सभी पूर्णिमाओं में माघी पूर्णिमा का महत्व काफी अलग है. इस पूर्णिमा पर तीर्थ की नदियों में स्नान का महत्व है. मान्यता है कि पौष पूर्णिमा की तरह ही इस पूर्णिमा पर गंगा में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं. इसी वजह से माघी पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है.
खासतौर पर हरिद्वार में चल रहे महाकुंभ मेले में भारी संख्या में लोग पहुँच रहे हैं. यह कुम्भ मेले का चौथा प्रमुख स्नान है.
ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र संगम में स्नान करने से काया हमेशा निरोगी रहती है.
माघी पूर्णिमा का महत्व
दरअसल हिन्दू धर्म में माघी पूर्णिमा का बहुत महत्व माना गया है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और उसके बाद दान का विशेष महत्व है. गंगा किनारे लगे मेला क्षेत्रों में मंदिरों में भी भारी भीड़ है और मंदिरों में दान के अलावा लोग दीन दुखियों को भी दिल से दान कर रहे हैं.
माघ मास की अंतिम पूर्णिमा
दरअसल माघ मास की अंतिम पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा कहा जाता है और इसके अगले दिन से ही फाल्गुन की शुरुआत हो जाती है.
साल भर में जितनी भी पूर्णिमा होती हैं उनमें माघी पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है.
शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि इस दिन विधि विधान से पूजा करने और दान आदि करने से मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है.
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क्या करें माघी पूर्णिमा के दिन
मान्यता है कि माघी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं.
इस दिन सुबह नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद गंगाजल में स्नान जरूर करें और उसके बाद गंगाजल का आचमन करें.
यह भी मान्यता है कि इस दिन पितर देवता रूप में गंगा स्नान के लिए आते हैं इसलिए पितरों का ध्यान करते हुए भी दान इत्यादि करना चाहिए.
पितरों का ध्यान करते हुए पवित्र स्थलों पर यदि इस दिन उनका श्राद्ध किया जाये तो उन्हें सीधा मोक्ष मिलता है.
इस दिन तिल, गुड़, घी, फल, मोदक, अन्न और कम्बल का दान उत्तम माना गया है.
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