श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कब मनावें ? शास्त्रोक्त मंथन व निष्कर्ष
निशीथे तमउद्भूते जायमाने जनार्दने ।
देवक्यां देवरूपिण्यां विष्णु: सर्वगुहाशय: ॥
(श्रीमद्भागवत महापुराण १०/०३/०८ – 10/03/08)
मंथन: दिनाङ्क २३/०८/२०१९ (23/08/19) को सूर्योदय से सप्तमी व लगभग प्रात:८:०८ (8:08) के उपरान्त अष्टमी तिथि है जो कि अर्धरात्रि के समय भी रहेगी ।
दिवा वा यदि वा रात्रौ नास्ति चेद्रोहिणी कला ।
रात्रि युक्ता प्रकुर्वीत विशेषेणेन्दु संयुताम् ॥
( भविष्य पुराण )
अर्थात् दिन व रात्रि की घड़ी में यदि रोहिणी नक्षत्र न हो तो चन्द्रोदय के समय वर्तमान रात्रि की अष्टमी को जन्माष्टमी का व्रत करें । अतएव एक मत के अनुसार उक्त दिन रात्रि में केवल अष्टमी तिथि ग्राह्य होने के कारण कुछ लोग श्रीकृष्ण जन्माष्टमी २३ अगस्त २०१९ को मना रहे हैं।
परन्तु; निर्णय सिन्धु के अनुसार
पूर्वविद्धाष्टमी या तु उदये नवमीदिने ।
मूहुर्तमपिसंयुक्ता सम्पूर्णौ साष्टमी भवेत् ॥ कलाकाष्ठामुहूर्तापि यदा कृष्णाष्टमीतिथि: ।
नवम्यां सैव ग्राह्या स्यात्सप्तमीसंयुता न हि ॥
( पद्मपुराण, निर्णय सिंधु, परिच्छेद २ )
अर्थात् सूर्योदय से युक्त अष्टमी संग नवमी तिथि को ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मान्य करनी चाहिये । अष्टमी युक्त नवमी ग्राह्य है, परन्तु; सप्तमी युक्त अष्टमी नहीं । यही बात ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी स्पष्ट है कि..
प्रात: संकल्पकालव्याप्तेराधिक्यात् ।
वर्जनीया प्रयत्नेन सप्तमीसंयुताष्टमी ॥
इति ब्रह्मवैवर्ताच्च
( निर्णय सिंधु )
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार भगवान् श्रीकृष्ण का प्राकट्य भादों कृष्णपक्ष, रोहिणी नक्षत्र, वृष राशि के चन्द्र तथा सिंह राशि के सूर्य आदि में हुआ ।
दिनाङ्क २४/०८/२०१९ (24/08/2019), शनिवार को सूर्योदय से लगभग प्रात: ८:३१ (8:31) तक अष्टमी, तदोपरान्त नवमी है तथा ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार उपरोक्त योग भी बन रहा है । प्रात: सूर्योदय के समय वृष के चन्द्रमा हैं, जो रात्रि 12 बजे भी रहेंगे तथा सिंह के सूर्य और अर्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र का भी सुयोग है ।
निष्कर्ष: उपरोक्त शास्त्र-मंथन वैदिक यात्रा शोध-केन्द्र द्वारा प्रमाणित है । अत: दिनाङ्क २४/०८/२०१९ (24/08/2019) को अर्धरात्रि में ही श्रीकृष्ण प्राकट्योत्सव मनाना चाहिए ।
वैदिक यात्रा परिवार
वैदिक यात्रा गुरुकुल ( भागवत विद्यालय )
श्री अमरनाथ धाम
श्री श्रीनाथ शास्त्री जी पथ ( गाँधी मार्ग )
वृन्दावन – २८११२१