जैन धर्म के श्रीनाकोडा तीर्थ पर पहली बार विराट सर्वधर्म सम्मलेन का आयोजन
- धार्मिक सौहार्द भारत की प्राचीन परंपरा – आचार्य लोकेश
- सर्वधर्म सद्भाव के किये अंतर धार्मिक संवाद जरुरी – सर्वधर्म संत
विश्व प्रसिद्द श्री नाकोडा जैन तीर्थ में पहली बार 3 फरवरी, को विराट सर्वधर्म सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें जैन धर्म के 50 से अधिक गच्छाधिपति, आचार्य, साधु साध्वियों के साथ विभिन्न धर्मों के धर्माचार्यों ने भाग लिया। श्री नाकोड़ा ट्रस्ट द्वारा पहली बार इतने बड़े सर्वधर्म सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमे दिल्ली से इसी मारवाड़ क्षेत्र के जन्मे, शिक्षित दीक्षित जैन आचार्य डा. लोकेश मुनि जी, तपागच्छाधिपति मनोहर कीर्ति सुरिश्वर जी, आचार्य अभदेव व सुरीश्वर जी, भारतीय सर्वधर्म संसद के संयोजक गोस्वामी सुशील जी महाराज, अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष इमाम उमेर अहमद इलियासी जी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेन्द्रानंद गिरी जी, बंगला साहिब गुरुद्वारा के चेयरमैन श्री परमजीत सिंह चंडौक जी, लद्दाख से महाबौधि इंटरनेशनल सेंटर के संस्थापक बौद्ध भिक्षु संघसेना जी, प्रख्यात स्थानकवासी आचार्य सुशील मुनि जी के शिष्य श्री विवेक मुनि जी, आचार्य संजय मुनि जी, यतिवर्य डा. वसंत विजयी, मुनि लाभ रूचि जी, जून अखाडा महामंत्री परमेश्वर गिरी जी, महामंडलेश्वर साध्वी चंदना जी, दिगम्बर ब्रह्मचारी श्री देवेन्द्र भाई जी आदि 125 से अधिक आचार्य भगवंत साधू साध्वी गण ने भाग लिया| श्री नाकोड़ा तीर्थ में सभी धर्मगुरुओं ने ‘धार्मिक एकता द्वारा विकास और शांति’ पर सन्देश दिया।
अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक जैन आचार्य लोकेश मुनि ने कहा कि विकास के लिए शांति आवश्यक है और सर्व धर्म सद्भाव से ही शांति संभव है। भारत में धार्मिक सौहार्द, भाईचारे और आपसी मेल मिलाप की प्राचीन परंपरा है | उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि जैन परंपरा संथारा पर जब विपत्ति के बादल मंडरा रहे थे तब और जैन धर्म को राष्ट्रीय स्तर पर अल्प संख्यक का दर्जा दिलाने में सभी धर्मों के गुरुओं ने एकजुट होकर इस जैन परंपरा का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि हमें अपने विचारों और परम्पराओं का सम्मान करने के साथ साथ दूसरों की परम्पराओं का भी सम्मान करना चाहिए।
सर्वधर्म संसद के संयोजक गोस्वामी सुशील जी महाराज ने कहा कि भारत का इतिहास इस बात का गवाह कि यहाँ पर हर धर्म के अनुयायी जब भारत में आकर बसे तब उनको अपनी परम्परों, रीति रिवाजो का पालन करने व अपने धार्मिक स्थलों की स्थापना करने की पूर्ण स्वतंत्रता मिली। वर्तमान में भी सभी धर्म, सम्प्रदाय, जाति और वर्ग के लोग एक साथ मिलकर समाज के उत्थान के लिए सदैव कार्यरत रहते है। यही कारण है भारत में हो रहे विकास की विश्व प्रशंसा कर रहा है।
अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष इमाम उमेर अहमद इलियासी जी ने कहा कि समाज व राष्ट्र के विकास के लिए शांति आवश्यक है और सर्व धर्म सद्भाव से ही विश्व शांति की स्थापना हो सकती है। जब सभी धर्म, संप्रदाय व जाति के लोग एक साथ मिलकर शांति व सद्भावना के साथ विकास के लिए कार्य करेंगे तो विश्व कल्याण निश्चित है। लद्दाख से महाबौधि इंटरनेशनल सेंटर के संस्थापक बौद्ध भिक्षु संघसेना जी ने कहा कि एक धर्म, एक सच के दर्शन को महत्त्व देना जरूरी है, हम सब एक ईश्वर की संतान है। विभिन्न धर्मों ने हमेशा मानव कल्याण और विकास के लिए काम किया है और आगे भी करते रहेंगे।
बंगला साहिब गुरुद्वारा के चेयरमैन श्री परमजीत सिंह चंडौक जी ने कहा कि धर्म के नाम पर हिंसा व आतंक को ख़त्म करने के लिए यह जरूरी हो गया है कि धर्म गुरु अंतर धार्मिक संवाद को बढावा दें।
प्रख्यात स्थानकवासी आचार्य सुशील मुनि जी के शिष्य श्री विवेक मुनि जी, दिगम्बर ब्रह्मचारी श्री देवेन्द्र भाई जी के साथ उपस्थित सभी गच्छाधिपतियों, आचार्यों, साधु साध्वियों ने कहा कि जैन धर्म वैज्ञानिक धर्म है और प्रासंगिक है। इसके माध्यम से अनेक वैश्विक समस्याओं का समाधान मुमकिन है। वर्तमान की तीन प्रमुख समस्याओं हिंसा आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और गरीबी असमानता, तीनों का समाधान जैन दर्शन में है। परमाणु खतरों और आतंकवाद से जूझ रही दुनिया को भगवान महावीर के अहिंसा और शांति के दर्शन से ही बचाया जा सकता है।