हज ट्रेनिंग – थ्रीडी, एलईडी के जरिए गोरखपुर मंडल में हज ट्रेनिंग दे रहे है युवा
गोरखपुर, 20 अप्रैल; ऊंचवा स्थित आईडीयल मैरेज हाउस में गुरुवार को तहरीक दावते इस्लामी हिन्द की जानिब से हज ट्रेनिंग का आयोजन हुआ. मक्का व मदीना शरीफ में इबादत, जियारत व ठहरने का तरीका बताया गया. शहर और देहात से आए सैकड़ों लोगों ने हज के अरकान की बारीकियां सीखीं. एहराम बांधने से लेकर कुर्बानी तक की बारीकियां समझाई गई. ट्रेनिंग में गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, कुशीनगर, संतकबीरनगर के हज यात्रियों ने हिस्सा लिया. महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में हिस्सा लिया.
ट्रेनिंग थ्रीडी तकनीक व प्रोजेक्टर के जरिए हुई. हज के दौरान किस तरह रहना है. मदीना शरीफ में कितने दिन ठहरना और मक्का शरीफ में कब जाना है. किस तरह हज की खास पोशाक (एहराम) बांधनी है. किस तरह काबा शरीफ का तवाफ करना है. साथ ही कुर्बानी से लेकर सिर मुंडाने तक के मसायल बताए गए.
मदीना शरीफ की हाजिरी पर अध्यक्षता करते हुए मोहम्मद फरहान अत्तारी का पुरक़ैफ बयान हुआ. उन्होंने बताया कि हज बेहद अहम इबादत है. इसमें सबसे अहम खुलूस है. दिखावे का नाम हज नहीं है. हज-ए- मबरूर अल्लाह की रजा के लिए है. रसूल-ए-पाक (हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहौ अलैही वसल्लम) ने फरमाया कि हज-ए-मबरूर करने वाला ऐसा होता है मानो आज ही मां के पेट से पैदा हुआ हो. उसके सभी गुनाह माफ हो जाते है. उन्होंने रौजा-ए-रसूल पर सलातो-सलाम पेश करने का तरीका व अदब बताया. हजरत अबूबक्र व हजरत उमर की आरामगाह पर सलाम पेश करने का तरीका भी बताया साथ ही मस्जिद-ए- नबवी की अहमियत बतायी.
मुख्य हज ट्रेनर हाफिज मोईनुद्दीन निजामी ने प्रैक्टिकल के जरिए हज अदा करने के एक-एक अरकान को बारीकी से बताया. एहराम बांधना, काबा शरीफ का तवाफ, सफा व मरवा पहाड़ियों की दौड़, शैतान को कंकड़ मारना, मुकद्दस मकामात पर पढ़ी जाने वाली दुआओं पर रौशनी डाली .
संचालन करते हुए हाजी आजम अत्तारी ने कहा कि हज इस्लाम का अहम फरीजा है. इसे खुलूसों दिल से अदा करना चाहिए. उन्होंने हज यात्रियों को घर से रवाना होने से लेकर लौटकर आने तक के सारे मसलों और आने वाली समस्याओं और उनके हल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी .
ट्रेनिंग में थ्रीडी एनिमेशन फिल्म, प्रोजेक्टर व इलेक्ट्रानिक डिवाइस के द्वारा हज का प्रैक्टिकल तरीका और हज के मुकद्दस स्थानों को दिखाकर हज यात्रियों को प्रशिक्षित किया गया. महिलाओं के मसलों पर तफ्सीली गुफ्तगू की गयी.
हज यात्रियों को मौलाना इलियास अत्तारी द्वारा लिखित किताब ‘रफीकुल हरमैन’ हिन्दी व उर्दू में मुफ्त बांटी गयी. इसके अलावा हज ट्रेनिंग में मदनी चैनल, ताविजात अत्तारिया, मदनी काफिला, मजलिसे मालियात सहित किताबों का स्टाल लगाया गया.
इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत तिलावते कलाम पाक हुई. काबा शरीफ की हाजिरी व मदीना शरीफ की जियारत पर आदिल अत्तारी ने अपनी प्यारी आवाज में नात-ए-रसूल पेश की. जिससे ट्रेनिंग पाने वाले हज यात्रियों के जौक व शौक में इजाफा हुआ. इमाम-ए-आजम हजरत अबु हनीफा रजियल्लाहु अन्हु के खिदमात पर रौशनी डालते हुए उन्हें याद किया गया. अंत मे सलातो सलाम पढ़ कौमों मिल्लत के अमन व सलामती की दुआ की गयी.
इस मौके पर वसीउल्लाह अत्तारी, तौसीफ रजा अत्तारी, रमजान अत्तारी, नदीम कादरी, मो. शादाब अहमद, मौलाना अयाज अहमद, हाजी उवैद, शुएब सिमनानी, नादिर अत्तारी आदि मौजूद रहे.
रिपोर्ट: सैयद फरहान अहमद