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होलिका की पूजा : क्या दें होलिका की अग्नि में आहुति ?

होली में इस बार विशेष संयोग बन रहा है। उत्तरफाल्गुन नक्षत्र में त्रिपुष्कर योग में पड़ रही होली का महत्व और बढ़ जाएगा। जबकि होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा पर नौ मार्च को पूर्वफाल्गुन नक्षत्र में सोमवार को प्रदोष काल से लेकर निशामुख रात्रि 11 बजकर 26 मिनट तक किया जाएगा। ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि यह संयोग काफी खास है। इस संयोग से सुख-शांति, समृद्धि के साथ-साथ संतान के उज्ज्वल भविष्य की कामना भी पूरी होती है।

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जानिए अपनी राशि के अनुसार कैसे करें होलिका की पूजा…

  • मेष और वृश्चिक राशि के लोग गुड़ की आहुति दें।

  • वृषभ राशि वाले चीनी की आहुति दें।

  • मिथुन और कन्या राशि के लोग कपूर की आहुति दें।

  • कर्क के लोग लोहबान की आहुति दें।

  • सिंह राशि के लोग गुड़ की आहुति दें।

  • तुला राशि वाले कपूर की आहुति दें।

  • धनु और मीन के लोग जौ और चना की आहुति दें।

  • मकर व कुंभ वाले तिल को होलिका दहन में डालें।

होलिका भस्म का होता है खास महत्व

ज्योतिष विद्वानों के मुताबिक होलिका दहन की भस्म को काफी पवित्र माना गया है। इस आग में गेहूं, चना की नई बाली, गन्ना को भुनने से शुभता का वरदान मिलता है। होली के दिन संध्या बेला में इसका टीका लगाने से सुख-समृद्धि और आयु में वृद्धि होती है। इस दिन नई फसल और खुशहाली की कामना भी की जाती है। इस दिन होलिका की आग में सेंक कर लाए गए धान्यों को खाने से काया हमेशा निरोगी रहती है। ऐसा करने से घर मे माता अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है।

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होलिका पूजन से अनिष्टता का नाश

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी का कहना है कि नौ मार्च 2020 को होलिका दहन का शुभ मुहूर्त माँ भादवा माता पंचांग के अनुसार प्रदोष काल से मध्यरात्रि तक है। जबकि बनारसी पंचांग के अनुसार प्रदोष काल से लेकर निशामुख रात्रि 11 बजकर 26 मिनट तक है। होलिका दहन के दिन सुबह 6 बजकर 8 मिनट से लेकर दोपहर 12:32 बजे तक भद्रा है। इसीलिए होलिका दहन भद्रा के बाद किया जाता है। भद्रा को विघ्नकारक माना गया है। भद्रा में होलिका दहन करने से हानि और अशुभ फल मिलते हैं।

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