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जैन धर्म की मिसाल : मां की ममता और बच्ची की परवरिश को धर्म इच्छा से बड़ा माना

जैन धर्म की मिसाल : मां की ममता और बच्ची की परवरिश को धर्म इच्छा से बड़ा माना

एक 3 वर्ष की बालिका को छोड़ नीमच निवासी सुमित और अनामिका के दीक्षा लेने के निर्णय के खिलाफ SNJC के राष्ट्रीय अध्यक्ष अक्षय जैन, इंदौर ने एक बड़ी मुहिम सोशल मीडिया पर चलाई। जैन संत आचार्य भगवन्त श्री राममुनि जी तक अपनी बात को पहुचायां। समाजजनों की आम राय से वोटिंग करवाया। इससे प्रभावित होकर धर्म की सेवा की इच्छा को मां की ममता औऱ परिवरिश के दायित्व को बड़ा मानकर जैन संत ने   अनामिका जी को दीक्षा आज्ञा नही दी, जिससे बच्ची को माँ का वात्सल्य मिले।

आचार्य श्री राम मुनि जी महाराज का फैसला 

देश भर में नीमच के एक दाम्पत्य के 3 साल की अबोध बालिका की दीक्षा का प्रबल विरोध हुआ। जन वोटिंग का प्रभाव हुआ। साधु मार्गीय समुदाय के आचार्य श्री राममुनि जी महाराज ने सूरत में होने वाली दीक्षा में अभी केवल मुमक्षु श्री सुमित जी को ही दीक्षा की आज्ञा फ़रमाई बालिका के शिशु अवस्था को देख अनामिका जी की दीक्षा आज्ञा नही दी गई।

समाज में जागरूकता की बात को किसी भी तरह से विद्रोह नही माना चाहिये। हमारे द्वारा चलाई मुहीम दीक्षा का विरोध नही था बल्कि उस अबोध बालिका को वात्सल्य से जुदा नही करने का अभियान था । आचार्य भगवन्त के निर्णय को कोटिशः वन्दन । जिन समाज जनो ने इस मुहीम में खुल कर विचार प्रकट किये वोटिंग की । 

इस अभियान को इंदौर के SNJC के राष्ट्रीय अध्यक्ष अक्षय जैन ने चलाई थी।

ये था वो पोल जिसका असर हुआ  https://pollsez.com/p/aac953ad

कौन हैं सुमित और अनामिका और क्या थी ये पूरी खबर – क्यों परिवार और संपत्ति का त्यागकर संत बन रहे हैं ये दंपत्ति

Post By Religion World