महायोगी का महाप्रयाण : जैन मुनि सुमेरमल ‘सुदर्शन’ की अंतिम यात्रा में उमड़ा जन सैलाब
- अनेक मंत्रियों, राजनीतिज्ञों, साहित्यकारों, पत्रकारों, उद्योगपतियों, समाजसेवियों ने पहुँचकर किया अंतिम नमन
दिल्ली। जैन तेरापंथ धर्मसंघ के वयोवृद्ध महायोगी मुनिश्री सुमेरमल जी ‘सुदर्शन’ का सोमवार को महाप्रयाण हो गया। मुनिश्री ग्रीनपार्क स्थित गोयल श्रद्धा भवन में पिछले दिनों से संथारा साधना कर रहे थे। 90 वर्षीय मुनि की साधना का इतना प्रभाव था कि सूचना मिलते ही केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन सिंह, दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन, भाजपा के उपाध्यक्ष श्याम जाजू, भाजपा कार्यालय मंत्री महेंद्र पाण्डे, कांग्रेस के नेता जयप्रकाश अग्रवाल, सज्जन कुमार, महेश शर्मा, वैज्ञानिक डॉ. सुल्तान सिंह सहित अनेक राजनीतिज्ञ, साहित्यकार, पत्रकार, उद्योगपति, समाजसेवी अंतिम नमन करने के लिए पहुंचे।
दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित अणुव्रत भवन से प्रारम्भ हुई महाप्रयाण यात्रा में हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े।
जैन मुनि जयंत कुमार जी ने यात्रा को प्रारम्भ करते हुए कहा कि मुनि सुमेरमल जिन ‘सुदर्शन’ तेरापंथ धर्मसंघ के वरिष्ठ मुनिप्रवर थे। उन्होंने योग साधना से अपने आपको इतना साध लिया कि भयंकर वेदना भी उनको संथारा करने से नहीं रोक पाईं। संकल्प के धनी मुनिश्री को ब्रम्हमुहूर्त में चोविहार संथारे में महाप्रयाण होना उच्च गति में जाने की सूचना है। हम सब मुनि सौभाग्यशाली है कि ऐसे मुनिवर का अनेकों वर्षों तक मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। मुनि तन्मय कुमार ने यात्रा को मंगलपाठ का श्रवण करवाया।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा दिल्ली, तेरापंथ सभा दक्षिण दिल्ली, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद सहित हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, बंगाल, गुजरात सहित अनेकों क्षेत्रों से पहुंचे कार्यकर्ताओं ने ऐतिहासिक व्यवस्थित जुलूस से संयम और अनुशासित समाज होने का संदेश दिया। जैन तेरापंथ की सभी केंदीय संथाओं के पदाधिकारी पूरी यात्रा में पैदल चल कर उस महापुरूष के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित कर रहे थे। लाल मंदिर दिगम्बर समाज की साध्वियों ने शॉल एवं पिच्छी भेंट कर और सिख समुदाय ने महायोगी को वन्दन किया। मुनिश्री के सांसारिक परिवार के सदस्य पुखराज डोसी सहित सभी ने मुखाग्नि प्रदान की। समाज ने 600 किलो चन्दन की लकड़ी से अग्नि संस्कार कर स्वर्णिम इतिहास की रचना की।
महायोगी की विशेषताएं :-
“शासनश्री” मुनि सुमेरमल जी का जीवन एक विशिष्ट आदर्श है। आपने नब्बे वर्ष की प्रायः स्वस्थ उम्र पाई, यह एक उपलब्धि है। संयमी जीवन का एक पल भी मूल्यवान होता है। आपके 77 वर्ष का संयम पर्याय, तीन आचार्यों की पावन-पवित्र सन्निधि, प्रेक्षा-पुरुष आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की 55 वर्षों तक सन्निकट उपासना के क्षण, पूज्यवरों के निर्देशन में आयोजित आगम-महायज्ञ में आपकी संभागिता कितनी अनमोल उपलब्धियां रही है। आपकी सुमधुर गायन-शैली, अद्भुत लिपिकला, सधी हुई लेखनी विशिष्ट व्यक्तित्व की सूचक है। बहुचर्चित पुस्तक ‘जीव-अजीव’ के अनेक संस्मरणों का आपने सम्पादन किया। ‘समण संस्कृति संकाय’ को भी आपका अमूल्य अवदान रहा। एकादसवें आचार्य श्री महाश्रमण जी के पदाभिषेक के अवसर पर उन्हें पछेवड़ी धारण करवाने का अनुपम अवसर प्राप्त होना आपके जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
महायोगी में थी दैवीय शक्ति :-
मुनि जयंत कुमार ने बताया की मुनिश्री सुमेरमल जी ‘सुदर्शन’ में अनेक गुप्त सिद्धियां थी। उन्होंने मुझे अपने मन्त्र जप से मरणासन्न अवस्था में जीवनदान दिया। संथारा से पूर्व आचार्य महाप्रज्ञ के देव रूप से स्पष्ट वार्तालाप किया और दृष्टाव हुआ। मुनिश्री मंत्रजप, ध्यान और स्वाध्याय की विशेष प्रेरणा देते थे।
संतो की रही उल्लेखनीय सेवा :-
मुनि सुमेरमल ‘सुदर्शन’ पिछले 5 महीनों से कैंसर से प्रभावित थे। उस वेदनाकाल में मुनि तन्मय कुमार, मुनि जयंत कुमार, मुनि जयंत कुमार, मुनि अनुशासन कुमार, मुनि मेरु कुमार, मुनि सौम्य कुमार ने उत्कृष्ट सेवा कर उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत किया। दक्षिण दिल्ली श्रावक समाज ने जागरूकता से उनकी उपासना का लाभ लिया।