बौद्ध सर्किट की तर्ज पर बिहार में बनेगा गुरु सर्किट
पटना, 4 जनवरी; बौद्ध सर्किट की तर्ज पर बिहार में गुरु सर्किट बनने जा रहा है. सिख धर्म से जुड़े कई महत्वपूर्ण स्थल बिहार में हैं. पांच प्रमुख तख्तों में से दूसरा स्थान रखने वाला तख्त श्री हरि मंदिर, पटना साहिब भी है. यहां देश-विदेश से प्रतिवर्ष लाखों सिख श्रद्धालु आते हैं. एक साल पहले सिख धर्म के 10वें व अंतिम गुरु गुरु गोविंद सिंह के 350वें प्रकाश पर्व पर पांच लाख श्रद्धालु आए थे. वहीं दो सप्ताह पहले संपन्न शुकराना समारोह में एक लाख से अधिक श्रद्धालु आए. प्रकाश पर्व में पटना साहिब आने वाले श्रद्धालुओं के लिए राज्य सरकार की ओर से किए गए इंतजाम की प्रशंसा देश-विदेश तक फैली.
350वें प्रकाश पर्व के शुकराना समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा गुरु सर्किट बनाने की घोषणा के बाद पर्यटन निदेशालय सक्रिय हो गया है. करीब 10 स्थानों पर स्थित डेढ़ दर्जन गुरुद्वारों को इस सर्किट में स्थान दिया गया है. बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम ‘गुरु सर्किट’ के टूर पैकेज तैयार करेगा. जबकि निदेशालय पर्यटकीय सुविधा उपलब्ध कराने की योजना बनाने में जुट गया है. अगले वित्तीय वर्ष से सुविधा विस्तार का कार्य शुरू हो जाएगा.
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बिहार में प्रथम गुरु नानक देव, 9वें गुरु तेगबहादुर और 10वें गुरु गोविंद सिंह से जुड़े गुरुद्वारे 17 स्थलों पर हैं. सबका अलग-अलग धार्मिक महत्व है. पटना साहिब स्थित तख्त श्री हरि मंदिर साहिब देश के पांच प्रमुख तख्तों में दूसरे स्थान पर है. पटना में सिख गुरुओं से जुड़े सात गुरुद्वारे हैं. सिख पटना सिटी स्थित तख्त श्री हरिमंदिर में मत्था टेकने आते हैं. यहीं 10वें गुरु गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था. जबकि गुरुद्वारा गायघाट में सिखों के प्रथम गुरु नानक देव ठहरे थे. नौवें गुरु तेगबहादुर ने सपरिवार यहा प्रवास किया था. माता गुजरी का जाता सहित कई स्मृतिया यहां हैं. गुरुद्वारा बाललीला मैदान मैनी गुरु गोविंद सिंह का बचपन में क्रीड़ा स्थल होने के कारण यह धार्मिक महत्व का स्थल है. उनके बाल जीवन से जुड़ीं कई वस्तुएं यहां संरक्षित हैं. जूता, दुर्लभ चित्र, करौंदे का एक दुर्लभ पेड़ यहां संरक्षित है. कंगनघाट गुरुद्वारा गंगा के तट पर है. यहा बालक गुरु गोविंद सिंह ने अपने सोने का कंगन फेंका था. यहा गंगा स्नान के लिए वे आया करते थे. गुरु का बाग, सुनारटोली साहिब का भी महत्व है.
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बाल अवस्था में गुरु गोविंद सिंह अपनी माता गुजरी के साथ आनंदपुर (पंजाब) जाने के क्रम में दानापुर के हांडी साहिब गुरुद्वारे में आए थे और यहां रात्रि में हांडी में बनी खिचड़ी भोजन के रूप में ग्रहण की थी. राजगीर में प्रथम गुरु रुके थे. सासाराम में गुरु तेग बहादुर का घोड़ा रुक गया. यहां गुरु तेग बहादुर का तीर, गुरु गोविंद सिंह और उनकी पत्नी जीतो जी का दुर्लभ चित्र है. कई गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब की प्रति है. सबका अलग-अलग महत्व है.
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