ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की तैयारियाँ पूर्ण
- परमार्थ निकेतन में विदेशी मेहमानों की धूम
- 30 वाँ वार्षिक अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का 1 मार्च से होगा शुभारम्भ योग जिज्ञासुओं में अभी से उत्सुकता
- योग साधकों का अभिनन्दन कर रही है योग नगरी
- परमार्थ निकेतन में अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में सहभाग हेतु पंजीयन हुआ शुरू
- पंजीयन स्टेशन पर योग प्रेमियों का लगा तांता
- ग्रीनलैंड से गंगा लैंड की यात्रा पर आया जल विशेषज्ञों का दल
- परमार्थ निकेतन में जल संरक्षण कार्यशाला का आयोजन
- योग, मनुष्य को जागरूक बनाता है – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 27 फरवरी।ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन आश्रम में 30 वाँ विश्व विख्यात वार्षिक अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की तैयारियां पूर्ण हो गयी है। योग नगरी ऋषिकेश, विश्व के विभिन्न देशों से आये योग जिज्ञासुओं का स्वागत और अभिनन्दन कर रही है।
ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में प्रतिवर्ष 1 मार्च से 7 मार्च तक अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन किया जाता है। यह योग महोत्सव अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है। विश्व के अनेक देशों यथा भारत, इंग्लैंड, नीदरलैंड, नार्वे, साइबेरिया, आस्ट्रेलिया, ग्रीनलैण्ड, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, स्वीडन, हांगकाग, इटली, बेल्जियम, स्विट्जरलैण्ड, बहरीन एवं अन्य देशों से योगाचार्य, योग साधकों एवं योग जिज्ञासुओ ने अपना पंजीयन कराया।
ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में ग्रीनलैंड से गंगा लैंड तक यात्रा पर आये जल विशेषज्ञों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में जल संरक्षण के विषय में विस्तृत चर्चा की। जल विशेषज्ञों का दल ग्रीनलैण्ड के प्रोफेसर अन गांग गाक अंगाकोर स्वाक के नेतृत्व में परमार्थ निकेतन आया हुआ है। प्रोफेसर अन गांग गाक अंगाकोर स्वाक पूरे विश्व में जाकर ग्रीनलैण्ड की समस्याओं के विषय में चितंन करते है। उन्होने यहां पर गंगा की निर्मलता और दिव्यता को देखकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि वास्तव में यह अद्भुत दृश्य है मैं यहां आकर आश्वस्त हँू कि गंगा किनारे गंगा लैण्ड पर इतना निर्मल जल सुरक्षित है। ग्रीनलैण्ड और गंगा लैण्ड को साथ मिलकर कार्य करने की जरूरत है ताकि आने वाले समय में जो जल समस्यायें होने वाली है उसका समाधान किया जा सके। हम अपनी धरा को, जल को, प्राणियों को, सुरक्षित रख सके।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने सभी जल विशेषज्ञों को जल संरक्षण हेतु मिलकर कार्य करने का संकल्प कराते हुये कहा कि ’दुनिया में रहने वाले प्रत्येक मनुष्य को जल की एक-एक बूंद के महत्व को समझना होगा तभी हम जल रूपी वैश्विक त्रासदी से उबर सकते है। जल का संरक्षण समेकित प्रयासों से ही सम्भव हो सकता है और इस हेतु जल वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। स्वामी जी ने कहा कि ’जल है तो कल है’ ’जल ही जीवन है।’
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने देश और विदेश से आये प्रतिभागियों एवं योग जिज्ञासुओं का अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में अभिनन्दन करते हुये कहा कि आप सभी इस योग महापर्व में ध्यान व योग की उच्चस्तरीय विधाओं के साथ आत्मिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के शिखर को प्राप्त कर पायेंगे। योग, हमें स्वस्थ तन और प्रफुल्लित मन के साथ विश्व एक परिवार है का मूल मंत्र सिखाता है। माँ गंगा हमारे रोम-रोम में दिव्यता का संचार कराती है। स्वामी जी ने कहा कि परमार्थ गंगा तट आज विविधता से युक्त केनवास के रूप में प्रतिबिंबित हो रहा है जहां पर अलग-अलग रंग है, अलग भाषा है, अलग वेशभूषा है, अनेक विविधतायें है परन्तु योग, गंगा के तट पर सभी का संयोग करा रहा है।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी ने योग की जन्मभूमि ऋषिकेश, में सभी का अभिनन्दन करते हुये कहा कि जब आप माँ गंगा के तट पर आते हैं; हिमालय की गोद में आते हैं; योग की जन्मभूमि में चरण रखते हैं तब आप जो हैं वही बन जाते है न कि जो आप करते है। योग, आपके लिये क्षण मात्र का अनुभव नहीं है अपितु चारों पहर की अनुभूति कराता है।
पीस प्लेज, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस, गंगा एक्शन परिवार और परमार्थ निकेतन काफी वर्षो से मिलकर कार्य कर रहे है। साथ ही इस 13 देशों से आये जल विशेषज्ञों के दल में पेयजल एवं स्वच्छता सचिव श्री अरविंद अहंके के नेतृत्व में उत्तराखण्ड जल विभाग की टीम के साथ भी विशेष चर्चा की। इस दल ने जल की गुणवत्ता हेतु उत्तराखण्ड जल विभाग के साथ मीटिंग की। दल के प्रतिनिधियों ने कहा कि हम सब मिलकर जल के लिये कार्य करेंगे।
नीदरलैण्ड से आये जल विशेषज्ञ श्री एरिक लॅकाकेर, मेरिअन ब्रेन्डोंज, डोल्फ सेन्टिन्जे, बाब्र्रा वेन्डी, देवी मोहन, मरिन्डा स्टोकमेन, जलबेर्ट कुइपेर, बारबारा डीजर्डेविक, वेन्डी लाॅकाकेर, वेन वाॅउलर, वेलेरियन बर्नाड, ब्रदर सेलवाम एवं अन्य जल विशेषज्ञों ने मिलकर जल संरक्षण हेतु विशेष चर्चा की ताकि आगे आने वाले समय में जल की समस्याओं का सामना न करना पड़े। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने सभी जल विशेषज्ञों को जल संरक्षण का संकल्प कराया।