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शादी के लिए लड़का-लड़की की जन्मकुंडली मिलान कितना उचित ?

शादी के लिए लड़का-लड़की की जन्म कुंडली मिलान कितना उचित ?

जन्म कुंडली मिलान ज्यादातर भारतीय हिन्दू परिवार ज्योतिषी के पास विवाह के लिए श्रेष्ठ कुंडली मिलान या जन्मपत्रिका मिलान के लिए जाते ही हैं, ताकि विवाहित होने वाला जोड़ा किसी प्रकार के दुर्भाग्य का शिकार न हो, और अपनी जिंदगी हंसी ख़ुशी से काट सके। लोग ये विश्वास रखते हैं की विवाह के बाद एक दूसरे के भाग्य एवं दुर्भाग्य का असर अपने साथी पर पड़ता हैं, तो क्यों नहीं पहले ही ये जान लिया जाए की क्या उनका भाग्य आपस में अच्छा ताल मेल रखता हैं या नहीं, इसलिए ज्योतिष अनुरूप कुंडली मिलान करके गुण दोष का विवाह पूर्व पता लगाया जाता हैं।

  • जाने और समझे कितना उचित हैं बोलते नाम (प्रचलित नाम) से विवाह हेतु गुण मिलान ?
  • पंचांग के अनुसार नाम से लड़का-लड़की कुंडली मिलान कितना उचित ?

जानिए क्या होता हैं कुंडली मिलान ?

हिंदू रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार, कुंडली मिलान एक शादी करने से पहले पालन करने के लिए प्रमुख अनुष्ठानों में से एक है। यह मूल रूप से वर और वधू की कुंडली मिलान (जन्म कुंडली) की प्रक्रिया है और यह निर्धारित करता है कि उनके सितारे एक सफल और सुखी विवाह के लिए सामंजस्य रखते हैं या नहीं। और, यह गुणों की संख्या सहित कई कारकों पर निर्भर करता है।

जन्म कुंडली

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री जी ने इस विषय ओर विचार बताते हुए कहा कि नाम द्वारा गुण मिलान करने यह यह अर्थ है की लड़का और लड़की दोनों के नाम का नक्षत्रो के हिसाब से गुणों का मिलान करना इससे दोनों के नाम से पता चल पाता है की दोनों के कितने गुण मिलते है 36 को सर्वगुण संपन्न माना जाता है। शादी से पहले दोनों लड़का व लड़की का परिवार अपने पंडित य ज्योतिष से मिलकर दोनों के गुणों को मिलवाते हैं। इसमें चाँद का दोनों की गृह राशि में स्थान पता कर गुणों का पता किया जाता है |

जन्म और नाम के आधार पर कुंडली मिलान (जन्मकुंडली मिलान) लड़के और लड़की के बीच संगतता का पता लगाने का सबसे अच्छा और सटीक तरीका है। यह एक लंबे और आनंदमयी रिश्ते का आनंद लेने के लिए विवाह करने के लिए सही समय पर प्रकाश भी डालता है।

भारतीय वैदिक ज्योतिष भावी दम्पति के स्वभाव गुण आचार विचार सुख चरित्र के विषय में जानकारी देता है। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि जब तक समानता ना हो तब तक सुख-साधन का अभाव रहता है। क्योंकि विवाह पूर्व ही अपने भावी जीवन साथी के विषय में जानकारी प्राप्त करना बहुत कठिन होता है। लेकिन अष्टकूट मेलापक सारिणी के माध्यम से बहुत कुछ जाना जा सकता है। ज्योतिष की वैज्ञानिक पद्धति के बारे में यहाँ हम बता रहे है जिससे वर-कन्या के बारे में ज्यादा से ज्यादा जाना जा सके।

जन्म कुंडली मिलान

विवाह तय करने के संबंध में आमतौर पर कई लोग सिर्फ गुण मिलान करके ही निश्चिंत हो जाते हैं, जबकि कुंडली मिलान उससे कहीं अधिक आवश्यक है। इसके अभाव में दांपत्य जीवन को आगे चल कर कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर हम थोड़ी-सी जानकारी रखें और समझदारी बरतें, तो वर-वधू का जीवन सुखद, सुंदर एवं सर्वोत्तम बना सकते हैं।

गुण मिलान नाम द्वारा होता है जो शादी से पहले लड़के और लड़की के 36 गुणों को मिलान किया जाता है.गुण मिलान या कुंडली मिलान से यह पता चलता है की लड़का और लड़की की आगे ज़िन्दगी कैसे बीतेगी और शादी योग्य है की नहीं। इसलिए पंडित कुंडलियो का मिलान कर पता करते है की वर वधु एक दूसरे के लिए कितने योग्य हैं इसे विवाह के लिए कुंडली मिलान कहते हैं।

जानिए कि गुण मिलान भी नाम द्वारा करने से यह अर्थ है की लड़का और लड़की दोनों के नाम का नक्षत्रो के हिसाब से गुणों का मिलान करना इससे दोनों के नाम से पता चल पाता है की दोनों के कितने गुण मिलते है 36 को सर्वगुण संपन्न माना जाता है। शादी से पहले दोनों लड़का व लड़की का परिवार अपने पंडित य ज्योतिष से मिलकर दोनों के गुणों को मिलवाते हैं। इसमें चांद का दोनों की गृह राशि में स्थान पता कर गुणों का पता किया जाता है।

विवाह मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। इस संस्कार मे बंधने से पूर्व वर एवं कन्या के जन्म नामानुसार गुण मिलान करके की परिपाटी है. गुण मिलान नहीं होने पर सर्वगुण सम्पन्न कन्या भी अच्छी जीवनसाथी सिद्ध नहीं होगी। गुण मिलाने हेतू मुख्य रूप से अष्टकूटों का मिलान किया जाता है. ये अष्टकूट है, वर्ण, वश्य, तारा, योनी, ग्रहमैत्री,गण, राशि, नाड़ी.

अष्टकूट है – वर्ण, वश्य, तारा, योनी, ग्रहमैत्री,गण, राशि, नाड़ी

विवाह के लिए भावी वर-वधू की जन्म-कुंडली मिलान करते नक्षत्र मेलापक के अष्टकूटों (जिन्हे गुण मिलान भी कहा जाता है) में नाडी को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।

अष्टकूट कारक गुणों की संख्या – वरुणा 1, वश्या 2, तारा 3, योनि 4, ग्रह मैत्री 5, गण 7 ,भकूट 7 ,नाड़ी 8 = कुल 36

आखिर के तीन कूट स्पष्ट रूप से बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे 36 के कुल स्कोर के 50% से अधिक होते हैं. कुल मिलाकर का 8 कारक होते हैं जिसे अष्टकूट भी कहा जाता है इसमें 36 गुण होते है जितने ज़्यादा गुणों का मिलान उतना ज़्यादा अच्छा व शुभ मन जाता है रिश्ता .

पत्रिका मिलान कैसे करे ?

विवाह मे पत्रिका मिलान एक प्राचीन तथा सर्वमान्य परम्परा है। पत्रिका मिलान के कुल 36गुण होते है, जिसमे वर्ण का 1गुण, वश्य के 2गुण, तारा के 3गुण, योनि के 4गुण, ग्रह मैत्री के 5गुण, गण मिलान के 6 गुण, भकूट यानी राशि मिलान के 7 और नाड़ी मिलान के 8 गुण माने जाते है, ये कुल मिलाकर 36 गुण होते है,इनमें कम से कम 18 गुणों का मिलान होना अतिआवश्यक माना जाता है।

ग्रह मैत्री, भकूट और नाड़ी मिलान मिलान के महत्वपूर्ण बिंदु – हर किसी का मिलान 36 या 32 गुण का हो ऐसा हमेशा सम्भव नही लेकिन वर वधू की आपस मे ग्रह मैत्री, दोनों की जन्म राशि मे मित्रता होना अति आवश्यक है, ग्रह मैत्री से दोनों की कार्य शैली, खाना पीना, दिनचर्या मे मिलान होने से जीवन अच्छा रहता है,इस मिलान के 6गुण है।

भकूट यानी मन मिलान-इसमे वर वधू की जन्म राशि का आपस मे उत्तम मिलान देखा जाता है मेरे अनुभव से यदि यह मिलान उत्तम हो तो वैवाहिक जीवन काफी हद तक सफल माना जाता है,वर वधू की जन्म राशियों का समसप्तम होना चाहिये।

जिन राशियों के गुण मिलते है –  मेष-तुला, वृषभ-वृश्चिक, मिथुन-धनु, कर्क-मकर, सिंह-कुम्भ, कन्या-मीन.

राशियों का नवपंचम – मेष-धनु, वृषभ-मकर, मिथुन-कुम्भ, कर्क-मीन, सिंह-मेष, ,कन्या-वृषभ उक्त राशियों का सम्बंध श्रेष्ठ होता है.

नाड़ी मिलान – नाड़ी मिलान के विषय मे ऐसा कहा जाता है की यदि आपके 36 गुण भी मिल रहे हो और यदि नाड़ी अलग अलग न हो तो विवाह नही करना चाहिये,वर वधू की नाड़ी अलग होना श्रेष्ठ माना गय़ा है.

तीन नाड़ी – नाड़ी तीन प्रकार की होती है आदि, मध्य, अंत, ये तीन नाड़ी वर वधू की अलग अलग होना चाहिये। आदि-अंत ,मध्य -आदि, अंत -मध्य , मध्य -अंत

 

नाड़ी का जातक की शारीरिक अवस्था से गहरा सम्बंध होता है, डॉक्टर, आयुर्वेद आचार्य नाड़ी देखकर ही लोगो का इलाज करते है, वर वधू मे शारीरिक सम्बंध से ही नये मेहमान का आगमन होता है, वरवधू का मिलन विपरीत लिंग का मिलन होता है यदि दोनो की नाड़ी अलग हो तो आने वाली संतान स्वस्थ होती है,एक नाड़ी होने पर वधू को रोग, संतानहीनता या संतान को बीमारी होती है इसीलिये वर वधू की नाड़ी अलग होना चाहिये।

विवाह हेतु कितने गुण मिलान होना चाहिए?
विवाह हेतु कितने गुण मिलान होना चाहिए?

एक खुशहाल, सफल और आनंदित विवाह के लिए, न्यूनतम कुंडली मिलान संख्या 18-24 के बीच होना चाहिए। यदि संख्या 18 से कम है, तो विवाह की सलाह नहीं दी जाती है। यदि संख्या 24 से ऊपर है, तो यह एक आनंदमय और परेशानी से मुक्त विवाहित जीवन के लिए एक आदर्श संख्या है।

ज्योतिष के अनुसार ज्यादा से ज्यादा गुणों के 36 कर्मांक या अंक होते हैं, जिसमे से यदि कम से कम 18 गुण यानि 50% यदि मिलते हैं तो जन्म कुंडली गुण मिलान ठीक समझा जाता हैं और विवाह की अनुमति दी जा सकती हैं, परन्तु मांगलिक दोष एवं अन्य योगों की गणना इस अष्टकूट कुंडली गुण मिलान में नहीं की जा सकती, जो की जरूरी हैं, आप को सलाह दी जाती हैं की इसकी गणना आप विवाह से पूर्व अलग से जरूर करवाए।

भारतीय ज्योतिष के अनुसार शादी के लिए कुंडली मिलान आप के प्रचलित नाम राशि से या आप की जन्म राशि से कर सकते हैं, क्योंकि दोनों नाम का जातक के जीवन पर प्रभाव रहता हैं, दोनों में से किसी भी नाम का प्रयोग आप जन्म कुंडली मिलान हेतु कर सकते हैं, उदाहरण के तौर पर अगर आप के कुंडली गुण मिलान एक नाम से नहीं मिल रहे हो, तो आप दूसरे नाम से गुण मिलान कर के देख सकते हैं। ज्योतिष भी जन्म कुंडली मिलान के दौरान दोष परिहार की गणना की सलाह देता हैं।

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार यदि आप फलादेश में प्राप्त गुण में 0 या शून्य या अशुभ योग प्राप्त करते हैं तो इसे दोष माना जायेगा, लेकिन ज्योतिष में ऐसे कई परिहार या व्यवस्थाएं मौजूद हैं जो इन दोषों को नष्ट कर सकती हैं, या उनके प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकती हैं, इसे ही दोष परिहार कहा जाता हैं. जो की कुंडली मिलान के दौरान आवश्यक रूप से देखी जानी चाहिए।

आजकल इन्टरनेट पर उपलब्ध अधिकांश वेब साइट्स केवल मूलभूत फलादेश करते हैं, दोषो की गणना एवं उनके दोष परिहार के बारे में नहीं बता पाते, कई तो “तारा” गुण की गणना, “भकूट” गुण की गणना सही सही नहीं कर पाते, क्योंकि ये गणनाएं जटिल हैं । आपको अपने ज्योतिषी से इसका परीक्षण अवश्य करवा लेना चाहिए।

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि कुंडली गुण मिलान एक अद्भुत एवं कठिन कार्य हैं, जिसमे कई ज्योतिष्य संयोग और नियमों को परखा जाता हैं, यहाँ पर आप केवल मात्र अपने एवं अपने साथी के नाम के उपयोग से कुंडली गुण मिलान कर सकते हैं। ज्यादातर ज्योतिषी अष्टकूट चक्र या अवकहडा चक्र का उपयोग लड़के और लड़की के गुण दोष मिलान के लिए करते हैं, उसी पद्धति का अनुसरण करना चाहिए।

कैसे करें कुंडली मिलान में मिलान का उपयोग 

वर और वधू के जन्म विवरण के आधार पर, आठ गुण या अष्टकूट की गणना की जाती है। इन आठ गुणों के बीच संगतता विवाह का भाग्य तय करती है। ये गुण निम्नलिखित हैं :

वर्ण – पहला गुण वर्ण या वर और वधू की जाति की तुलना करता है। दूल्हे का वर्ण या तो दुल्हन के वर्ण के बराबर या उससे अधिक होना चाहिए। यह पहलू दोनों के बीच मानसिक अनुकूलता पर भी प्रकाश डालता है।
वश्य – यह गुण यह निर्धारित करने में मदद करता है कि दोनों में से कौन अधिक प्रभावी और नियंत्रण करने वाला होगा ।
तारा – वर और वधू के जन्म नक्षत्र या तारों की तुलना की जाती है जो किसी रिश्ते के स्वस्थ भागफल को बताता है।
योनि – भावी जोड़ी के बीच यौन संगतता इस गुण के साथ निर्धारित की जा सकती है।
गृह मैत्री – भावी दंपत्ति के बीच बौद्धिक और मानसिक संबंध को गृह मैत्री गुण के माध्यम से देखा जा सकता है।
गण – यह गुण दोनों के व्यक्तित्व, व्यवहार, दृष्टिकोण और नज़रिये के बीच संगतता को निर्धारित करने में मदद करता है।
भकूट – भकूट गुण विवाह के बाद वित्तीय समृद्धि और परिवार कल्याण की स्थिति को दर्शाता है। शादी के बाद दुल्हन के साथ-साथ दूल्हे के पेशे में बढ़ोत्तरी कैसे होगी, यह तय होता है।
नाड़ी – यह अंतिम गुण है जो अधिकतम अंक रखता है और इस प्रकार सबसे महत्वपूर्ण है। यह शादी के बाद पूरे परिवार के स्वास्थ्य के बारे में बताता है। इस गुण के साथ प्रसव और संतान के मामले भी निर्धारित होते हैं।

गुण मिलान पर कुछ गम्भीर प्रश्न एवम उत्तर

क्या होता है जब कुंडली मिलान बिंदु केवल 17.5 है?

न्यूनतम कुंडली मिलान संख्या जो एक परेशानी मुक्त विवाहित जीवन के लिए आवश्यक है, वह 18 है। इस संख्या से नीचे कुछ भी व्यवहार्य नहीं माना जाता है। हालाँकि, कुछ ज्योतिषीय उपाय हैं, जिनका यदि धार्मिक रूप से पालन किया जाए तो वे आपकी चिंताओं को दूर कर सकते हैं।

अगर कुंडली मैच नहीं करती है तो क्या किया जा सकता है? हमारा स्कोर 36 में से सिर्फ 5 है और एक पंडित कहता है कि अगर वह मुझसे शादी करेगा तो वह मर जाएगा?

अगर कुंडली मैच नहीं करती है तो क्या किया जा सकता है? हमारा स्कोर 36 में से सिर्फ 5 है और एक पंडित कहता है कि अगर वह मुझसे शादी करेगा तो वह मर जाएगा?

ज्योतिषीय रूप से, यह संख्या वास्तव में कम है और इस संगतता के साथ शादी कभी सफल नहीं हो सकती। इसका एकमात्र समाधान एक अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करना और कुछ कड़े ज्योतिषीय उपायों का पालन करना है जो आपको अपने साथी से शादी करने में मदद कर सकते हैं।

जन्म कुंडली

क्या कुंडली मिलान एक सफल शादी की गारंटी है?

चाहे वह व्यवस्थित विवाह हो या प्रेम विवाह, कुंडली मिलान वर-वधू के बीच अनुकूलता को जानने का एक सबसे अच्छा तरीका है। अपने संबंधित जन्म चार्ट के आधार पर विस्तृत मिलान करना निश्चित रूप से एक सफल विवाह की नींव रख सकता है।

ज्योतिष में, गुना मिलान में अंक की गणना कैसे करें?

गुण मिलान उन आठ पहलुओं से मेल खाता है जो एक जोड़े के बीच संगतता का निर्धारण करते हैं। इसे समझना थोड़ा कठिन हो सकता है क्योंकि यह एक जटिल तरीका है। सरल शब्दों में, प्रत्येक पहलू या गुण, जो संख्या में आठ हैं, वे निर्दिष्ट बिंदु हैं। पहले गुण को 1 अंक दिया जाता है, दूसरे गुण को 2 अंक दिए जाते हैं और इसी तरह कुल 36 की संख्या बनती है। कुंडली मिलान संख्या की तब अधिकतम संख्या के रूप में 36 के साथ गणना की जाती है।

उन विवाहित लोहों का क्या होता हैं जिनके कुंडली मिलान में बहुत कम अंक गुण होते है?

कुंडली मिलान में कम अंक का अर्थ है विवाहित जीवन में परेशानियां और बाधाएं। यदि संभव हो, तो कम संगतता संख्या वाले जोड़े को भविष्य में गंभीर नतीजों को रोकने के लिए शादी करने से बचना चाहिए। या, वे अपने भविष्य के विवाहित जीवन में समस्याओं को कम करने के लिए एक विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद कुछ ज्योतिषीय उपायों का भी पालन कर सकते हैं।

क्या करें जब देर से शादी हो (अधिक उम्र में) तो क्या ऐसे में कुंडली मिलान करना आवश्यक है?

विवाह के समय या दुल्हन की उम्र या दूल्हे की उम्र के बावजूद हर मामले में जोडा मिलान बेहद जरूरी है। कुंडली मिलान आपको हर स्तर पर आपके और आपके साथी के बीच गहराई से अनुकूलता बता सकता है।

क्या करें जब 2 लोग एक-दूसरे से प्यार करते हैं, लेकिन उनकी कुंडलियां मेल नहीं खातीं, तो क्या उपाय है?

विवाह की सफलता का निर्धारण करने में कुंडली मिलान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन, कई अन्य कारक भी हैं। आपको एक से अधिक ज्योतिषी से सलाह लेनी चाहिए और एक समाधान खोजने के लिए अन्य ज्योतिषीय उपायों को देखना चाहिए।

विशेष आग्रह/निवेदन- हमारे समझदार परिवार वाले सारी बनीयागीरी (सौदेबाजी) पंडितों के साथ ही करते है शादी के अन्य बिना मतलब के खर्च कर्ज लेकर भी करते है जबकि पत्री मिलान सबसे मुख्य कार्य है इसीलिए इस कार्य मॆ कंजूसी न करे,विद्वान का आर्थिक और मानसिक रूप से सम्मान करे ताकि वह भी आपको सही सलाह दे अन्यथा 21,51,101से आपका वैवाहिक जीवन बिगड़ सकता है।

लेख और गणना – पं. दयानंद शास्त्री, उज्जैन 

Post By Religion World