एक ऐसी जगह जहां पर हिन्दू मुस्लिम पूजते हैं एक ही देवता को
दुनिया में वैसे तो कहा जाता है की सभी के भगवान एक है लेकिन इन सब के बावजूद सभी धर्म मूल रूप से अपने-अपने भगवान को ही मानते हैं. चाहे वह हिन्दू हो, मुस्लिम हो, सिख हो, या इसाई हो सभी अपने-अपने भगवान को ही मानते हैं और उन्ही की ही आराधना करते हैं. लेकिन अगर वहीं हिन्दू और मुस्लिम धर्म के लोगों की बात की जाए तो इन दोनो ही धर्म में आये दिन कोई न कोई भागा दौड़ी चलती ही रहती है और एक दूसरे को नीचे दिखाने की होड़ लगे ही रहती है. लेकिन इन सब के चलते एक जगह ऐसी भी है जहां पर हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही धर्म के लोग एक ही भगवान को पूजते हैं.
जी हां सुनकर तो आपको भी यकीन नहीं होता होगा लेकिन यह बात एक दम सच है दरअसल हम राजस्थान के एक देवता की बात कर रहे हैं. जिन्हे हिन्दू और मुस्लिम धर्म के लोग एक साथ पूजते हैं. राजस्थान में श्री जाहरवीर गोगाजी का जन्मोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है. यह राजस्थान के लोक देवता हैं जिन्हे जहरवीर गोगा जी के नाम से भी जाना जाता है. राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक शहर गोगामेड़ी है. यहां भादों शुक्लपक्ष की नवमी को गोगाजी देवता का मेला लगता है.
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इन्हें हिन्दू और मुसलमान दोनो पूजते हैं. वीर गोगाजी गुरुगोरखनाथ के परमशिष्य थे. उनका जन्म विक्रम संवत 1003 में चुरू जिले के ददरेवा गाँव में हुआ था. श्रीगोगादेव का जन्म नाथ संप्रदाय के योगी गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से हुआ था. यह स्थान हिंदू और मुस्लिम एकता का प्रतीक है. गोगाजी को साँपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है. यह गुरु गोरक्षनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक थे. जयपुर से लगभग 250 किमी दूर स्थित सादलपुर के पास दत्तखेड़ा में गोगादेवजी का जन्म हुआ था. गोगादेव की जन्मभूमि पर सैकड़ों वर्ष बीत जाने के बाद भी उनके घोड़े की रकाब अभी भी वहीं पर विद्यमान है.
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वहां पर गुरु गोरक्षनाथ का आश्रम भी है. यहां गोगादेव की घोड़े पर सवार मूर्ति. सर्पदंश से मुक्ति के लिए गोगाजी की पूजा की जाती है. हनुमानगढ़ जिले के नोहर उपखंड में स्थित गोगाजी के पावन धाम गोगामेड़ी स्थित गोगाजी का समाधि स्थल जन्म स्थान से लगभग 80 किमी की दूरी पर स्थित है. यहां एक हिन्दू व एक मुस्लिम पुजारी पूजा करते हैं. श्रावण शुक्ल पूर्णिमा से लेकर भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा तक गोगा मेड़ी के मेले में वीर गोगाजी की समाधि तथा गोगा पीर व जाहिर वीर के जयकारों के साथ गोगाजी तथा गुरु गोरक्षनाथ के भक्त यहां भक्ति की अविरल धारा बहते हैं.
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