गुरु हर राय जयंती गुरु हर राय का जन्म 1630 में हुआ। गुरु हर राय सिख धर्म के सातवें गुरु थे। वह गुरु हर गोबिंद सिंह के पोते थे और अपने दयालु हृदय के लिए जाने जाते थे। 14 साल की उम्र में उन्हें नानक की उपाधि प्राप्त हुई थी। गुरु हर राय की मृत्यु 1661 में हुई।
गुरु हर राय व्यक्तित्व
गुरु हर राय एक शांति प्रिय गुरु थे। अपने काल में इन्होंने मुगलों के प्रति उदार व्यवहार अपनाने के कारण काफी आलोचना सही। लेकिन स्वभाव से शांत गुरु हर राय जी चाहते थे कि सही समय पर मुगलों को जवाब दिया जाए। वह पहले सिखों को एकत्रित और आध्यात्मिक स्तर पर मजबूत बनाना चाहते थे।
स्वभाव से बेहद गुरु हर राय जी के जीवन से जुड़ा एक प्रसंग अकसर उठता है कि क्यों उन्होंने अपने बड़े बेटे की जगह छोटे बेटे को गुरु गद्दी पर बैठाया। कहा जाता है कि एक बार गुरु हर राय जी ने दारा सिकोह “जो कि शाहजहां के बड़े बेटे और औरंगजेब के बड़े भाई थे” को औरंगजेब के खिलाफ विद्रोह करने में मदद की। गुरु हर राय जी का कहना था कि दारा सिकोह मुसीबत में थे और एक सच्चा सिख होने के नाते उन्होंने उसकी मदद की।
इसके बाद जब औरंगजेब को यह बात पता चली तो उसने गुरु हर राय जी को सभा में बुलाया। गुरु हरराय जी ने अपने बड़े पुत्र “राम राय” को अपना प्रतिनिधि बनाकर भेजा। अपने पिता गुरु हरराय को क्षमा दिलाने के लिए राम राय ने आदि ग्रंथ की कुछ पंक्तियों में फेर-बदल कर औरंगजेब को सुना दी। कहा जाता है कि इन पंक्तियां से सिख धर्म को अपमानित करने का भाव आता था। जब गुरु हरराय जी को यह बात पता चली तो वह बेहद क्रोधित हुए और उन्होंने बड़े बेटे की जगह छोटे बेटे गुरु हरिकिशन जी को अपनी गद्दी का उत्तराधिकारी बनाया।
गुरु हर राय के कार्य
गुरु हरराय जी के कुछ प्रमुख कार्य निम्न है: गुरु हर राय जयंती
* गुरु हर राय एक अद्धभुत वैद्य थे। वह प्राकृतिक चिकित्सा के प्रयोग को बढ़ावा देते थे।
* अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने एक चिड़ियाघर का भी निर्माण कराया।
* गुरु हर राय साहिब ने गुरु ग्रंथ साहिब (उस समय आदि ग्रंथ) की मूल कविताओं को किसी भी प्रकार से तोड़-मरोड़ कर पेश करने के खिलाफ एक सख्त कानून का प्रारंभ किया ताकि गुरु नानक साहिब द्वारा दी गई बुनियादी शिक्षाओं को हानि ना पहुंचे।