ज्ञान मुद्रा : चित्त को शांत करने वाली मुद्रा
आप और हम सभी जानते हैं कि ज्ञान का अर्थ होता है – बुद्धिमत्ता. इसलिए जब भी हम ज्ञान मुद्रा में योग करते हैं, तो हमारी बुद्धि तेज होती है. इसलिए इस योग को करने के लिए ध्यान लगाना बहुत ही आवश्यक है ताकि इसका हमें अधिक फायदा हो.
ज्ञान मुद्रा का महत्व :-
योग में ज्ञानमुद्रा को इसलिए शक्तिशाली कहा गया है क्योंकि यह मुद्रा आपकी तंद्रा को तोड़ती है. हाथों की ग्रंथियों का संबंध सीधे हमारे मस्तिष्क से होता है. दाएँ हाथ का संबंध बाएँ और बाएँ हाथ का संबंध दाएँ मस्तिष्क से माना गया है. ज्ञानमुद्रा से मस्तिष्क के सोए हुए तंतु जाग्रत होकर मानव के होश को बढ़ाते हैं. ज्ञान का अर्थ ढेर सारी जानकारी या वैचारिकता से नहीं बल्कि होश से है. होशपूर्ण व्यक्तित्व के चित्त पर किसी भी प्रकार के कर्म या विचारों का दाग नहीं बनता.
अंगूठा और तर्जनी से अभिप्राय :-
अंगूठा अग्नि तत्व है और तर्जनी उंगली वायु तत्व. ज्योतिष अथवा ग्रहों की विधा में अंगूठा मंगल और तर्जनी गुरु ग्रह के प्रतीक हैं. इन दोनों तत्वों व ग्रहों के मिलन से वायु तत्व बढ़ता है और गुरु का वर्चस्व होता है. इसे शिव और शक्ति का मिलाप भी कहा जाता है. वायु के बिना अग्नि जल नहीं सकती और वायु के मिलने से अग्नि बढती है. अंगूठा बुद्धि का प्रतीक है और अग्नि का भी. अत: तर्जनी और अंगूठे के मिलन से बुद्धि का विकास होता है. अंगूठा परमात्मा और तर्जनी आत्मा की प्रतीक है.
ज्ञान योग मुद्रा की विधि
- ज्ञान योग मुद्रा में आने से पहले हमें एक साफ़ जगह पर चटाई बिछानी चाहिए.उसके बाद अपने आप को चाहिए कि आप सुखासन, पदासन, या फिर वज्रासन में बैठ जाए.
- ज्ञान मुद्रा को हम खड़े होकर अर्थात् ताड़ासन या फिर कुर्सी पर बैठकर भी कर सकते हैं.लेकिन इसका अधिक फायदा हमें बैठ कर करने में ही मिलता है.
- अपने दोनों हाथों को अपने घुटने पर रखें और साथ में अपनी हथेलियों को आकाश की तरफ खोल दें.
- इसके बाद अपनी तर्जनी अंगुली को अपने अंगुठे से स्पर्श करें और बाकी अंगुलियों को वैसे ही सीधा खुला छोड़ दें.
- इसको आप एक हाथ के साथ नहीं बल्कि इसको अपने दोनों हाथों के साथ करें.
- अब अपनी आखोँ को बंद कर लें, अगर आप चाहे तो आप ॐ का उचारण भी कर सकते हैं और साथ ही अपने मन के सभी विकारों को अगर आप दूर करके इसका उच्चारण करते हैं तो इससे आप के मन को बहुत शांति मिलती है.
- इसको आप दिन में 30 मिनट तक कर सकते हैं इससे आपको बहुत ही फायदा मिलता है.इसको आप सुबह और शाम दोनों समय भी कर सकते हैं.
ज्ञान मुद्रा करने के लाभ
जब भी हम ज्ञान मुद्रा करते हैं तो ऐसा करने से हमें बहुत से स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं जो कुछ एस प्रकार से है
- ज्ञान मुद्रा करने से हमारी बुद्धि और स्मरणशक्ति बढ़ती है.
- ज्ञान मुद्रा ध्यान के लिए सबसे अच्छी ओर उपयोगी मुद्रा होती है.
- यह सबसे आसन मुद्रा होती है.
- इसको करने से एकाग्रता में विकास होता है.
- शरीर में रोग प्रतिकार की शक्ति बढ़ती है.
- इसको करने से हमें क्रोध, भय, ईर्ष्या आदि का सामना नहीं करना पड़ता.क्योंकि इसको करने से हमारा मन कठोर हो जाता है.
- ज्ञान मुद्रा करने से हमें जो तनाव के कारण रोग होते हैं जैसे कि उच्च रक्तचाप, हाई ब्लडप्रेशर, ह्रदय रोग का खतरा नहीं होता.
- इसको करने से हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है.जिसके कारण हम अपना काम और अच्छे से कर सकते हैं.
- ज्ञान मुद्रा करने से हमारे मन को बहुत ही शांति मिलती है.जब भी हमें गुस्सा आता है और हम ज्ञान मुद्रा करे, तो हम अपने गुस्से को काबू में कर सकते हैं.
- जिन लोगों को सिरदर्द, अनिंद्रा आदि जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है उन्हें ज्ञान मुद्रा करने से बहुत ही लाभ होता है.
- ज्ञान मुद्रा को जब हम लगातार करते हैं तो इससे हम लत से छुटकारा पा सकते हैं.
सावधानियां
1.भोजन करने के तुरंत बाद एवं चाय, कॉफी पीने के तुरंत बाद हमें कोई भी मुद्रा नहीं करनी चाहिए. ऐसे करने से हमें फायदे की बजाय नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
2. मुद्रा करते समय किसी प्रकार की असहजता या किसी प्रकार का कोई कष्ट हो तो हमें मुद्रा बीच में हो छोड़ देनी चाहिए
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