हरिद्वार, 8 अप्रैल; हरिद्वार महाकुंभ में श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े में पुरुष नागा संन्यासी बनने के बाद अब दो सौ महिलाओं को नागा संन्यासी बनाने के लिए दीक्षा कार्यक्रम शुरू किया गया. अखाड़ों में सिर्फ जूना ही ऐसा अखाड़ा है जो महिला नागा संन्यासी भी बनाता है.
बुधवार को श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के माईवाड़ा में महिला संन्यासियों की संन्यास दीक्षा की प्रक्रिया बिड़ला घाट पर शुरू हुई. जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक महंत हरिगिरि के संयोजन और अंतरराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि की देखरेख में महिला संन्यासियों का मुंडन कराया गया.
वहीं जूना अखाड़ा माईवाड़ा की अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत आराधना गिरि और मंत्री सहज योगिनी माता शैलजा गिरि के साथ पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत अन्नपूर्णा पुरी की देख रेख में संन्यास की दीक्षा प्रारंभ हुई.
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सबसे पहले महिला नागा संन्यासियों को अलकनंदा घाट पर स्नान कराया गया. इसके बाद मंत्रोच्चारण के साथ श्राद्ध कर्म संपन्न कराया गया. श्राद्ध तर्पण के बाद सभी नव दीक्षित महिला संन्यासी सायंकाल धर्म ध्वजा पर पहुंची. जहां पर पंडितों की ओर से बिरजा होम की प्रक्रिया हुई.
श्रीमहंत अन्नपूर्णा पुरी के अनुसार कुंभ मेला के इस विशेष संयोग पर महिलाओं को संन्यास की दीक्षा से दीक्षित किया जा रहा है. इन महिला संन्यासियों के दीक्षित किए जाने की प्रक्रिया आज बृहस्पतिवार की सुबह आचार्य पीठ की ओर से प्रेयस मंत्र दिए जाने के साथ ही पूर्ण होगी.
वहीं, जूना अखाड़े में एक हजार पुरुष नागा संन्यासियों के बनाने की प्रक्रिया भी मंगलवार को आचार्य पीठाधीश्वर द्वारा प्रेयस मंत्र प्रदान किए जाने के साथ ही संपूर्ण हो गई थी.
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