बलराम जयंती 9 अगस्त 2020 यानी आज मनाई जाएगी। बलराम को भगवान विष्णु के 8वां अवतार माना गया है। इस दिन भगवान शेषनाग ने द्वापर युग में श्रीकृष्ण के बड़े भाई के रूप में जन्म लिया था।चलिए जानते हैं हरछठ की सम्पूर्ण पूजन विधि।
आइए जानें कैसे करें हरछठ व्रत –
प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।इसके पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण कर गोबर लाएं।
इसके बाद पृथ्वी को लीपकर एक छोटा-सा तालाब बनाएं।
इस तालाब में झरबेरी, ताश तथा पलाश की एक-एक शाखा बांधकर बनाई गई ‘हरछठ’ को गाड़ दें।इसके पश्चात इसकी पूजा करें।
पूजा में सतनाजा (चना, जौ, गेहूं, धान, अरहर, मक्का तथा मूंग) चढ़ाने के बाद धूल, हरी कजरियां, होली की राख, होली पर भुने हुए चने के होरहा तथा जौ की बालें चढ़ाएं।
हरछठ के समीप ही कोई आभूषण तथा हल्दी से रंगा कपड़ा भी रखें।
पूजन करने के बाद भैंस के दूध से बने मक्खन द्वारा हवन करें।
इसके बाद कथा कहें अथवा सुनें।
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अंत में निम्न मंत्र से प्रार्थना करें : –
गंगाद्वारे कुशावर्ते विल्वके नीलेपर्वते।
स्नात्वा कनखले देवि हरं लब्धवती पतिम्॥
ललिते सुभगे देवि-सुखसौभाग्य दायिनि।
अनन्तं देहि सौभाग्यं मह्यं, तुभ्यं नमो नमः॥
– अर्थात् हे देवी! आपने गंगा द्वार, कुशावर्त, विल्वक, नील पर्वत और कनखल तीर्थ में स्नान करके भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त किया है। सुख और सौभाग्य देने वाली ललिता देवी आपको बारम्बार नमस्कार है, आप मुझे अचल सुहाग दीजिए।
हरछठ व्रत की विशेषता
इस दिन हल पूजा का विशेष महत्व है।
इस दिन गाय के दूध व दही का सेवन करना वर्जित माना गया है।
इस दिन हल जुता हुआ अन्न तथा फल खाने का विशेष माहात्म्य है।
इस दिन महुए की दातुन करना चाहिए।
यह व्रत पुत्रवती स्त्रियों को विशेष तौर पर करना चाहिए।
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