीवन, घर में सुख- समृद्धि और पवित्र आचरण की प्रार्थना की जाती है। प्रार्थना के बाद घर के आंगन में गुडी सजाई जाती है। लोग इस दिन नए कपड़े पहनते हैं और शक्कर से बने खिलौनों की माला पहनते हैं। पूरनपोली और श्रीखंड का नैवेद्य चढ़ा कर नवरात्रि यानि नवदुर्गा, श्रीराम जी और हनुमान जी आराधना की जाती है।