रमज़ान में 60 लोग 720 घंटा एक साथ रह कर करेंगे इबादत, होगी तरबियत
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर; 17 मई; मुकद्दस माह-ए-रमज़ान आज से शुरू है. पहली बार रसूलपुर जामा मस्जिद में तहरीक दावत-ए-इस्लामी हिन्द रमज़ान में तीस दिनों के सामूहिक एतिकाफ (एक जगह ठहर कर इबादत करना) का इंतजाम कर रही है. जिसमें करीब 50-60 लोग हिस्सा लेंगे और करीब 720 घंटा दुनियादारी से दूरी अख्तियार कर सिर्फ अल्लाह की इबादत करेंगे, नेकी व दीन की बातें सीखेंगे. रमज़ान का चांद होते ही अकीदतमंद रसूलपुर जामा मस्जिद में दाखिल होंगे तो ईद का चांद निकलने के बाद ही मस्जिद से बाहर निकलेंगे. तहरीक उनके पढ़ने-लिखने, सहरी-इफ्तार, खानपान व स्वास्थय की जिम्मेदारी नि:शुल्क उठाएगी.
तहरीक के मो. आजम अत्तारी ने बताया कि शहर में इस तरह का यह पहला सामूहिक एतिकाफ है जो बड़े पैमाने पर हो रहा है. यह तीस दिनों तक चलेगा. रमज़ान के तीस दिनों में पूरी दिनचर्या गुजारने का खाका तैयार हो चुका है. पचास के करीब फार्म आ चुके है. सौ लोगों के एतिकाफ में शामिल होने की उम्मीद है. शहर व आस-पास की जगहों से लोग शामिल होंगे. इस एतिकाफ में शामिल होने के लिए कम से कम 20 साल उम्र वाले ही हिस्सा ले सकते हैं.
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मो. आज़म ने बताया कि जो लोग इसमें हिस्सा लेना चाहते है उन्हें एक फार्म भरना पड़ेगा. फार्म के साथ अपनी पूरी जानकारी देनी होगी साथ ही पहचान पत्र की फोटो कॉपी लगानी पड़ेगी. उन्होंने बताया कि अमूमन रमज़ान के अंतिम दस दिनों का एतिकाफ तकरीबन सभी मस्जिदों में मुसलमान करते है. लेकिन तहरीक के जेरे निगरानी चलने वाले इस पूरे माह का एतिकाफ में शिरकत करने वालों की बेहतरीन तरबियत (ट्रेनिंग) होगी. उन्हें कुरआन पढ़ने का इल्म, नमाज के मसायल और तरीका, रोजा के मसायल, वुजू व गुस्ल, मस्जिद के आदाब, खाने-पीने और रोजमर्रा के आदाब, मसनून दुआएं, कब्र व हश्र की तैयारियों के हवाले से तरबियत की जायेगी. इस एतिकाफ का टाइम टेबल अल सुबह तहज्जुद से शुरू हो जायेगा. तहज्जुद की नमाज अदा कर सहरी का एहतमाम होगा फिर अजाने फज्र से कब्ल मुनाज़ात और सामूहिक दुआ की जायेगी. फज्र की नमाज अदा करने के बाद से नमाजे इशराक व चाश्त तक तरबियत का निजाम चलेगा फिर आराम. नमाजे जोहर अदा करने के बाद तरबियत का दौर फिर शुरू हो जाएगा. नमाजे अस्र के बाद से लेकर नमाजे मगरिब से कब्ल (पहले) तक बयानात का दौर चलेगा. वक्ते इफ्तार से कब्ल मुनाजाते इफ्तार व इज्तिमाई (सामूहिक) दुआ की जाएगी. बाद नमाज मगरिब रात का खाना और फिर नमाजे एशा व तरावीह की तैयारी की जाएगी. तरावीह की नमाज के बाद थोड़ी देर का एक इल्मी हल्का लगाया जाएगा फिर आराम. यह दिनचर्या पूरे तीसों दिन तक चलती रहेगी. सामूहिक एतिकाफ में रमजानुल मुबारक का पुरकैफ लम्हां गुजरेगा. शिरकत करने वालों की तरबियत, खान-पान, स्वास्थय के लिए तहरीक ने अलग-अलग लोगों की जिम्मेदारी सौंपी है. एतिकाफ में शिरकत करने वालों का हर तरह से ख्याल रखा जाएगा.
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उन्होंने बताया कि तहरीक अपने 104 विभागों के साथ दुनिया के लगभग 200 देशों में दीनी खिदमात अंजाम देते हुए मुसलमानों के इस्लाह की कोशिश कर रही है. तहरीक की तरफ से होने वाली हज ट्रेनिंग, फैजाने नमाज कोर्स, इस्लाहे आमाल कोर्स, सामूहिक एतिकाफ आवाम में काफी पसंद किया जाता है और लोग बढ़चढ़ कर हिस्सा भी लेते है.
“मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने बताया कि एतिकाफ़ रमज़ान महीने की एक ख़ास इबादत को कहते हैं जिसमे कोई एक या कई आदमी अपने गांव या मोहल्ले की मस्ज़िद में दुनिया से बिल्कुल अलग हो कर इबादत में गुज़ारते है. शब-ए-कद्र को पाने के लिए पैगम्बर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहौ अलैही वसल्लम ने रमज़ान शरीफ का पूरा महीना एतिकाफ भी फरमाया है और आखिरी दस दिन तो आप ने कभी तर्क नहीं फरमाया. आज के दौर में नौजवान ज्यादातार खुराफात में वक्त ज़ाया करते है वहीं तहरीक दावत-ए-इस्लामी हिन्द का यह सामूहिक एतिकाफ नौजवानों की सही रहनुमाई करेगा. आखिरी अशरा का एतिकाफ सुन्नत है. शब-ए-कद्र आखिरी अशरा में है. हदीस में है कि एतिकाफ करने वाले को हज व उमरा के बराबर सवाब मिलता है.