फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली जलाई जाती है तथा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष के पहले दिन एक-दूसरे को रंग लगाकर होली का त्योहार मनाया जाता है।
इस बार होली का पर्व 10 मार्च, को है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि होलिका दहन से मिलते-जुलते त्योहार अन्य देशों में भी मनाए जाते हैं, लेकिन यहां इसके मनाने का तरीका व परंपराएं भिन्न हैं। तो चलिए जानते हैं किस देश में कैसे मनाए जाते हैं होली से मिलते-जुलते त्योहार-
[earth_inspire]
अफ्रीका
अफ्रीका के कुछ देशों में ‘ओमेना बोंगा’ नाम का त्योहार मनाया जाता है. यह त्योहार बिल्कुल होलिका दहन की तरह मनाया जाता है.इस दिन एक जंगली देवता को जलाया जाता है। इस देवता को ‘प्रिन बोंगा’कहते हैं। इसे जलाकर लोग नाचते गाते हैं और नई फसल के स्वागत खुशियां मनाते हैं।
इटली
इटली में होली से मिलता-जुलता उत्सव फरवरी में रेडिका के नाम से मनाया जाता है। शाम को लोग तरह-तरह की वेश-भूषा में कार्निवल की मूर्ति को एक रथ में बैठाकर, गाते-बजाते जुलूस के रूप में निकलते हैं। यह जुलूस नगर के प्रमुख चौराहों से गुजरता हुआ शहर के मुख्य चौक पर पहुंचता है। वहां इकट्ठा की हुई सूखी लकडिय़ों को इस रथ में रखकर इसमें आग लगा दी जाती है। इसके बाद सभी गाते व नाचते हैं।
फ्रांस
फ्रांस के नारमंडी नामक स्थान पर घास से बनी हुई मूर्ति को शहर में घुमाकर गाली तथा भद्दे शब्द कहते हुए आग लगा देते हैं। बच्चे हो-हल्ला करते हुए इसके चक्कर लगाते हैं।
जर्मनी
ईस्टर के समय में पेड़ों को काटकर गाड़ दिया जाता है। उसके चारों ओर लकड़ी व घास का ढेर लगा देते हैं और उसमें आग लगा देते हैं। उस समय एक-दूसरे के मुंह पर रंग लगाते हैं और कपड़ों पर ठप्पा लगाकर हंसते हैं।
यह भी पढ़ें-होली विशेष: जानिए हर धर्म में होली का रंग क्या कहता है
[earth_inspire]
स्वीडन नार्वे
सैंट जॉन की पवित्र तिथि पर लोग इकट्ठे होकर अग्नि क्रीड़ा महोत्सव करते हैं। शाम को किसी प्रमुख स्थान पर आग जलाकर लोग नाचते-गाते हैं और इसकी परिक्रमा करते हैं।
साइबेरिया
ग्रीष्म ऋतु के आगमन से पूर्व बच्चे घर-घर जाकर लकडिय़ां इकट्ठी करते हैं और आग लगा देते हैं। स्त्री-पुरुष एक-दूसरे का हाथ पकड़कर तीन बार अग्नि की परिक्रमा कर उसको लांघते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से वर्ष भर बुखार नहीं आता।
रूस
रूस में पारंपरिक त्योहार मास्लेनित्सा मनाया जाता है। होलिका दहन की तरह अलाव जलाकर और मिठाई खिलाकर एक-दूसरे को बधाई देते हैं। इसे बसंत के आगमन, परिवार से जुड़ाव और बुराई के नाश के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यानी बिल्कुल वैसा ही, जैसा भारत में होलिका दहन। वे अलाव में पुरानी चीजों को भी जलाते हैं, जिसे नई शुरूआत और पापों को जलाने का प्रतीक माना जाता है।
भारत के होलिका दहन जैसे त्योहार और भी देशों में मनाए जाते हैं। इनमें ब्रिटेन का बोन फायर फेस्टिवल, स्पेन का मर्क, अमेरिका का बर्निंग मैन, जापान का वाकाकुसा यामायाकी या माउंटेन बर्निंग फेस्टिवल और ग्वाटेमाला का राक्षसों के अंत का प्रतीक क्वेमा डेल डियाब्लो प्रमुख हैं।
[earth_inspire]