इस गांव में भजन और कव्वालियों में नहीं है कोई बैर
बरेली; 29 जुलाई; बरेली शहर से नौ किलोमीटर दूर अखा गांव के लोगों के दिलों में हर धर्म के प्रति सम्मान बसता है. हिंदू और मुस्लिम साथ बैठकर भजन-कीर्तन करते हैं. हिंदुओं की थपकी से ढोल की गूंज पर मुस्लिम अपनी आवाज से इसमें चार चांद लगाते हैं. मंडली में बैठने वाले लोग कुछ इसी गांव के हैं तो कुछ अन्य गांवों के. सावन के सोमवार पर होने वाले कार्यक्रम में इनकी उपस्थिति अनिवार्य होती है.
ज़रूर पढ़ें-रमजान पर खास – हिंदू और सिखों ने बनवाई मस्जिद
अखा गांव के लोग का कहना है कि खून एक है और शरीर भी. धर्म अलग हैं, लेकिन भगवान एक है, फिर भी लोग लड़-झगड़ रहे हैं. गांव में प्रवेश करते ही ब्रह्मचारी श्यामा प्रसाद का समाधि स्थल है. यहां सावन के हर सोमवार पर कीर्तन होता है.
परगवां गांव से आने वाले यासीन एक भी सोमवार नहीं छोड़ते हैं. नौ किलोमीटर साइकिल चलाकर यहां पहुंच जाते हैं. वह भजन गाते हैं. यासीन बताते हैं कि भजन और कव्वाली में कोई अंतर नहीं है. भगवान अल्लाह एक हैं. जब कव्वाली में बैठता हूं तो मैं हूं दिवाना कमली वाले का… गाता हूं और जब भजन में बैठता हूं तो मैं हूं दीवाना कन्हैया तेरी बांसुरी का… गाता हूं.
READ ALSO-Meet Sadiq Hussain: the man who built a Balaji Temple
अब्दुल हमीद भी गीत गाते हैं. मौलिया गांव के मुन्ने खां को सिर्फ भजन सुनने का शौक है, इसलिए यहां आते हैं. बिसारतगंज के नकी भी हर सोमवार को बिना देरी के पहुंच जाते हैं.
राजपूत महासभा के संरक्षक ऋषिपाल सिंह बताते हैं कि गांव में किसी के मन में कोई मैल नहीं है. क्यारा के रामगोपाल सिंह, जयपाल मौर्य, सत्येंद्र और बाहनपुर के रामप्रसाद कहते हैं कि रास्ते में धर्मस्थल अलग-अलग हैं. अगर कोई निकल रहा है तो आस्था को क्यों चोट करें. चाहे ताजिया हो या फिर कांवड़. थोड़ी देर में निकल जाते हैं, पता नहीं क्यों लोग लड़ते हैं.
—————————————
रिलीजन वर्ल्ड देश की एकमात्र सभी धर्मों की पूरी जानकारी देने वाली वेबसाइट है। रिलीजन वर्ल्ड सदैव सभी धर्मों की सूचनाओं को निष्पक्षता से पेश करेगा। आप सभी तरह की सूचना, खबर, जानकारी, राय, सुझाव हमें इस ईमेल पर भेज सकते हैं – religionworldin@gmail.com – या इस नंबर पर वाट्सएप कर सकते हैं – 9717000666 – आप हमें ट्विटर , फेसबुक और यूट्यूब चैनल पर भी फॉलो कर सकते हैं।