गुरु पुष्य अमृत योग पर करने योग्य कुछ लाभकारी और प्रभावी उपाय
9 नवंबर 2017 (गुरूवार) की दोपहर 1 बजकर 36 मिनट पर एक ऐसा योग बनने जा रहा है जो वर्ष में मात्र 2-3 बार ही आता है लेकिन अगर इस योग को सही समय पर इस्तेमाल में लाया जाए तो दिल की हर इच्छा पूरी हो सकती है।
मोती शंख : मोती शंख एक बहुत ही दुर्लभ प्रजाति का शंख माना जाता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार यह शंख बहुत ही चमत्कारी होता है। दिखने में बहुत ही सुंदर होता है। इसकी चमक सफेद मोती के समान होती है।
- – यदि गुरु पुष्य योग में मोती शंख को कारखाने में स्थापित किया जाए तो कारखाने में तेजी से आर्थिक उन्नति होती है।
- – मोती शंख में जल भरकर लक्ष्मी के चित्र के साथ रखा जाए तो लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
- – मोती शंख को घर में स्थापित कर रोज श्री महालक्ष्मै नम: 11 बार बोलकर 1-1 चावल का दाना शंख में भरते रहें। इस प्रकार 11 दिन तक करें। यह प्रयोग करने से आर्थिक तंगी समाप्त हो जाती है।
- – यदि व्यापार में घाटा हो रहा है तो एक मोती शंख धन स्थान पर रखने से व्यापार में वृद्धि होती है।
दक्षिणावर्ती शंख : शंख भिन्न-भिन्न आकृति व अनेक प्रकार के होते हैं। शंख संहिता के अनुसार सभी प्रकार के शंखों की स्थापना घरों में की जा सकती है। मुख्य रूप से शंख को तीन भागों में विभाजित किया गया है। वामावर्ती, दक्षिणावर्ती और मध्यावर्ती। वामावर्ती बजने वाले शंख होते हैं इनका मुंह बाईं ओर होता है। दक्षिणामुखी एक विशेष जाति का दुर्लभ अद्भुत चमत्कारी शंख दाहिने तरफ खुलने की वजह से दक्षिणावर्ती शंख कहलाते हैं। इस तरह के शंख आसानी से नहीं मिल पाते हैं।
इसकी विधि इस प्रकार है – गुरु पुष्य के दिन सुबह नहाकर साफ वस्त्र धारण करें और शुभ मुर्हूत में अपने सामने दक्षिणावर्ती शंख को रखें। शंख पर केसर से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का जप करें। मंत्र जप के लिए स्फटिक की माला का उपयोग करें।
मंत्र – ऊं श्रीं ह्रीं दारिद्रय विनाशिन्ये धनधान्य समृद्धि देहि देहि नम:।।
इस मंत्रोच्चार के साथ-साथ एक-एक चावल इस शंख में डालते रहें। चावल टूटे न हो इस बात का ध्यान रखें। इस तरह दीपावली की रात तक रोज एक माला मंत्र जप करें। पहले दिन का जप समाप्त होने के बाद शंख में चावल रहने दें और दूसरे दिन एक डिब्बी में उन चावलों को डाल दें। इस तरह एक दिन के चावल दूसरे दिन एक डिब्बे में डालकर एकत्रित कर लें। जब प्रयोग समाप्त हो जाए तो चावल व शंख को एक सफेद कपड़े में बांधकर अपने पूजा घर, फैक्ट्री, कारखाने या ऑफिस में स्थापित कर दें। इस प्रयोग से आपके घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।
पारद लक्ष्मी : लक्ष्मी की पारद से बनी मूर्ति खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है माता लक्ष्मी सुख और ऐश्वर्य की देवी है। लक्ष्मी उपासना में पारद लक्ष्मी का स्मरण अपार खुशहाली देने वाला है।खास तौर पर यह आर्थिक परेशानियों को दूर करने वाला है। व्यवसाय में बढ़ोत्तरी और नौकरी में तरक्की के लिए पारे से बनी लक्ष्मी प्रतिमा के पूजन का विशेष महत्व है।
इसकी विधि इस प्रकार है…
– गुरु पुष्य के दिन पारद लक्ष्मी की प्रतिमा (पारे से बनी मूर्ति) उपासना के दौरान एक विशेष मंत्र का जप करने से हर तरह का आर्थिक संकट दूर होता है। इस योग वाले दिन शाम को इच्छुक व्यक्ति को सबसे पहले स्नान कर खुद को पवित्र बनाना चाहिए। इसके बाद पारद लक्ष्मी की प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए। मां लक्ष्मी को लाल चंदन, अक्षत, लाल वस्त्र और दूध से बने पकवान चढ़ाने चाहिए। इसके बाद माता को 108 लाल रंग के फूल अर्पित करें। हर बार फूल चढ़ाते हुए एक मंत्र बोला जाना चाहिए।
मंत्र है:- ऊंं श्री विघ्नहराय पारदेश्वरी महालक्ष्यै नम: ।।
इस तरह सारे फूल चढ़ाने के बाद माता लक्ष्मी की आरती पांच बत्तियों वाले दीप से कर अपने आर्थिक संकट दूर करने की प्रार्थना करनी चाहिए। इस मूर्ति का दिपावली के दिन तक रोज पूजन करना चाहिए। फिर इसे तिजोरी में स्थापित करना चाहिए।
एकाक्षी नारियल– यह भी नारियल का एक प्रकार है, लेकिन इसका प्रयोग अधिकांश रूप से तंत्र प्रयोगों में किया जाता है। इसके ऊपर आंख के समान एक चिह्न होता है। इसलिए इसे एकाक्षी (एक आंख वाला) नारियल कहा जाता है। इसे धन स्थान अथवा पर कहीं पर भी रख सकते हैं।
इसे साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। गुरु पुष्य के दिन यदि इसे विधि-विधान से घर में स्थापित कर लिया जाए तो उस व्यक्ति के घर में कभी पैसों की कमी नहीं रहती है।
इसकी विधि इस प्रकार है – सबसे पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। किसी शुभ मुर्हूत में अपने सामने थाली में चंदन या कुंकुम से अष्ट दल बनाकर उस पर इस नारियल को रख दें और अगरबत्ती व दीपक लगा दें। शुद्ध जल से स्नान कराकर इस नारियल पर पुष्प, चावल, फल, प्रसाद आदि रखें। लाल रेशमी वस्त्र ओढ़ाएं। इसके बाद उस रेशमी वस्त्र को जो कि आधा मीटर लंबा हो बिछाकर उस पर केसर से यह मंत्र लिखें-
ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं महालक्ष्मीं स्वरूपाय एकाक्षिनालिकेराय नम: सर्वदिद्धि कुरु कुरु स्वाहा।
इस रेशमी वस्त्र पर नारियल को रख दें और यह मंत्र पढ़ते हुए उस पर 108 गुलाब की पंखु़ि़ड़यां चढ़ाएं यानी हर पखुंड़ी चढ़ाते समय इस मंत्र का उच्चारण करते रहें-
मंत्र- ऊं ऐं ह्रीं श्रीं एकाक्षिनालिकेराय नम:।
इसके बाद गुलाब की पंखुडिय़ां हटाकर उस रेशमी वस्त्र में नारियल को लपेटकर थाली में चावलों की ढेरी पर रख दें और इस मंत्र की 1 माला जपें-
मंत्र – ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं एकाक्षाय श्रीफलाय भगवते विश्वरूपाय सर्वयोगेश्वराय त्रैलोक्यनाथाय सर्वकार्य प्रदाय नम:।
सुबह उठकर पुन: 21 गुलाब से पूजा करें और उस रेशमी वस्त्र में लिपटे हुए नारियल को पूजा स्थान पर रख दें। इस प्रकार एकाक्षी नारियल को घर में स्थापित करने से धन लाभ होता है।
लघु नारियल : ये नारियल आम नारियल से बहुत छोटे होते है। तंत्र-मंत्र में इसका खास महत्व है। नारियल को श्रीफल भी कहते हैं यानी देवी लक्ष्मी का फल। इसकी विधि-विधान से पूजा कर लाल कपड़े में बांधकर ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहां किसी की नजर इस पर न पड़े। इस उपाय से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं।
इसकी विधि इस प्रकार है – गुरु पुष्य के दिन सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। किसी भी शुभ मुर्हूत में लघु नारियल का केसर व चंदन से पूजन करें और माता लक्ष्मी व भगवान विष्णु का ध्यान करें। उनसे घर में समृद्धि बनाए रखने के प्रार्थना करें, फिर 108 बार निम्न मंत्र का जप करें-
।। श्रीं।।
इस समाप्ति के बाद लघु नारियल को धन स्थान पर रखें।
गुरु-पुष्य नक्षत्र योग में “हत्था जोड़ी”(एक विशेष पेड़ की जड़ जो सभी पूजा की दुकान में मिलती है) को “चाँदी की डिबिया में सिंदूर डालकर” अपनी तिजोरी में स्थापित करें । ऐसा करने से घर में धन की कमी नहीं रहती है । ध्यान रहे कि इसे नित्य धुप अगरबत्ती दिखाते रहे और हर पुष्य नक्षत्र में इस पर सिंदूर चढ़ाते रहे ।
पुष्य नक्षत्र में “शंख पुष्पी की जड़ को “चांदी की डिब्बी में भरकर उसे घर के धन स्थान / तिजोरी में रख देने से उस घर में धन की कभी कोई भी कमी नहीं रहती है ।
इसके अलावा बरगद के पत्ते को भी पुष्य नक्षत्र में लाकर उस पर हल्दी से स्वस्तिक बनाकर उसे चांदी की डिब्बी में घर में रखें तो भी बहुत ही शुभ रहेगा ।