कोरोना काल : घर बैठे बढ़ाएं इम्यूनिटी
- कोरोना काल: आयुर्वेद से बढ़ाएं इम्यूनिटी
पूरी दुनिया इस समय कोरोना संकट का सामना कर रही है… कोरोना वायरस ने मानव के अस्तित्व पर जोरदार हमला बोला है…मानवता पर चोट पहुंचाने के लिए कोरोना वायरस ने मानव के अंदर मौजूद रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यूनिटी को निशाना बनाया है….कोरोना वायरस से ज्यादातर उन्हीं लोगों की मौत हो रही है जिनके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है….कोरोना के डर से लॉकडाउन है और हम घरों में रहने के लिए मजबूर हैं…ऐसे में आयुर्वेद से जुड़े कुछ ऐसे नुस्खे महत्वपूर्ण हो जाते हैं जो घर बैठे लोगों की इम्यूनिटी बढ़ाने में काफी उपयोगी हैं…आयुर्वेद से जुड़े ये नुस्खे आसानी से घर में तैयार किए जा सकते हैं।
गेहूं का शर्बत – गेहूं का शर्बत शारीरिक स्फूर्ति और शक्ति देता है..एक कप गेहूं एक बर्तन में डालें और इसमें दोगुना पानी डालकर 12 घंटे भीगने दें…और फिर इसे छानकर पानी में शहद मिलाकर पियें…इस प्रकार गेहूं का पानी नित्य पीने से कोई रोग पास नहीं आएगा.
तिल – रोग निरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए तिल भी काफी उपयोगी है…एक चम्मच तिल नित्य चबाएं..या लड्डू खाएं…तिल के तेल की मालिश करें…इससे निरोग बने रहेंगे.
सोंठ – सामान्य बुखार, फ्लू, जुकाम और कफ से बचने के लिए पिसी हुई आधा चम्मच सोंठ और थोड़ा सा गुड़ एक गिलास पानी में इतना उबालें कि आधा पानी रह जाए…रात को सोने से पहले इसे पीएं..बदलते मौसम, सर्दी और वर्षा ऋतु के आरम्भ में यह पीना रोगों से बचाता है, सोंठ ना हो तो अदरक ले सकते हैं.
नीम – गर्मी के दिनों में नीम के 10 पत्ते जब भी संभव हो खाएं, नित्य भी खा सकते हैं..इससे शरीर में त्वचा रोगों , बुखार, फ्लू, जुकाम, उदर और यकृत के बचाव के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है.
तुलसी – जो व्यक्ति तुलसी के पत्ते का नित्य सेवन करता है वह अनेक रोगों से मुक्त रहता है…सामान्य रोग स्वत: दूर हो जाते हैं..सुबह 10 तुलसी के पत्ते और 5 काली मिर्च नित्य चबाएं..सर्दी , बुखार, श्वास रोग नहीं होगा..नाक स्वस्थ रहेगी.
आंवला – विटामिन-सी शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है..विटामिन-सी सबसे ज्यादा आंवला में पाया जाता है..हरे पत्तेदार सब्जियों और कच्चे दूध में भी इसकी मात्रा अधिक है…किसी भी रूप में थोड़ा सा आंवला खाते रहने से जीवनभर उच्च रक्तचाप और हार्टफेल की संभावना बेहद कम हो जाती है .
पानी – पानी को हल्का गर्म करके थर्मस में भर लें और पीते रहें..इससे रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है…रक्त का दौरा बढ़ता है..शरीर से विषैले पदार्थ मूत्र के साथ बाहर निकल जाते हैं.
प्रोटीन – प्रोटीन हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है..रक्त में पाया जाने वाला ग्लोब्यूलिन प्रोटीन एंटीबॉडी की तरह कार्य करके बाहरी रोगाणुओं से रक्षा करता है और कई रोगों से बचाता है…दालें प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं.
स्वस्थ मन – मानसिक आघात, तनाव, घबराहट, ईर्ष्या , घृणा, तिरस्कार, भय, बुरे भाव, संगीत के प्रति अरुचि, प्राकृतिक दृश्यों को ना देखना, जीवन में सरलता का अभाव, सरलता की जगह कृत्रिमता या बनावटीपन, कूटनीतिज्ञता, भौतिकता से घिरे रहना, तामसिक भोजन, शारीरिक स्थिति को बिगाड़े रहना आदि से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है..जीवनी शक्ति का ह्रास होता है..इन दुर्बलताओं को दूर करने के लिए योग और ध्यान को जीवन में शामिल करना जरूरी है…सभी को अपने दैनिक जीवन में योग और ध्यान के लिए थोड़ा समय अवश्य निकालना चाहिए.
सकारात्मक दृष्टिकोण – भविष्य अच्छा ही होगा, हर काम अच्छा ही होगा, बुरा या हानिकारक कुछ नहीं होगा…मन में ये सकारात्मक दृढ़ मान्यता रखें..इस मान्यता से ही सुख-शांति मिलेगी और शरीर स्वस्थ रहेगा…नकारात्मक विचार ही दुख है…असफलता का मार्ग है…प्रसन्नता होने पर सभी दुखों और व्याधियों का नाश हो जाता है…प्रसन्न चित वाले व्यक्ति की बुद्धि अच्छी हो जाती है…परिस्थिति अनुसार आवश्यक्ताओं का निर्धारण और परिस्थितियों से तालमेल …प्रसन्न रहने का सीधा और सरल उपाय है.
लेख – रतन सनातन