हस्तलिखित पत्रों में झलकती विराटता : आचार्य लोकेश मुनि की रूपचंद मुनि जी महाराज को श्रद्धांजलि
श्रमण संस्कृति का एक मानवतावादी संत शरीर से हमारे बीच से प्रस्थान कर गया किन्तु वैचारिक रूप से वो शताब्दियों सह्स्राब्दियों तक प्रकाश स्तम्भ बनकर हमारा मार्गदर्शन करता रहेगा। एक भिन्न परम्परा के संत के साथ अभिन्नता का बोध कराते, स्नेह व वात्सल्य की स्याही से लिखे उनके हस्त लिखित पत्रों में उनकी सहजता, सरलता व सह्रदयता प्रतिबिम्बित हो रही हैं – आचार्य लोकेश मुनि