अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष : इन माताओं को सलाम
मां कहिये, आई कहिये, अम्मा कहिये, मॉम कहिये या मदर कहिये दुनिया के हर बच्चे के लिए यह सबसे खास और सबसे प्यारा रिश्ता है। अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज हम इन जगत माताओं के बारे में बात करेंगे। जगत माता इसलिए क्यूंकि इन्होंने संसार की सेवा के लिए होना सर्वस्व अर्पण कर दिया। हम इन महिलाओं को या तो महिला दिवस पर याद करते हैं या फिर मदर्स डे पर लेकिन लेकिन सच तो यह है कि यह एक एहसास दिलाने का दिन हैजिंदगी में मां ने लक्ष्य निर्धारित किये, नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी, सिद्धांतवादी बनना सिखाया और अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा दी. आज हम आपको संसार की माताओं से रूबरू कराते हैं जिन्हें हम अध्यात्मिक गुरु मां भी कहते हैं.
माता अमृतानंदमयी
अम्मा के नाम से प्रसिद्ध माता अमृतानंदमयी का जन्म केरल के कोलाम में एक किसान के घर में हुआ था. माता अमृतानंदमायी अपने सभी भक्तों को गले लगातीं है. इसलिए इन्हें ‘हगिंग सेंट’ और ‘हग मां’ कहकर बुलाया जाता है. माता अमृतानंदमायी के ट्रस्ट से स्कूल, कॉलेज, अस्पताल के साथ-साथ एक टीवी चैनल भी चलता है. साथ ही पिछले साल उन्होंने सौ करोड़ रुपये गंगा सफाई के लिए दान किए.
गुरु मां आनंद मूर्ति
आनंद मूर्ति गुरु मां का जन्म पंजाब के अमृतसर में एक धनी परिवार में हुआ था जो विभाजन के बाद गुजरांवाला, पाकिस्तान से आया था. आनंद मूर्ति गुरु मां ने आर्ट से स्नातक किया है. आनंदमूर्ति मां धर्म-विहीन और धर्मनिरपेक्षता का पालन करतीं है. इन्होंने सभी वेदों, उपनिशद और भगवत गीता के श्लोकों का सरलीकरण कर आम जनता तक पहूंचाया है. यह नहीं गुरु मां ने सिख गुरु और सूफी संतों की बातों को भी सीडी के जरिए लोगों तक पहुंचाने का काम किया है.
जेटसुन्मा तेनजिन पाल्मो
बहत्तर वर्षीय जेटसुन्मा तेंजिंन पाल्मों का जन्म इंग्लैंड में हुआ. बीस साल की उम्र में उन्होंने लाइब्रेरियन की नौकरी छोड़कर भारत का रुख किया. छह साल तक खम्त्रुल रिन्पोचे मोनास्ट्री में सौ भिक्षुओं के बीच अकेली महिला संत थी. इसके बाद बारह साल के लिए हिमालय की गुफाओं मे ध्यान मग्न हो गईं. आज वो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में डोंग्यु गट्स लिंग महिला मठ चलाती हैं. उनका उद्देश्य बौद्ध धर्म में शिक्षा के जरिए महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाना है. यही नहीं बौद्धों मे महिला संत किसी ऊंचे ओहदे पर नहीं जा सकती, तेंजिंन पाल्मों इस परम्परा को भी तोड़ने के करीब हैं.
ब्रह्मकुमारी की दादी जानकी
माउंट आबू में स्थित ब्रह्मकुमारी आध्यात्मिक विश्वविद्यालय विश्व प्रसिद्द सामाजिक आध्यात्मिक शैक्षणिक संस्था है. इसकी मुख्य प्रशासक दादी जानकी है. इस संस्था की स्थापना 1936 में विश्व शान्ति और भाईचारे का प्रचार करने के उद्देश्य से की गई. इस विश्वविद्यालय में कई पाठ्क्रम जैसे ध्यान, योग, अध्यात्म आदि सिखाए जाते हैं. ब्रह्मकुमारी आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के एक सौ बत्तीस देशों में लगभग पिचासी सौ केंद्र हैं.
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