गायत्रीतीर्थ-शांतिकुंज के व्यवस्थापक श्री गौरीशंकर शर्मा आज अपनी गुरुसत्ता की सूक्ष्म चेतना में विलीन हो गये। उन्होंने पौने तीन बजे अंतिम श्वास ली। श्री शर्मा जी ने रॉ के इंस्पेक्टर पद से स्वेच्छिक सेवानिवृत्त लेकर गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं.श्रीराम शर्मा आचार्य जी के श्रीचरणों में अपना जीवन समर्पित कर दिया था। मूलतः राजस्थान के भीलवाड़ा के रहने वाले श्री शर्मा 73 वर्ष के थे और वे पिछले 35 वर्षों से शांतिकुंज में थे। श्री शर्मा अपने पीछे धर्मपत्नी श्रीमती यशोदा शर्मा, पुत्र रोहित, पुत्रवधु श्रीमती अंतिमा शर्मा तथा दो पोते छोड़ गये हैं।
श्री शर्मा गायत्री परिवार के रचनात्मक कार्यों में से पीड़ितों की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते थे। वे शांतिकुंज की आपदा प्रबंधन टीम के प्रभारी थे और विभिन्न आपदा राहत कार्यों में सक्रियता के साथ भागीदारी करने के लिए उत्साहित रहते थे। ऐसे कामों के लिए वे अपनी टीम को सतत प्रेरित करते रहते थे।
गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या व शैलदीदी ने श्री शर्मा जी के निधन को अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि समाज को उनके जैसे लोकसेवियों की आज नितांत आवश्यकता है। प्रज्ञा अभियान के संपादक श्री वीरेश्वर उपाध्याय, केसरी कपिल, हरीश ठक्कर, डॉ. ओपी शर्मा आदि वरिष्ठ कार्यकर्त्ताओं ने अश्रुपूरित भावों से विदाई दी। साथ ही शहर के विभिन्न संगठनों, आश्रमों के वरिष्ठ जनों ने भी श्रद्धांजलि दी। खड़खड़ी स्थित श्मशान घाट में उनके पुत्र रोहित शर्मा ने मुखाग्नि दी। इस अवसर शांतिकुंज के अंतेवासी कार्यकर्त्ता एवं शहर के अनेक लोग शामिल रहे।